फरीदाबाद: इन सवालों में उलझी है सुनपेड़ कांड की गुत्थी!

हरियाणा के फरीदाबाद के पास सुनपेड़ गांव में जो हादसा हुआ वो वाकई दिल दहला देने वाला है। मामला तब और गंभीर हो गया जब मामले ने तूल पकड़ लिया। फिलहाल राज्य सरकार ने दलित परिवार की सभी मांगों सो मान लिया है। और इस मामले में सीबीआइ जांच हो

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2015 10:19 AM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2015 01:29 PM (IST)
फरीदाबाद: इन सवालों में उलझी है सुनपेड़ कांड की गुत्थी!

फरीदाबाद। हरियाणा के फरीदाबाद के पास सुनपेड़ गांव में जो हादसा हुआ वो वाकई दिल दहला देने वाला है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब तूल पकड़ लिया। फिलहाल राज्य सरकार ने दलित परिवार की सभी मांगों को मान लिया है। इस मामले में सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी है। पुलिस ने अब तक सात लोगों के गिरफ्तार भी कर लिया है।

लेकिन इस हादसे की सच्चाई कितने लोग जानते हैं। इस गांव में दलित परिवार को मारने की साजिश किसने रची। यह सब जानने के लिए हमें पूरे घटनाक्रम को जानना होगा।

दलित समाज के पूरे परिवार को जिंदा जलाने की साजिश रची गई और इसमें दो मासूमों की मौत हो गई जबकि बच्चों के माता पिता घायल हो गए। मामले में सूबे के मुखिया मनोहर लाल खट्टर ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान भी कर दिया तो वहीं पुलिस प्रशासन ने आनन फानन में एसएचओ समेत आठ पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया।

इस घटना एक पहलू ये भी हैः

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अब इसका दूसरा पहलू हम आपको बताते हैं। 5 अक्टूबर साल 2014 ये वो दिन था जब सवर्ण समाज के लोगों का दलित समाज के लोगों से मोबाइल को लेकर झगड़ा हो गया था। झगड़ा इतना बढ़ गया कि दलित समाज के लोगों ने सवर्ण समाज के तीन लोगों की हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस ने दलित समाज के 11 लोगों को जेल भेजा था, जिसमें दो महिलाएं भी शामिल थीं। फिलहाल दोनों महिलाएं जमानत पर जेल से बाहर हैं।

इस मामले में दलित समाज के लोगों ने जिन लोगों पर आग लगाने का आरोप लगाया है उस पक्ष के लोगों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने सरकार, विपक्ष और पुलिस प्रशासन को सवालों के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया। सवर्ण समाज के पक्ष का कहना है कि जब उनके परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी उस समय ये नेता कहां थे?

इन लोगों का ये भी कहना है कि दलित समाज के इस परिवार को पहले से ही पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी और जब सभी लोग एक ही बेड पर सोए हुए थे तो इसमें सिर्फ बच्चों की ही मौत क्यों हुई और महिला ही इतनी ज्यादा क्यों झुलसी? उसका पति साफ बच गया उसके हाथ थोड़ा बहुत ही जले हैं। सवर्ण समाज के परिवार के ये सवाल जांच कराने के लिए मजबूर जरूर करते हैं।

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