नट गिरोह ने अपने बच्चों को झोंक दिया भिक्षावृत्ति में, मुंबई से हावड़ा तक फैला है मूवमेंट

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 35 किलोमीटर दूर तिल्दा में तीन नटों की बस्तियां हैं। जहां तेजी से नट गिरोह चलाया जा रहा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 09 May 2019 11:26 PM (IST) Updated:Thu, 09 May 2019 11:26 PM (IST)
नट गिरोह ने अपने बच्चों को झोंक दिया भिक्षावृत्ति में, मुंबई से हावड़ा तक फैला है मूवमेंट
नट गिरोह ने अपने बच्चों को झोंक दिया भिक्षावृत्ति में, मुंबई से हावड़ा तक फैला है मूवमेंट

रायपुर, जेएनएन। एक ऐसा भी तबका है, जो खुद के मासूमों को पढ़ाने-लिखाने के बजाय उन्हें तीन से चार साल की उम्र से ही भिक्षावृत्ति करने की ट्रेनिंग देने लगता है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 35 किलोमीटर दूर तिल्दा में तीन नटों की बस्तियां हैं, जहां करीब पांच सौ से अधिक परिवार अलग-अलग समूह में निवास करते हैं। इनके जीवकोपार्जन का जरिया इनके खुद के बच्चे हैं, जिन्हें वे तिल्दा रेलवे स्टेशन और बसों में बाकायदे पांच से छह समूह में छोड़ आते हैं।

शाम होते ही वे बच्चों को लेने के लिए पहुंच जाते हैं। ये बच्चे ट्रेन में भिक्षावृत्ति तो करते ही हैं, इसके अलावा वे मुंबई, हावड़ा तक ट्रेन में भिक्षावृत्ति करते हैं। तिल्दा के अटल निवास में 150 परिवार, शिक्षा कॉलोनी में 80 और देवार मोहल्ले में 150 नटों के परिवार कई सालों से निवासरत हैं। जैसे-जैसे नटों के बच्चे बड़े होते हैं, इन्हें भिक्षावृत्ति के साथ ही ट्रेन और बसों में चोरी जैसे अपराध करने की भी ट्रेनिंग दी जाती है, जो बाद में कभी-कभार बड़े वारदात को अंजाम देते हैं।

10 साल की उम्र तक अपराधियों के गिरोह में शामिल

बचपन से ही इन्हें भिक्षावृत्ति के बहाने अपराध के हर एक गुर सिखाने की जिम्मेदारी ट्रेनों में चलने एक सिंडीकेट के संपर्क में आते हैं। जहां वे शुरुआती दौर में उनके लिए रेकी करते हैं, उन्हें चोरों के गिरोह पर टॉरगेट पर होने वाले यात्रियों की हर जानकारी देते हैं। फिर वे धीरे-धीरे अपराध के इस दलदल में फंसते चले जाते हैं।

इन्हें भिक्षावृत्ति और अपराध से दूर करने की पहल

नटों के बच्चों को भिक्षावृत्ति और संभावित इनके द्वारा अपराध को रोकने के लिए बाल संरक्षण अधिकारी ने एक कलस्टर योजना बनाई है। इसी के तहत महिला एवं बाल विकास की टीम तिल्दा की तीनों बस्ती में पहुंची थी। जहां टीम ने परिवारों को समझाइश देने के साथ बच्चों को स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

परिजनों की आर्थिक स्थिति सुधारेंगे, कराएंगे व्यवसाय

परिजनों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विभाग द्वारा नटों के परिवारों को स्वसहायता समूह का गठन कराकर व्यवसाय करने के लिए प्रयास किया जाएगा। इनके बनाए सामान की बाजार में खपत करने की व्यवस्था भी करेंगे। विभागीय सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक गरीबी और अशिक्षा के चलते इनका पारंपरिक पेशा चोरी है।

बच्चों को आंगनबाड़ी में खाने और पढ़ाने की करेंगे व्यवस्था

महिला एवं बाल विकास और सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र वर्मा के सहयोग से पांच-छह बच्चों को आंगनबाड़ी में लाया जा रहा है, लेकिन अभी पूरी तरह से सभी नट गिरोह इसके लिए तैयार नहीं हैं। विभाग ने बताया कि यहां आने वाले सभी बच्चों को खाने के साथ कपड़े आदि सभी प्रकार की व्यवस्था रहेगी।

टीम नटों की बस्ती में गई थी। सर्वे के बाद कुछ लोगों से बच्चों को इस धंधे से निकालने की बात हुई थी, लेकिन कोई खास असर नहीं पड़ा। ऐसे में प्लानिंग बनाई गई है कि जल्द ही टीम दोबारा इन बस्तियों में पहुंचेगी और इन बच्चों के परिजनों को समझाइश देगी। इनके बच्चों को हॉस्टल में रहने और पढ़ाने के लिए राजी किया जाएगा।

- नवनीत स्वर्णकार, जिला बाल संरक्षण अधिकारी  

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