क्षेत्रीय सूरमा

राज्यों में कई पार्टियां ऐसी हैं जो पूरी तरह से परिवार के कब्जे में हैं। उन परिवारों के ही अधिकांश सदस्य पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। वंशवृक्ष सीरीज की चौथी कड़ी में अतुल चतुर्वेदी की एक नजर: फारुख अब्दुल्ला [1

By Edited By: Publish:Fri, 28 Mar 2014 12:26 PM (IST) Updated:Fri, 28 Mar 2014 12:48 PM (IST)
क्षेत्रीय सूरमा

राज्यों में कई पार्टियां ऐसी हैं जो पूरी तरह से परिवार के कब्जे में हैं। उन परिवारों के ही अधिकांश सदस्य पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। वंशवृक्ष सीरीज की चौथी कड़ी में अतुल चतुर्वेदी की एक नजर:

फारुख अब्दुल्ला [1937]

शेर-ए-कश्मीर कहे जाने वाले शेख अब्दुल्ला (1905-1982) के पुत्र फारुख अब्दुल्ला नेशनल कांफ्रेंस के नेता हैं। केंद्र सरकार में मंत्री हैं। इनके पुत्र उमर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं। फारुख श्रीनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। इनकी पुत्री सारा अब्दुल्ला की शादी सचिन पायलट से हुई है। सचिन राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। केंद्र सरकार में कारपोरेट मामलों में मंत्री रह चुके हैं और अजमेर से चुनाव लड़ रहे हैं।

लालू प्रसाद यादव [1948]

राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया। बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं। 1996 के चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद सारण से लोकसभा सदस्यता चली गई। अबकी बार चुनावों में परिवार के दो सदस्य पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। पत्नी राबड़ी देवी सारण से और सबसे बड़ी बेटी मीसा पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ रही हैं। लालू प्रसाद के साले साधु यादव सारण में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी बहन को चुनौती दे रहे हैं।

अजीत सिंह [1939]

चौधरी चरण सिंह के पुत्र अजीत सिंह राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नेता हैं। केंद्र सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। परिवार के दो सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। वह खुद उत्तर प्रदेश के बागपत से चुनाव लड़ रहे हैं। पुत्र जयंत मथुरा से सांसद हैं। वह दोबारा इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

रामविलास पासवान [1946]

एक जमाने में सबसे अधिक वोटों से हाजीपुर (बिहार) से चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाने वाले रामविलास पासवान ने लगातार केंद्रीय मंत्री रहने का रिकॉर्ड भी बनाया है। उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पूरी तरह से परिवार के कब्जे में है। पिछली बार चुनाव हार गए थे। 2002 में नरेंद्र मोदी के कारण ही राजग खेमे से हटने वाले पासवान इस बार अपनी खोई हुई सियासी जमीन हासिल करने के लिए भाजपा से ही गठबंधन कर चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं। बिहार की 40 संसदीय सीटों में से भाजपा के साथ हुए समझौते में उनको सात सीटें मिली हैं। उनमें से तीन सीटों पर वह खुद, भाई रामचंद्र और पुत्र चिराग पासवान चुनाव लड़ रहे हैं। फिल्मों में किस्मत आजमा चुके चिराग को लोजपा के भविष्य के नेता के रूप में देखा जा रहा है।

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