लॉकडाउन के बाद हालात सामान्य करने के लिए बनाई गईं 10 कमेटियां, देंगी जरूरी कदमों का सुझाव
लॉकडाउन से हर सेक्टर को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को अभी से पटरी पर लाने की कवायदें शुरू कर दी हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना से लड़ने की दिशा में सरकार कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है। दुनिया के तमाम देशों की तुलना में वायरस के संक्रमण को रोकने की दिशा में बेहद सक्रियता से कदम बढ़ाते हुए भारत में 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया गया है। इसे संक्रमण की कड़ी को तोड़ने और इस महामारी को स्टेज-3 यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्तर पर पहुंचने से रोकने में बहुत अहम माना जा रहा है। अब सरकार ने लॉकडाउन के आगे की स्थिति से निपटने की दिशा में भी सोचना शुरू कर दिया है। इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने 10 अलग-अलग कमेटियों का गठन किया।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ये कमेटियां लॉकडाउन से विभिन्न सेक्टर पर पड़ने वाले असर का आकलन करेंगी और सब कुछ जल्द से जल्द सामान्य करने के लिए जरूरी कदमों का सुझाव देंगी। सूत्रों के मुताबिक, सभी कमेटियां पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा की निगरानी में काम करेंगी। इनमें से 'इकोनॉमी एंड वेलफेयर' कमेटी आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में गठित की गई है। यह कमेटी कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था के औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों सेग्मेंट के सामने आई मुश्किलों पर विचार करेगी।
हर कमेटी में छह सदस्य होंगे, जिनमें पीएमओ एवं कैबिनेट सचिवालय से एक अधिकारी होंगे, इससे सुझावों एवं उनके क्रियान्वयन में देरी नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न विभागों के करीब 20 सचिव एवं 40 अन्य अधिकारी पहले से ही विभिन्न मुद्दों पर काम शुरू कर चुके हैं। नई गठित सभी कमेटियों को अपने संबंधित सेक्टर को लेकर हफ्तेभर में सुझाव देने को कहा गया है।
कमेटियां जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राहत के विभिन्न कदमों का सुझाव देगी। लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं कमेटी की प्राथमिकताओं में रहेंगी। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल और पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा की अगुआई में भी दो कमेटियों का गठन किया गया है। ये कमेटियां मेडिकल इमरजेंसी, दवाओं व मेडिकल उपकरणों की निर्बाध आपूर्ति और अस्पतालों की उपलब्धता पर काम करेंगी। एक अन्य कमेटी कोरोना के कारण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय पर बढ़े दबाव को कम करेगी और अन्य जरूरी संभावनाओं पर विचार करेगी। इसी तरह सभी कमेटियों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।