लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलवाएगा रेलवे

महिला और बाल विकास मंत्रालय ने रेलवे परिसर में मिलने वाले घर से भागे और लापता बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया है। साथ ही रेलवे उनकी देखभाल करते हुए उन्हें पर्याप्त भोजन, कपड़े और दवाएं मुहैया कराएगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Thu, 05 Mar 2015 06:30 PM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2015 07:34 PM (IST)
लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलवाएगा रेलवे

नई दिल्ली। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने रेलवे परिसर में मिलने वाले घर से भागे और लापता बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया है। साथ ही रेलवे उनकी देखभाल करते हुए उन्हें पर्याप्त भोजन, कपड़े और दवाएं मुहैया कराएगी।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) को लांच किया ताकि रेलवे परिसर में मिलने वाले बच्चों की सुरक्षा की व्यवस्था हो और उनकी समुचित देखभाल हो सके।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय अब रेलवे के साथ मिलकर आधिकारिक रूप से इन बच्चों के अधिकारों की रक्षा करेगा। घर से दूर रेलवे को अपना बसेरा बना चुके इन मासूमों को वापस इनके परिवारों से मिलाने की मुहिम शुरू की जाएगी।

उन्होंने कहा कि ऐसे लावारिस बच्चों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि तीन से पांच लाख है। ये बच्चे दर-ब-दर होकर एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहते हैं। फिर या तो इन बच्चों की तस्करी हो जाती है या फिर ये अपना घर छोड़कर आए होते हैं या फिर ये बच्चे खो जाते हैं।

इन बच्चों को रेल विभाग की मदद से उनके घरवालों से मिलवाया जाएगा। जिनके लिए यह संभव नहीं होगा उन बेघर बच्चों को शेल्टर होम्स में भेजने का प्रबंध किया जाएगा। नेशनल कमिशन फार प्रोटेक्शन फार चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) के आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर रेल विभाग ने ऐसे बीस रेलवे स्टेशनों की पहचान की है जहां एसओपी को लागू किया जाएगा।

मेनका गांधी ने कहा कि वह चाहती हैं कि इस योजना में अगले दो महीने में दो सौ और स्टेशनों को शामिल किया जाए और उसके बाद भी ये तादाद बढ़ती रहे।

chat bot
आपका साथी