तिमाही रिपोर्ट में सामने आई सरकारी बैंकों की खस्ता हालत

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत में सुधार की उम्मीद लगाए बैठी है, मगर इनका प्रदर्शन बिल्कुल ही दूसरी कहानी कह रहा है। फंसे कर्जे (एनपीए) से जूझ रहे सरकारी बैंकों की स्थिति और भी खराब हो गई है।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2015 09:33 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2015 09:44 PM (IST)
तिमाही रिपोर्ट में सामने आई सरकारी बैंकों की खस्ता हालत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत में सुधार की उम्मीद लगाए बैठी है, मगर इनका प्रदर्शन बिल्कुल ही दूसरी कहानी कह रहा है। फंसे कर्जे (एनपीए) से जूझ रहे सरकारी बैंकों की स्थिति और भी खराब हो गई है। इसकी काट न तो सरकार के पास है और न ही इन बैंकों के प्रबंधन के पास। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), सिंडिकेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ), यूनियन बैंक के मुनाफे में 22 से लेकर 74 फीसद तक की गिरावट आई है।

मंगलवार को करीब आधा दर्जन सरकारी बैंकों ने अप्रैल से जून, 2015 की तिमाही के वित्तीय नतीजों का एलान किया। देश का दूसरा सबसे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी का शुद्ध लाभ 49 फीसद घटकर 721 करोड़ रुपये रह गया है। हाल के दिनों में बैंक के शुद्ध मुनाफे में यह सबसे बड़ी गिरावट है। बैंक का कहना है कि फंसे कर्जे (नॉन परफॉरमिंग असेट्स) की राशि का समायोजन करने के लिए उसे रेवेन्यू के एक हिस्से का इस्तेमाल करना पड़ता है। इससे मुनाफा कम हुआ है। इस तिमाही में पीएनबी का सकल एनपीए 25,397 करोड़ रुपये का रहा है। पिछले वर्ष की पहली तिमाही में यह राशि 19,603 करोड़ रुपये थी। जानकार मानते हैं कि किसी भी वित्तीय मानक पर पीएनबी का प्रदर्शन उम्मीद जगाने वाला नहीं है।

यही हाल बैंक ऑफ इंडिया का रहा है। पिछली तिमाही में बीओआइ का शुद्ध मुनाफा 84 फीसद घटकर 129.72 करोड़ रुपये रह गया। एक अन्य सरकारी बैंक सिंडिकेट बैंक का शुद्ध लाभ 32 फीसद कम होकर 302 करोड़ रुपये रहा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का मुनाफा भी 22 फीसद घटकर 519 करोड़ रुपये हो गया। कमोबेश यही हाल इंडियन ओवरसीज बैंक (आइओबी) का भी रहा है। इनके खराब प्रदर्शन के लिए फंसे कर्जे की समस्या ही जिम्मेदार है। इन सभी बैंको का एनपीए स्तर पिछली तिमाही में बढ़ा है। इसके लिए इन्हें अधिक राशि का समायोजन करना पड़ा है।

बिगड़ती जा रही समस्या

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने बैंकों के साथ बैठक के बाद उम्मीद जताई थी कि एनपीए की समस्या अब धीरे-धीरे खत्म होगी। लेकिन इन बैंकों के आंकड़े बताते हैं कि यह समस्या और बिगड़ती जा रही है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी मूडीज की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि इन बैंकों की समस्या अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। नई सरकार के सत्ता में आने के बाद भी यह समस्या बिगड़ती जा रही है। इससे निबटने के लिए केंद्र सरकार अभी तक कुछ खास नहीं कर पाई है।

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