एक ही मामले में दो अलग कानूनों के तहत मुकदमा उचित : सुप्रीम कोर्ट

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गुटखा या पान मसाला की बिक्री, जमाखोरी आदि एफएसएस एक्ट के तहत दंडनीय हो सकता है

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 07:15 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 07:15 PM (IST)
एक ही मामले में दो अलग कानूनों के तहत मुकदमा उचित : सुप्रीम कोर्ट
एक ही मामले में दो अलग कानूनों के तहत मुकदमा उचित : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति पर एक ही मामले में दो अलग-अलग कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। लेकिन उसी अपराध के लिए दो बार सजा नहीं हो सकती है। जस्टिस एसए बोबडे और एल.नागेश्वर राव की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र पुलिस आइपीसी की धाराओं के तहत गुटखा या पान मसाला की ढुलाई, स्टाक रखने और बिक्री पर मुकदमा चला सकती है। जबकि इस अपराध के लिए खाद्य और सुरक्षा मानकों (एफएसएस) एक्ट के तहत भी दंड का प्रावधान है।

खंडपीठ ने गुटखा मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान में दो कानूनों के तहत अगर कोई अपराध दंडनीय है तो उन दोनों के तहत ही मुकदमा चलाया जा सकता है। उसे इन दोनों या किसी एक कानून के तहत सजा भी हो सकती है। लेकिन उसी अपराध के लिए उसे दो बार दंडित नहीं किया जा सकता है।

खंडपीठ ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील की सुनवाई कर रही है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गुटखा या पान मसाला की बिक्री, जमाखोरी आदि एफएसएस एक्ट के तहत दंडनीय हो सकता है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत नहीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बांबे हाईकोर्ट ने अपना फैसला देने में गलती की है। उससे आइपीसी की धारा 188 की व्याख्या में भी गलती हुई है।

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