पराली से बनेगा बायोकोल, स्वीडन देगा तकनीकी मदद; किसानों की आय का खुलेगा नया रास्ता

sewden technique to stop stabble burning पराली से तैयार होने वाले इस बायोकोल से कोयले के मुकाबले 20 गुना कम प्रदूषण इससे हवा की गुणवत्ता बेहतर होगी।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 02 Dec 2019 10:18 PM (IST) Updated:Mon, 02 Dec 2019 10:18 PM (IST)
पराली से बनेगा बायोकोल, स्वीडन देगा तकनीकी मदद; किसानों की आय का खुलेगा नया रास्ता
पराली से बनेगा बायोकोल, स्वीडन देगा तकनीकी मदद; किसानों की आय का खुलेगा नया रास्ता

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। sewden technique to stop stabble burning: देश को पराली के संकट से निजात दिलाने में अब स्वीडन मदद करेगा। जिससे देश में बायोकोल तैयार होगा। जो स्वच्छ ईंधन के तौर पर इस्तेमाल हो सकेगा। फिलहाल इसे लेकर पंजाब के राष्ट्रीय एग्री-फूड बायोटेक्नोलाजी संस्थान और स्वीडन के तकनीकी संस्थान बिआनदीव के साथ समझौता हुआ है। खासबात यह है कि पराली से तैयार होने वाले इस बायोकोल से कोयले के मुकाबले 20 गुना कम प्रदूषण होगा। जाहिर है कि देश में हवा की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्‍तर पर हुई वार्ता

पांच दिनों की भारत यात्रा पर आए स्वीडन के राजा कार्ल XVth (सोलहवें) गुस्ताफ और रानी सिल्विया का सोमवार को राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर पर की वार्ता हुई, जिसमें इनोवेशन के क्षेत्र से जुड़े कई द्विपक्षीय करार पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए।

बढ़ेगी किसानों की आय

इनमें भारतीय नजरिए से जो सबसे अहम करार है, वह पराली से बनाए जाने वाले बायोकोल को लेकर है। जिससे किसानों की आय भी बढ़ेगी, साथ ही देश में एग्रो-वेस्ट के क्षेत्र में एक नया बाजार भी निर्मित होगा। मौजूदा समय में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में पराली का जलाना एक बडी समस्या बनी हुई है। ऐसे में नई पहल प्रधानमंत्री के वेस्ट टू वेल्थ मिशन के तहत की गई है।

रुकेगा वायु प्रदूषण

इससे ना सिर्फ वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, बल्कि भूमि की गुणवत्ता भी खराब हो रही है। किसान को अभी पराली से कोई फायदा नहीं है। यही वजह है कि वह इसे अनुपयोगी मानकर जला देते है। पिछले दो सालों में सरकार ने इसके रोकथाम की काफी कोशिशें की, इसके लिए करीब 12 सौ करोड रुपए खर्च भी किए, लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाया। ऐसे में सरकार लंबे समय से पराली को किसानों के लिए फायदे का सौदा बनाने की दिशा में प्रयासरत थी। साथ ही इसे लेकर देश भर के तकनीकी संस्थानों को विकल्प खोजने के लिए कहा था।

स्‍मार्ट सिटी और क्‍लीन टेक्‍नालॉजी पर भी बनी सहमति

दोनों देशों के बीच इसके अलावा औद्योगिक शोध और विकास से जुड़े कार्यक्रम को लेकर भी कई समझौते हुए है। जिसमें स्मार्ट सिटी और क्लीन टेक्नालाजी को लेकर साथ मिलकर काम करने को लेकर सहमति बनी है। बता दें कि दोनों देशों के बीच आपसी रिश्तों और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने की यह पहल 17 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीडन यात्रा के बाद शुरु हुई है।

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