रावल को नहीं करने देंगे केदारनाथ में पूजा: शंकराचार्य

हरिद्वार [जासं]। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केदारनाथ के रावल के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। कहा कि रावल को अब केदारनाथ में पूजा नहीं करने दी जाएगी। बदरी-केदार दोनों जगहों के रावलों पर पूजा को लेकर एक ही बात लागू होती है। रावल स्वयं को जगदगुरु बता रहे हैं, लेकिन वे मंदिर समिति के वेतनभोगी कर्मी हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 26 Jun 2013 08:34 PM (IST) Updated:Wed, 26 Jun 2013 08:39 PM (IST)
रावल को नहीं करने देंगे केदारनाथ में पूजा: शंकराचार्य

हरिद्वार [जासं]। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केदारनाथ के रावल के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। कहा कि रावल को अब केदारनाथ में पूजा नहीं करने दी जाएगी। बदरी-केदार दोनों जगहों के रावलों पर पूजा को लेकर एक ही बात लागू होती है। रावल स्वयं को जगदगुरु बता रहे हैं, लेकिन वे मंदिर समिति के वेतनभोगी कर्मी हैं।

कनखल स्थित शंकराचार्य निवास में ज्योतिषपीठाधीश्वर ने बताया कि केदारनाथ में स्थिति सामान्य की जानी जरूरी है। शवों को वहां से हटाकर उनका सनातन परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। उसके बाद केदारनाथ में परंपरा के अनुसार पूजा शुरू होनी चाहिए। केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग के उस दावे को शंकराचार्य ने खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वयं को जगदगुरु बताया था। शंकराचार्य ने कहा कि वे वहां के केवल रावल हैं। कौन सा जगदगुरु वेतनभोगी होता है। उन्होंने कहा कि स्वार्थ के लिए रावल उखीमठ में पूजा की बात कह रहे हैं। इसमें व्यावसायिक दृष्टिकोण छिपा हुआ है। केदारनाथ में सिद्ध शिवलिंग है। इसलिए वहां प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि रावल को अब केदारनाथ में पूजा अर्चना नहीं करने दी जाएगी।

शंकराचार्य ने केदारनाथ भेजा शिष्य, संतों पर असमंजस

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केदारनाथ की स्थिति का पता लगाने अपने एक शिष्य को रवाना कर दिया है। शंकराचार्य आश्रम कनखल से दी सूचना के अनुसार आत्मानंद जौलीग्रांट एयरपोर्ट से केदारनाथ जाएंगे। बुधवार दोपहर शंकराचार्य आश्रम से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के हवाले से बताया कि आत्मानंद को केदारनाथ की स्थिति से संतों को अवगत कराने के लिए केदारनाथ धाम भेजा है। आगे की रणनीति उनकी ओर से दी गई जानकारी के आधार पर बनाई जाएगी। वहीं संतों के केदारनाथ जाने के लिए मंगलवार को शंकराचार्य ने सरकार को भेजे पत्र का बुधवार शाम तक कोई जवाब नहीं आया है। उधर, जौलीग्रांट एयरपोर्ट रवाना होने से पहले दैनिक जागरण से बातचीत में आत्मानंद से बताया कि वे हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाएंगे। सरकार ने कोई बंदोबस्त न किया तो वे शंकराचार्य के आदेश पर स्वयं के खर्चे पर हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाएंगे।

मंदिर समिति का नौकर बताना गद्दी का अपमान: रावल

गोपेश्वर [चमोली]। केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग शिवाचार्य महाराज ने कहा कि मुझे मंदिर समिति का कर्मचारी कहकर शंकराचार्य ने केदारनाथ की परंपरा व गद्दी का अपमान है। मैंने मंदिर समिति से नौकरी के रूप में आज तक कोई भी धन नहीं लिया है।

हैदराबाद से दूरभाष पर जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ में पूजा परंपरा में रावल पुजारी के रूप में होते हैं। वे केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं, जबकि केदारनाथ में रावल गद्दी स्थान पर विराजमान होते हैं। उनसे दीक्षा प्राप्त वीर शैवलिंगायत संप्रदाय के जंगम लोगों में से पांच शिष्यों में से कोई भी एक पूजा करता है। हर वर्ष केदारनाथ की पूजा रावल से दीक्षित शिष्यों में से कोई भी कर सकते हैं। परंपरा के अनुसार केदारनाथ में पूजा करने वाले का ब्रह्मचारी होना जरूरी नहीं है। रावल को ही ब्रह्मचारी, सन्यासी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में पूजा परंपरा का ज्ञान केदारघाटी की जनता, विद्वानों को भली भांति पता है। ऐसे में ज्योर्तिपीठ के शंकराचार्य उन्हें मंदिर समिति का नौकर कहकर अपमानित कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि उन्होंने मंदिर समिति से वेतन के रूप में कोई भी धनराशि आज तक नहीं ली है।

शंकराचार्य परंपरा पर बोलते हुए श्री शिवाचार्य महाराज ने कहा कि देश में धर्म की रक्षा के लिए चार आदि गुरु शंकराचार्य ने चार शंकराचार्यो को चार पीठों में बैठाया गया था। वीर शैवलिंगायत संप्रदाय परंपरा में पांच पंचाचार्यो को उस संप्रदाय के लोग जगत गुरु का स्थान देते है। पांच पीठों में से कर्नाटक के रंभापुरी में वीर पीठ, कर्नाटक के उज्जैनी में सधर्म पीठ, उत्तराखंड के ऊखीमठ ओंकारेश्वर मंदिर में हिमवत केदार बैराग्य पीठ, आंध्र प्रदेश के श्री शैल में सूर्य पीठ तथा उत्तर प्रदेश के काशी में ज्ञान पीठ है। इनमें से केदारनाथ के रावल को केदार जगत गुरु के रूप में वीर शैवलिंगायत संप्रदाय में पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान केदारनाथ की विग्रह मूर्ति की पूजा ऊखीमठ में की जा रही है। यह धन कमाने के लिए नहीं बल्कि भगवान की भक्ति का एक माध्यम है। उन्होंने सन्यासी के रूप में न केवल धर्म प्रचार बल्कि पूजा परंपरा के निर्वहन के लिए अपने जीवन के हर क्षण बिताए हैं। शंकराचार्य के केदारनाथ की पूजा में विध्न डालने संबंधी बयान पर रावल ने कहा कि यह कृत्य धर्म और परंपरा के विपरीत होगा और इसे लोग कभी माफ नहीं करेंगे। वे भी अपने जीते जी केदारनाथ की धार्मिक परंपराओं को खंडित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में मरण शूतक के कारण अभी पूजा संभव नहीं है। जब मंदिर समिति गर्भ गृह व मंदिर की सफाई कर देगी। इसके बाद शुद्धिकरण कर बाबा केदारनाथ की पूजा परंपरा के अनुसार फिर से शुरू होगी।

केदारनाथ में ही हो केदारेश्वर की पूजा: अविमुक्तेश्वरानंद

हरिद्वार। केदारनाथ के रावल पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के साथ ही उनके शिष्यों ने तीखा हमला किया है। शंकराचार्य के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि केदारनाथ के रावल को परंपरा, व्यवहार व शास्त्र का ज्ञान नहीं है। केदारेश्वर की पूजा ओंकारेश्वर में नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि रावल मरण सूतक की बात कह रहे हैं, लेकिन वे यह बताएं की कौन से मंदिर में मृत्यु होने के बाद पूजा नहीं की जाती। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जिस मूर्ति को लेकर उखीमठ आने की बात कही जा रही है, उसको लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। वास्तव में कोई पुजारी मूर्ति लेकर आया तब भी वह गलत है। उन्होंने कहा कि माधवाश्रम महाराज आदि शंकराचार्य की समाधि केदारनाथ में न होने का बयान दे रहे हैं। यह शास्त्रों में की बातों के विरुद्ध है।

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