महिला शौचालयों में पैड मुहैया करा रहा यह 'पैड हीरो', बड़ी प्रेरक है इनकी कहानी

कोलकाता के शोभन मुखर्जी की प्रेरक कहानी। कोलकाता नगर निगम के 70 शौचालयों में लगा चुके हैं सैनेटरी पैड बॉक्स। इनमें नियमित पैड रखने का जिम्मा भी खुद ही संभाल रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 10:06 PM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 10:09 PM (IST)
महिला शौचालयों में पैड मुहैया करा रहा यह 'पैड हीरो', बड़ी प्रेरक है इनकी कहानी
महिला शौचालयों में पैड मुहैया करा रहा यह 'पैड हीरो', बड़ी प्रेरक है इनकी कहानी

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। कोलकाता नगर निगम के सार्वजनिक शौचालयों के गेट पर आपको छोटा सा लकड़ी का बक्सा टंगा दिखेगा। लगेगा कि लेटर बॉक्स है, लेकिन उसके अंदर पत्र नहीं, सैनेटरी पैड हैं। यह व्यवस्था उन महिलाओं के लिए सहूलियत का सबब बन गई है, जिन्हें घर से बाहर रहने और अचानक पीरियड्स की स्थिति में परेशान होना पड़ सकता था। 

महिलाओं की इस परेशानी को शहर के एक युवा ने महसूस किया और इसके समाधान को ठोस कदम भी उठाया। ये उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज निगम के 70 सार्वजनिक शौचालयों में ऐसे बॉक्स लगे हैं, जहां आसानी से सैनेटरी पैड उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं, यहां ब्रांडेड सैनेटरी पैड के लिए सिर्फ तीन रुपये देने पड़ते हैं, जो बाजार में मिलने वाले इन्हीं पैड के मुकाबले कहीं कम है। उन्होंने बंधन सैनेटरी पैड नामक एप भी बनवाया है, जिसमें इस सुविधा वाले शौचालयों के बारे में सारी जानकारियां उपलब्ध हैं।

कोलकाता में 23 साल के शोभन मुखर्जी अब पैड मैन के रूप में मशहूर हो चले हैं। उनकी बदौलत कामकाजी महिलाओं के 'मुश्किल दिन' आसान हो गए हैं। उन्होंने इस बक्से को 'बंधन' नाम दिया है। बकौल शोभन, महिलाओं की इस समस्या को खत्म करने के लिए हम सबको मिलकर काम करने की जरूरत है। इसके लिए मानव बंधन तैयार करना होगा, इसलिए मैंने इस प्रयास को बंधन नाम दिया है।

दक्षिण कोलकाता के बांसद्रोणी इलाके के रहने वाले शोभन ने बताया, मैंने अक्टूबर, 2017 में अपनी एक महिला सहकर्मी को कार्यस्थल पर बेहद परेशानी का अनुभव करते देखा था। तभी से यह ठान लिया कि इसके समाधान को कुछ करूंगा। मैंने पहले 50 महिलाओं पर सर्वे किया, जिसमें 42 महिलाओं ने समय पर पैड न मिलने जैसी समस्या बताई। इसके बाद मैंने अपने खुद कुछ रुपये लगाकर एक हजार सैनेटरी पैड खरीदे और बांसद्रोणी के एक सार्वजनिक शौचालय में उन्हें टेबल पर रखवा दिया।

यह पूरी तरह नि:शुल्क था। उसके बाद जब देखा कि वाकई इनकी जरूरत महिलाओं को पड़ती है, तब वहां बक्सा लगाकर उसमें सैनेटरी पैड भर दिए। अपनी जेब से हर महीने नि:शुल्क पैड बांटना मेरे लिए संभव नहीं था। लेकिन मेरे प्रयास की जानकारी मिलने पर एक सैनेटरी पैड वितरक मेरी मदद को आगे आए। वे उत्पादन लागत पर मुझे पैड मुहैया करा रहे हैं। मुझे 3.30 रुपये में एक ब्रांडेड पैड देते हैं, जिसे मैं तीन रुपये में इन बक्सों के जरिए उपलब्ध कराता हूं। प्रत्येक पैड पर 30 पैसे की जो अतिरिक्त लागत आती है, वह मैं अपनी जेब से देता हूं। 70 शौचालयों से एक दिन में करीब हजार पैड का इस्तेमाल हो जाता है। प्रत्येक बक्से में 100 पैड रखे जाते हैं।

शोभन अपनी स्कूटी पर पैड का बंडल लादकर सुबह और शाम एक-एक चक्कर लगाते हैं, जिस शौचालय में पैड खत्म होने की खबर मिलती है, वहां पहुंच जाते हैं। शोभन को इस काम में परिवार का पूरा समर्थन मिला। उनके पिता सत्येंद्र मुखर्जी बैंक कर्मी व मां सुतपा मुखर्जी गृहिणी हैं। शोभन ने एमएससी तक की पढ़ाई की है। अपने प्रयास को को वह अब बंगाल के ग्रामीण इलाकों में ले जाना चाहते हैं।

बंगाल में पहला ट्रांसजेंडर शौचालय खोलने का भी श्रेय

बंगाल में पहला ट्रांसजेंडर शौचालय खोलने का श्रेय भी शोभन को जाता है। उनके अथक प्रयास से ही अगस्त, 2017 में बांसद्रोणी में निगम के शौचालय में ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की गई थी। शोभन ने अपनी उस पहल को त्रिधारा नाम दिया था। आज कोलकाता के गोलपार्क, गरिया, नाकतल्ला समेत विभिन्न इलाकों में 15 ट्रांसजेंडर शौचालय हैं। बता दें कि देश का पहला ट्रांसजेंडर शौचालय भोपाल में खुला था।

अक्षय कुमार ने दिया 'पैड हीरो अवार्ड'

शोभन के काम की तारीफ बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार भी कर चुके हैं। उन्होंने शोभन को 'पैड हीरो अवार्ड' से सम्मानित करने मुंबई भी आमंत्रित किया था।

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