देश में कैंसर रोगियों की संख्या 15 लाख के पार, इन राज्‍यों में बढ़े मरीज

कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू है। इससे देश में रोजाना 25 हजार मौत होती हैं। देश में मुख, फेफड़े व स्तन कैंसर से होने वाली मौत सभी कैंसर संबंधित मौतों का 50 फीसद है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Sat, 12 Aug 2017 09:24 AM (IST) Updated:Sat, 12 Aug 2017 09:24 AM (IST)
देश में कैंसर रोगियों की संख्या 15 लाख के पार, इन राज्‍यों में बढ़े मरीज
देश में कैंसर रोगियों की संख्या 15 लाख के पार, इन राज्‍यों में बढ़े मरीज

नोएडा, धर्मेन्द्र मिश्रा। जून 2017 की गेट्स-2 रिपोर्ट में भले ही तंबाकू उपभोक्ताओं की संख्या 81 लाख तक घटी है, लेकिन कैंसर रोगियों में 2016 की तुलना में करीब 70 हजार मरीजों का इजाफा हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के हालिया सर्वे के अनुसार देशभर में कैंसर पीडि़तों की संख्या 15 लाख 17 हजार से ऊपर पहुंच गई है। 2016 में यह संख्या 14.50 लाख के करीब थी।

आइसीएमआर ने देश के सभी राज्यों में कैंसर पीडि़तों की संख्या के अनुसार रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के साथ भी साझा की गई है। इसके मुताबिक, दो लाख 57 हजार से अधिक मरीजों के साथ उत्तर प्रदेश पहले व एक लाख 38 हजार कैंसर मरीजों के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। सबसे कम कैंसर पीडि़त राज्यों में लक्षद्वीप का नाम है, जहां सिर्फ 96 कैंसर पीडि़त हैं। बिहार एक लाख 37 हजार कैंसर मरीजों के साथ तीसरे स्थान पर है।

टॉप 10 कैंसर पीडि़त राज्य

1. उत्‍तर प्रदेश- 2,57,353
2. महाराष्ट्र- 1,38,271
3. बिहार- 1,37,656
4. पश्चिम बंगाल- 1,12,466
5. मध्य प्रदेश- 93,754
6. राजस्थान- 86,675
7. तमिलनाडु- 83,554
8. गुजरात- 77,097
9. कर्नाटक- 76,867
10. आंध्र प्रदेश- 60,475

यह भी सच है
कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू है। इससे देश में रोजाना 25 हजार मौत होती हैं। देश में मुख, फेफड़े व स्तन कैंसर से होने वाली मौत सभी कैंसर संबंधित मौतों का 50 फीसद है। भारत में सिर्फ मुख कैंसर से हर चौथे मिनट एक मौत हो जाती है। भारत में बच्चेदानी के मुख के कैंसर से हर आठ मिनट में एक महिला की मौत होती है। भारत में स्तन कैंसर से पीडि़त हर दो महिलाओं में से एक महिला की मृत्यु हो जाती है। सबसे ज्यादा मरीज मुख, स्तन व सर्वाइकल कैंसर के हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. रवि मेहरोत्रा के मुताबिक, सर्वाधिक कैंसर तंबाकू के इस्तेमाल से ही होता है। कई राज्यों में पाबंदी की घोषणा के बाद भी इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। जब तक नियम-कानून का सही कार्यान्वयन नहीं होता, तब तक कैंसर के खिलाफ जंग आसान नहीं हो सकती।

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