Omicron Mutations: अब तक का सबसे ज्यादा म्युटेशन, ऐसे बनते हैं किसी वायरस के नए वैरिएंट

ऐसा वैरिएंट जिसमें कुछ ऐसे बदलाव मिले हों जिनसे वायरस की संक्रमण क्षमता और गंभीरता पर असर पड़ सकता है या वैरिएंट इम्यून सिस्टम को धोखा देने में सक्षम हो सकता है उसे वैरिएंट आफ इंटरेस्ट श्रेणी में रखते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 12:36 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 12:36 PM (IST)
Omicron Mutations: अब तक का सबसे ज्यादा म्युटेशन, ऐसे बनते हैं किसी वायरस के नए वैरिएंट
इसके घातक होने के बारे में अभी पर्याप्त आंकड़े नहीं मिले हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना महामारी का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन म्युटेशन के मामले में अब तक के सभी वैरिएंट पर भारी है। इसमें 50 से ज्यादा म्युटेशन पाए गए हैं। अकेले 32 म्युटेशन इसके स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को मनुष्य की कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है। अब तक की जानकारी बताती है कि यह पहले के विभिन्न वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक हो सकता है। इसके घातक होने के बारे में अभी पर्याप्त आंकड़े नहीं मिले हैं।

ऐसे बनते हैं किसी वायरस के नए वैरिएंट : एक व्यक्ति के शरीर से दूसरे के शरीर में पहुंचने के क्रम में अक्सर वायरस में कुछ बदलाव होने लगते हैं, जिन्हें म्युटेशन कहा जाता है। जितने ज्यादा लोग संक्रमित होते हैं, म्युटेशन की आशंका भी उतनी बढ़ती जाती है। यही म्युटेशन नए वैरिएंट के बनने का कारण होते हैं। सार्स-कोव-2 के मामले में चिंता की बात यही है कि इस समय जो वैरिएंट है, वह दो साल पहले वुहान में मिले वायरस से पूरी तरह अलग है। यही विज्ञानियों की चिंता का असली कारण है कि कहीं नया वैरिएंट मौजूदा टीकों के प्रभाव हो खत्म न कर दे। राहत की बात यह है कि अब तक किसी वैरिएंट को लेकर ऐसा प्रमाण नहीं मिला है।

वैरिएंट भी लड़ते हैं अस्तित्व की लड़ाई : ज्यादा संक्रमण की स्थिति में वायरस के वैरिएंट लगातार बनते रहते हैं। कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कागजों पर कोई वैरिएंट बहुत घातक जान पड़ता है, लेकिन असल जिंदगी में उनका उतना असर नहीं दिखता है। कोरोना वायरस का बीटा वैरिएंट इसका उदाहरण है। यह वैरिएंट इस साल की शुरुआत में मिला था। शोध में विज्ञानियों ने पाया कि बीटा वैरिएंट में इम्यून सिस्टम से बचकर निकलने की खूबी थी। इसलिए यह आशंका जताई गई कि इससे टीकों का प्रभाव कम हो सकता है। हालांकि कुछ समय बाद ही ज्यादा संक्रमण क्षमता वाले डेल्टा वैरिएंट ने अपनी जगह बना ली। धीरे-धीरे डेल्टा ने बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले लिया और बीटा वैरिएंट खत्म हो गया।

ऐसे बना ओमिक्रोन : विज्ञानियों का मानना है कि ओमिक्रोन ऐसे किसी व्यक्ति के शरीर में पनपा हो सकता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सही काम नहीं करती है और कई बार अपने ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है। एड्स के मरीज इसी श्रेणी में रखे जाते हैं। विज्ञानियों का कहना है कि किसी एड्स के मरीज के शरीर में ओमिक्रोन वैरिएंट विकसित हुआ होगा। डेल्टा वैरिएंट भी ऐसे ही किसी खास मरीज से पनपने का अनुमान है।

बचकर चलेंगे तो बचे रहेंगे : कम संक्रमण ही नए वैरिएंट को बनने से रोक सकता है। इसलिए मास्क, शारीरिक दूरी और हैंड सैनिटाइजेशन जैसे बचाव के सभी साधनों का प्रयोग करते रहना ही सही विकल्प है। इसके अलावा, टीकाकरण भी इससे बचने की अहम राह है। मौजूदा टीके अभी सभी वैरिएंट पर कारगर पाए गए हैं। पूर्ण टीकाकरण करा चुके व्यक्ति में संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। इससे संक्रमण की चेन टूटती है।

तीन श्रेणियों में बांटे गए हैं वैरिएंट : आमतौर पर समय के साथ हर वायरस में कुछ बदलाव यानी म्युटेशन होते रहते हैं। इनमें बहुत से बदलाव वायरस की मूल संरचना और उससे जुड़े खतरे पर कोई असर नहीं डालते हैं। वहीं कुछ बदलाव उसकी गंभीरता को बढ़ा देते हैं। सार्स-कोव-2 के मामले में भी ऐसा ही है। इन बदलावों के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वायरस के वैरिएंट्स को तीन श्रेणियों में बांटा है। वैरिएंट्स की गंभीरता के आधार पर इन श्रेणियों का निर्धारण होता है और समय के साथ श्रेणी बदलती रहती है।

वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग : जिस वैरिएंट की संरचना से उसके गंभीर होने की आशंका रहती है, लेकिन इस संबंध में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं होता है, तब उसे वीयूएम में रखा जाता है। ऐसे वैरिएंट समय के साथ निष्प्रभावी भी हो सकते हैं या फिर अन्य श्रेणी में जा सकते हैं। वीओआइ या वीओसी की श्रेणी में रखे गए वैरिएंट भी समय के साथ वीयूएम में आ सकते हैं।

वैरिएंट आफ इंटरेस्ट : ऐसा वैरिएंट जिसमें कुछ ऐसे बदलाव मिले हों, जिनसे वायरस की संक्रमण क्षमता और गंभीरता पर असर पड़ सकता है या वैरिएंट इम्यून सिस्टम को धोखा देने में सक्षम हो सकता है, उसे इस श्रेणी में रखते हैं।

वैरिएंट आफ कंसर्न : कोई वैरिएंट जब महामारी की स्थिति में बदलाव का कारण बनने लगता है और मौजूदा बचाव के तरीकों को चुनौती देने लगता है।

chat bot
आपका साथी