प्रधान डाकघरों से भी बनेंगे पासपोर्ट

पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन 25 जनवरी को कर्नाटक के मैसूर और गुजरात के दाहोद में होगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Tue, 24 Jan 2017 07:36 PM (IST) Updated:Tue, 24 Jan 2017 09:45 PM (IST)
प्रधान डाकघरों से भी बनेंगे पासपोर्ट
प्रधान डाकघरों से भी बनेंगे पासपोर्ट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब डाकघर पासपोर्ट बनाने का काम भी करेंगे। पासपोर्ट सेवा केंद्रों में पासपोर्ट आवेदकों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट बनाने की कुछ जिम्मेदारी डाक विभाग को सौंपने की योजना बनाई है। शुरू में दो प्रधान डाकघरों में इसका पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। कामयाब होने पर इसे देश के सभी प्रधान डाकघरों में लागू किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन 25 जनवरी को कर्नाटक के मैसूर और गुजरात के दाहोद में होगा।

भारत सरकार हर साल तकरीबन डेढ़ करोड़ आवेदकों को पासपोर्ट जारी करती है। यह संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। अभी पासपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी देश भर में फैले 38 क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों तथा उनसे संबद्ध 89 पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पीएसके) पर है। पीएसके का संचालन निजी भागीदारी में टाटा समूह की कंपनी टीसीएस द्वारा किया जाता है, जो पासपोर्ट आवेदकों को विश्र्वस्तरीय सुविधाएं एवं सेवाएं उपलब्ध कराती है। लेकिन पासपोर्ट आवेदकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये पीएसके नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसलिए सरकार ने पीएसके की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। आने वाले कुछ महीनों के दौरान मध्य प्रदेश में इंदौर, राजस्थान में उदयपुर, पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी तथा महाराष्ट्र में शोलापुर में एक-एक कर कुल चार पीएसके खोले जाएंगे।

इसके अलावा पासपोर्ट बनाने में डाक विभाग की भी मदद ली जाएगी। इसके तहत देश के विभिन्न जिलों में स्थित प्रधान डाकघरों का इस्तेमाल पासपोर्ट सेवा केंद्रों के तौर पर किया जाएगा। इन पासपोर्ट सेवा केंद्रों को पोस्ट आफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) नाम से पुकारा जाएगा।

यही नहीं, पासपोर्ट आवेदनों को तेजी से निपटाने के लिए सरकार देश भर में पासपोर्ट शिविरों का आयोजन भी कर रही है। पिछले वर्ष इस तरह के 80 शिविरों में 34111 पासपोर्ट आवेदन स्वीकार किए गए।

chat bot
आपका साथी