51वें दिन दुष्कर्मी को फांसी की सजा, वीडियो कांफ्रेंसिंग से चार साल की बच्ची ने पहचाना

कोर्ट ने चालान पेश होने के 47 दिन बाद पांच पेशियों में यह फैसला सुनाया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 09:30 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 12:13 AM (IST)
51वें दिन दुष्कर्मी को फांसी की सजा, वीडियो कांफ्रेंसिंग से चार साल की बच्ची ने पहचाना
51वें दिन दुष्कर्मी को फांसी की सजा, वीडियो कांफ्रेंसिंग से चार साल की बच्ची ने पहचाना

नईदुनिया, सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले के परसमनिया के एक गांव में चार साल की मासूम से दुष्कर्म करने वाले महेंद्र गौंड को नागौद अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा ने बुधवार को (51वें दिन) फांसी की सजा सुनाई।

बच्ची ने दिल्ली से आरोपित की वीडियो कांफ्रेंसिंग में पहचान की। घटना एक जुलाई की रात की है। कोर्ट ने चालान पेश होने के 47 दिन बाद पांच पेशियों में यह फैसला सुनाया है। इसके अलावा पांच हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। बच्ची का इलाज एम्स, दिल्ली में चल रहा है।

अभियोजन पक्ष के फखरूद्दीन के मुताबिक एक जुलाई की रात महेंद्र ने चार साल की मासूम को घर से सोते समय अगवा कर दुष्कर्म किया था। मासूम के आवाज करने पर महेंद्र ने उसका गला दबा दिया और मरा समझकर जंगल में छोड़कर भाग गया।

घटना के दूसरे दिन महेंद्र (27) पिता कोदूलाल निवासी पन्ना को गिरफ्तार कर लिया गया। जिला लोक अभियोजक रामपाल सिंह ने बताया कि 34 दिन पुलिस जांच के बाद तीन अगस्त को कोर्ट में चालान पेश किया गया। इसके 47 दिनों में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया।

दिल्ली की जज ने लिए बयान 
सतना में फांसी की सजा देने का मामला कई मामलों में विशेष है। घटना के बाद गंभीर अवस्था को देखते हुए बच्ची को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। बच्ची अभी भी वहां भर्ती है और परिजन उसके साथ ही हैं।

इसी के मद्देनजर एम्स और सतना कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई थी। इसके माध्यम से पीडि़ता व उसके परिजनों ने महेंद्र की पहचान की और उसके खिलाफ गवाही दी। इससे पहले पीडि़ता के धारा 164 में बयान लेने के लिए दिल्ली कोर्ट से अनुरोध किया गया था। इस अनुरोध को मानते हुए दिल्ली कोर्ट से महिला जज ने एम्स में जाकर पीडि़ता के बयान दर्ज किए थे।

 इस साल 15 को फांसी की सजा 
डीजी (डायरेक्टर जनरल) अभियोजन राजेंद्र कुमार के मुताबिक इस साल मध्य प्रदेश में कुल 15 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें से 13 मामले बच्चियों से जुड़े हुए हैं, एक में पीडि़त बालक है और एक सामान्य हत्या का केस है। प्रदेश के इतिहास में किसी एक साल में फांसी की सजा सुनाने की यह सबसे बड़ी संख्या है।

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