Nirbhaya case: राष्ट्रपति ने खारिज की पवन की दया याचिका, फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद

Nirbhaya case निर्भया के चारों दोषियों में से एक पवन की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दी।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 04 Mar 2020 01:44 PM (IST) Updated:Wed, 04 Mar 2020 02:56 PM (IST)
Nirbhaya case: राष्ट्रपति ने खारिज की पवन की दया याचिका, फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद
Nirbhaya case: राष्ट्रपति ने खारिज की पवन की दया याचिका, फांसी से बचने का आखिरी रास्ता भी बंद

नई दिल्ली, एएनआइ। Nirbhaya Case: निर्भया के चारों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की भी दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दी है, ऐसे में फांसी से बचने का उसका अंतिम विकल्प भी खत्म हो गया है। बता दें कि इसी के साथ राष्ट्रपति की ओर से निर्भया के सभी दोषियों (पवन कुमार गुप्ता, विनय कुमार शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार) की दया खारिज की जा चुकी है। फांसी से राहत पाने के लिए पवन के पास सिर्फ दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ही विकल्प बचा है।  

दिल्ली सरकार ने सोमवार को ही खारिज कर दी थी पवन की दया याचिका

इससे पहले दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) सरकार ने सोमवार को ही दोषी पवन की दया दाचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद पवन गुप्ता की यह दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी गई थी। इसके बाद राष्ट्रपति भवन से इसे उचित राय के लिए दिल्ली सरकार के पास भेजा गया था। दिल्ली सरकार ने इस बारे में तिहाड़ जेल प्रशासन से मिली जानकारी पर विमर्श के बाद याचिका खारिज कर दी थी

इसके साथ ही फाइल उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेज दी। एलजी ने भी सरकार के निर्णय पर मुहर लगाकर दया याचिका गृह मंत्रालय को भेज दी थी। इसके बाद यह दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित थी,  जिसे खारिज करते हुए राष्ट्रपति ने याचिका का निपटारा कर दिया। 

यह भी जानें 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में दरिंदगी हुई थी। राम सिंह, एक नाबालिग, विनय, पवन, मुकेश और अक्षय ने निर्भया को इस कदर शारीरिक प्रताड़ना दी कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। पूरे देश में हड़कंप मचने के बाद दिल्ली पुलिस सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, तिहाड़ जेल में वर्ष 2013 में आरोपित राम सिंह ने आत्म हत्या कर ली थी।

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