Politics on Vaccine : निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने पर बरसे केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, बोले- राजस्‍थान में कूड़े में पड़ी है वैक्‍सीन

निजी अस्पतालों को वैक्सीन देने का फैसला भले ही पंजाब सरकार ने वापस ले लिया हो लेकिन इसके पीछे की मंशा को लेकर भाजपा हमलावर हो गई है। निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने के पीछे पार्टी ने मुनाफाखोरी का आरोप लगाया।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 09:04 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 09:42 PM (IST)
Politics on Vaccine : निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने पर बरसे केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, बोले- राजस्‍थान में कूड़े में पड़ी है वैक्‍सीन
निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने पर बरसे केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। निजी अस्पतालों को वैक्सीन देने का फैसला भले ही पंजाब सरकार ने वापस ले लिया हो, लेकिन इसके पीछे की मंशा को लेकर भाजपा हमलावर हो गई है। निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने के पीछे पार्टी ने मुनाफाखोरी का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने वैक्सीन की कमी को लेकर केंद्र को कठघरे में शामिल करने वाले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा।

कांग्रेस शासित राज्‍यों पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा कि राहुल सवाल करते हैं कि हमारे बच्चों की वैक्सीन कहां है, जवाब है कि राजस्थान में वैक्सीन कूड़े में हैं और पंजाब में उस पर मुनाफा कमाया जा रहा है। सरकार की ओर से सस्ते में खरीदी गई वैक्सीन को निजी अस्पतालों को बेचने की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पुरी ने कहा कि पंजाब में कोरोना टीकाकरण के इंचार्ज विकास गर्ग ने 29 मई को बताया था कि कोविशील्ड की 4.29 लाख डोज राज्य सरकार ने 13.25 करोड़ में खरीदी थीं और एक डोज की औसत कीमत 309 रुपये पड़ी।

निजी अस्पतालों में धड़ल्‍ले से बेची जा रही है वैक्‍सीन

वहीं, कोवैक्सीन की 1,14,190 डोज 4.70 करोड़ रुपये में खरीदी गईं, इसकी एक डोज की औसत कीमत 412 रुपये पड़ी। हैरानी की बात है कि सरकार एक डोज 309 रुपये में खरीद रही है और निजी अस्पताल को 1,000 रुपये में दे रही है और वे उसे 1,560 रुपये में बेच रहे हैं। इस तरह लोग मुफ्त वैक्सीन की पांच गुना कीमत चुका रहे हैं। घोटाले के बड़े आयाम की ओर इशारा करते हुए पुरी ने कहा कि मोहाली में दो निजी अस्पताल वैक्सीन की एक डोज 3,000 रुपये में भी दे रहे हैं। पुरी ने कहा कि पंजाब सरकार के फैसला वापसी के निर्देश में ही भ्रष्टाचार छिपा हुआ नजर आ रहा है। यह किसी अधिकारी की गलती नहीं है। पंजाब सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि आखिर मुनाफा कमाने का फैसला क्यों लिया गया।-

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