छत्रपति शिवाजी महाराज की 388वीं जयंती आज, PM मोदी ने ऐसे किया याद

छत्रपति शिवाजी महाराज की 388वीं जयंती आज। पीएम मोदी ने ट्विटर पर वीडियो शेयर कर दी शिवाजी महाराज को श्रद्धाजंलि।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Mon, 19 Feb 2018 10:16 AM (IST) Updated:Mon, 19 Feb 2018 10:19 AM (IST)
छत्रपति शिवाजी महाराज की 388वीं जयंती आज, PM मोदी ने ऐसे किया याद
छत्रपति शिवाजी महाराज की 388वीं जयंती आज, PM मोदी ने ऐसे किया याद

नई दिल्ली (जेएनएन)। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 388वीं जयंती है। देश के कई कोनों में शिवाजी महाराज की जयंती पूरे धूमधाम से मनाई जा रही है। भोपाल में शिवाजी की जयंती के अवसर पर चेतना रैली निकाली गई। कई जगहों पर शिवाजी महाराज की आकर्षक झांकियां भी निकाली गईं। इस मौके पर पीएम मोदी ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज को याद किया। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए शिवाजी महाराज को श्रद्धाजंलि अर्पित की।

शिवाजी ने रखी मराठा साम्राज्य की नींव

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोसले भी डेक्कन की सेना में सेनापति थे। वह भारत के महान योद्धा थे। उन्होंने भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। छापामार युद्ध की नई शैली विकसित की। वह एक अच्छे सेनानायक के साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने नौसेना भी तैयार की। भारतीय नौसेना का उन्हें जनक माना जाता है। शिवाजी ने अपने शौर्य और वीरता का ऐसा परचम हराया कि 1676 में उन्हें छत्रपति की उपाधि से नवाजा गया।

शिवाजी  महाराज का जीवन

शिवाजी की मां का नाम जीजाबाई व पिता का नाम शाहजी भोंसले था। कहा जाता है कि उनके जीवन पर उनके माता-पिता का गहरा प्रभाव था। माता जीजाबाई से वीरता की कहानियां सुनकर शिवाजी बड़े हुए और उन्हें गुरु स्वामी रामदास का सानिध्य प्राप्त हुआ। शिवाजी अपने गुरु का बहुत सम्मान करते थे। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने ताउम्र गुरु की चरण पादुका रखकर शासन किया।

फारसी की जगह मराठी व संस्कृत को दी प्राथमिकता

शिवाजी महाराज ने फारसी की जगह मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। उनके प्रशासकीय कार्यों में मदद के लिए 8 मंत्रियों की एक परिषद थी, जिन्हें अष्टप्रधान कहा जाता था। शिवाजी के साम्राज्य में पंडितों की तरह संत-फकीरों को भी सम्मान प्राप्त था। वह अपने अभियानों का आरंभ अक्सर दशहरा के अवसर पर किया करते थे।

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