हवाएं अपना काम करें, रौशनी का फैसला दीया करेगा; नेशनल बुक ट्रस्ट ने लॉन्च की सात पुस्तकें

मध्य प्रदेश सरकार के आनंद संस्थान ने विशेष वीडियो पाठ्यक्रम जारी किया है जिसमें हफ्तेभर के अंदर करीब 8000 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।

By Ayushi TyagiEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 02:33 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 02:33 PM (IST)
हवाएं अपना काम करें, रौशनी का फैसला दीया करेगा; नेशनल बुक ट्रस्ट ने लॉन्च की सात पुस्तकें
हवाएं अपना काम करें, रौशनी का फैसला दीया करेगा; नेशनल बुक ट्रस्ट ने लॉन्च की सात पुस्तकें

नई दिल्ली, मनु त्यागी। दुनिया एक सूक्ष्मजीवी के आगे यूं बेबस हो जाएगी, सोचा न था। जितना नुकसान होना था, हो चुका। जिनको जाना था, वो चले गए। पर लड़ाई अब भी जारी है। अब जो बचे हैं, वे बचे रहें, जीतने के लिए यही जरूरी है। लड़ाई चूंकि अतिसूक्ष्म शत्रु से है, इसीलिए इतनी कठिन है। अगर स्थूल होता, तो मिसाइल-तोप-बम ने कब का ढेर कर दिया होता। सूक्ष्म चुनौती का सामना सूक्ष्म अस्त्र-शस्त्र से ही किया जा सकता है। जैसे कि मन। इस लड़ाई में मानसिक बल को अस्त्र-शस्त्र और ढाल बनाना हितकर है। इसीलिए मप्र सरकार के आनंद संस्थान ने विशेष वीडियो पाठ्यक्रम जारी किया है, जिसमें हफ्तेभर के अंदर करीब 8000 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। वहीं, नेशनल बुक ट्रस्ट ने कोरोना विषयक मनोविज्ञान पर सात पुस्तकों की ई-लॉचिंग की है।

मनुष्य का सबसे प्रभावशाली अंग है मन

मनुष्य का सबसे प्रभावशाली अंग मन है। मनुष्य की जीवन- लीला मन से ही चलती है। सारे संकल्प-विकल्प, इच्छाएं-कामनाएं मन की ही उपज हैं। बुद्धि इनकी पूर्ति के लिए क्रियाशील रहती है। हालांकि भौतिक या स्थूल शरीर में मन कोई अंग नहीं है वरन यह सूक्ष्म शरीर का अंग है। बड़ी से बड़ी लड़ाई मन की ताकत के बूते जीती जा सकती है। इसीलिए कहा गया है- मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

आनंद संस्थान ने अमेरिकी प्रोफेसर राज रघुनाथन द्वारा तैयार जिस वीडियो पाठ्यक्रम को लॉन्च किया है, दावा है कि यह लोगों को सकारात्मक सोच के साथ खुश रहने में मदद करेगा। खुशी को नए अंदाज में परिभाषित कराएगा। लोग जीवन को नए नजरिये से देख सकेंगे। इसमें परोपकार और कृतज्ञता की एक्सरसाइज पर भी फोकस किया गया है। टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रो. राज रघुनाथन ने इस पाठ्यक्रम को- ए लाइफ ऑफ हैप्पीनेस एंड फुलफिल्मेंट नाम दिया था, जिसका हिंदी में अनुवाद कराया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले ही प्रसिद्धि पा चुका है। रजिस्ट्रेशन कराने वालों को चरणबद्ध ढंग से छह सप्ताह से लेकर एक साल तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद टेस्ट भी होगा। हाल ही में संस्थान ने इस ऑनलाइन पाठ्यक्रम को अपनी वेबसाइट पर लॉन्च किया।

सरकार के आध्यात्म विभाग के अंतर्गत कार्यरत आनंद संस्थान ने इस पाठ्यक्रम के शुरुआती रिस्पांस को देखते हुए इसे विश्वविद्यालयों और स्कूली पाठ्यक्रम में शुरू कराने का सुझाव दिया है। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए इसे अपनाने का सर्कुलर जारी किया है। इधर, नेशनल बुक ट्रस्ट ने सात किताबों के ई-संस्करण निकाले हैं, जिनमें विशेषज्ञों द्वारा लॉकडाउन में किए गए सर्वे के आधार पर बताया गया है कि वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के मनोवैज्ञानिक व सामाजिक प्रभाव से कैसे निपटें।

यह पुस्तकें हैं- अलाइनेशन एंड रिसाइलेंस, कॉट इन कोरोना कान्फ्लिक्ट, मेकिंग ऑफ सेंस इट ऑल, न्यू फ्रंटियर्स एट होम, द फ्यूचर ऑफ डिस्टेंसिंग, द ऑर्डील ऑफ बींग कोरोना वॉरियर्स और वल्नरबल इन ऑटम। मनोवैज्ञानिक जितेंद्र नागपाल के अनुसार हम घर में बुजुर्गों की अकसर अनदेखी कर देते हैं, ऐसा न करें। बुजुर्ग ही हैं, जो हालात से उबरने और मनोबल बनाए रखने की हिम्मत देते हैं। वे परिवार के सदस्यों को अपने अनुभवों से बहुत कुछ दे सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर लिखी गई है- वल्नरबल इन ऑटम। इसी तरह परिवार की शक्ति को परिभाषित करती हुई एक किताब भी है।

भौतिकवाद के पीछे भागने की प्रवृत्ति को रोकने में मदद करता है पाठ्यक्रम

आनंद संस्थान मप्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राज्य अखिलेश अर्गल  ने कहा कि साबित हो चुका है कि यह पाठ्यक्रम भौतिकवाद के पीछे भागने की प्रवृत्ति को रोकने में मदद करता है। अपने पास जो है, उसमें खुशी ढूंढने का भाव विकसित करता है। आत्मिक आनंद और खुशी की तरफ ले जाता है, कैसे खुश रहें उसका खाका तैयार करता है। इन्हीं गुणों के कारण आनंद संस्थान ने इसे शुरू करने का फैसला किया।

 नेशनल बुक ट्रस्ट कुमार विक्रम ने कहा कि इन सातों किताबों में समझाया गया है कि इस दौर में मनोबल को कैसे बुलंद रखा जा सकता है और यह क्यों आवश्यक है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने इन किताबों के ई-संस्करण की लॉन्चिंग के अवसर पर इस प्रोजेक्ट की सरहाना की और हर किसी के लिए इन किताबों को अहम पूंजी बताया।

chat bot
आपका साथी