प्रणब मुखर्जी को 13 साल पहले एक दुर्घटना में सिर में आई थी चोट, इलाज करने वाले डॉक्टर ने दी जानकारी

साल 2007 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की कार मुर्शिदाबाद से कोलकाता लौटते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उनका इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि दर्द के बाद भी वे बेहद शांत थे।

By TaniskEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 12:27 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 12:27 PM (IST)
प्रणब मुखर्जी को 13 साल पहले एक दुर्घटना में सिर में आई थी चोट, इलाज करने वाले डॉक्टर ने दी जानकारी
प्रणब मुखर्जी को 13 साल पहले एक दुर्घटना में सिर में आई थी चोट, इलाज करने वाले डॉक्टर ने दी जानकारी

कोलकाता, पीटीआइ।  दिल्ली में धौला कुआं स्थित आर्मी आरआर (रिसर्च एंड रेफरल) अस्पताल में भर्ती पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हालत ब्रेन सर्जरी के बाद से नाजुक बनी हुई है। इसी बीच 13 साल पहले एक कार दुर्घटना के बाद उनका इलाज करने वाले पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के एक डॉक्टर ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि बेहिसाब दर्द के बाद भी वे बेहद शांत थे। स्त्री रोग विशेषज्ञ और कृशनगर के एक नर्सिंग होम चलाने वाले डॉ. बासुदेव मंडल ने 7 अप्रैल, 2007 की रात को याद करते हुए कहा उस दिन मुर्शिदाबाद जिले से कोलकाता लौटते समय प्रणब मुखर्जी की कार नादिया जिले के नकासीपारा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। 

समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार प्रणब उस समय विदेश मंत्री थे। इस दौरान एक ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी।  उन्हें सिर में चोट आई। उन्हें पहले एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां उनकी उनके सिर पर टांके लगाए गए और फिर उन्हें कृशनगर के एक सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया गया। मंडल ने फोन पर पीटीआइ को बताया कि अस्पताल में सीटी स्कैन और एक्स-रे की सुविधा नहीं थी। इसके बाद मुझे जिला प्रशासन के अधिकारियों का फोन आया। उन्होंने मुझे सभी सुविधाएं तैयार करने के लिए कहा क्योंकि वे को मेरे नर्सिंग होम में शिफ्ट होने वाले थे। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री को एसएसकेएम अस्पताल से आए कुछ डॉक्टरों की देखरेख में नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।

प्रणब मुखर्जी दर्द से पीड़ित होने के बाद भी बहुत शांत थे

प्रणब मुखर्जी दर्द से पीड़ित होने के बाद भी बहुत शांत थे। हमने टेस्ट किए और पाया कि कोई अंदरुनी चोट नहीं है। बाद में उन्हें कोलकाता ले जाया गया। पांच साल बाद राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे डॉक्टर को नहीं भूले। मंडल ने कहा कि 2016 में, मैं उन्हें दुर्गा पूजा के दौरान बीरभूम जिले में अपने पैतृक घर में एक कार्यक्रम के लिए उन्हें आमंत्रित करने गया था। उन्होंने तुरंत उस घटना को याद किया और मुझसे वादा किया कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उन्होंन अपना वादा भी निभाया।

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