सेवानिवृत्ति के बाद दो साल तक कोई पद स्वीकार न करें जज

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम को केरल का राज्यपाल बनाए जाने की चर्चाओं को लेकर राजनीतिक और कानून विशेषज्ञों में बहस छिड़ गई है।

By Edited By: Publish:Mon, 01 Sep 2014 09:37 PM (IST) Updated:Mon, 01 Sep 2014 09:40 PM (IST)
सेवानिवृत्ति के बाद दो साल तक कोई पद स्वीकार न करें जज

तिरुअनंतपुरम। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम को केरल का राज्यपाल बनाए जाने की चर्चाओं को लेकर राजनीतिक और कानून विशेषज्ञों में बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने जहां देश के सर्वोच्च न्यायिक पद से सेवानिवृत्त व्यक्ति को राज्यपाल बनाए जाने से पहले ही इसके औचित्य पर सवाल उठा दिया है तो सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश केटी थॉमस ने रिटायरमेंट के बाद जजों को दो साल तक कोई पद [न्यायिक जांच आयोग को छोड़कर] स्वीकार न करने की सलाह दी है।

सुप्रीम कोर्ट में छह साल तक सेवाएं देने के बाद 2002 में सेवानिवृत्त हुए जज केटी थॉमस ने कहा कि रिटायर्ड जज को राज्यपाल बनाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, लेकिन मेरी राय में पूर्व जजों को दो साल तक कोई भी पद स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'न्यायिक पद काफी संवेदनशील होता है। आमलोग न्यायपालिका की ओर हमेशा उम्मीद के साथ देखते हैं, ऐसे में उनके मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि कोई जज किसी विशेष सरकार के प्रति झुकाव रखता है। इसके लिए दो वर्ष की अवधि [सेवानिवृत्ति के बाद पद स्वीकार करना] काफी है।' पूर्व जज ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में जाने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया था।

केरल कांग्रेस के प्रमुख सुधीरन का कहना है कि पूर्व जजों को राज्यपाल बनाने के मामले तो सामने आए हैं, लेकिन किसी पूर्व सीजेआइ को राज्यपाल बनाने से औचित्य का सवाल उठ सकता है। मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा, 'अभी तक की परंपरा के मुताबिक राज्यपाल की नियुक्ति से पहले संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से संपर्क किया जाता रहा है, लेकिन इस मामले में अभी तक मुझसे संपर्क नहीं किया गया है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस बार भी इस परंपरा का पालन किया जाएगा।'

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