पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे मनोहर पर्रीकर, जानिए-कितना खतरनाक है यह

पैंक्रियाटिक कैंसर से लड़ते हुए गोवा के सीएम ने रविवार को अंतिम सांस ली। आइए जानते हैं क्या पैंक्रियाटिक कैंसर? जानिए इसके लक्षण एवं बचाव के उपाय।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Mar 2019 11:12 AM (IST) Updated:Mon, 18 Mar 2019 12:19 PM (IST)
पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे मनोहर पर्रीकर, जानिए-कितना खतरनाक है यह
पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे मनोहर पर्रीकर, जानिए-कितना खतरनाक है यह

नई दिल्ली जेएनएन। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर का रविवार को निधन हो गया। 63 वर्षीय पर्रीकर पिछले एक साल से पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। वह इस बीमारी से काफी हद तक लड़े, इस दौरान उन्‍होंने अपने काम को नहीं छोड़ा। आइए जानते हैं क्या पैंक्रियाटिक कैंसर? जानिए इसके लक्षण एवं बचाव के उपाय।

क्या पैंक्रियाज (अग्न्याशय) का कैंसर
पैंक्रियाटिक कैंसर बहुत ही गंभीर बीमारी है। यह कैंसर का ही एक प्रकार है। अग्‍नाशय में कैंसरयुक्‍त कोशिकाओं से इसकी शुरूआत होती है। यह 60 वर्ष से आधिक उम्र वालों लोगों में पाया जाता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है। महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान करने वालों में अग्‍नाशय कैंसर के होने का खतरा दो से तीन गुने तक बढ़ जाता है। पैंक्रियाटिक कैंसर के होने की औसतन उम्र 72 साल है। रेड मीट और चर्बीयुक्‍त आहार से इसका खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण
पैनक्रीएटिक कैंसर को मूक कैंसर भी कहा जाता है। इसके लक्षण छिपे होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण बहुत आसानी से नजर नहीं आते हैं। फिर भी कुछ लक्षण हैं।

भूख न लगना जी मिलचाना कमजोरी महसूस होना वजन घटना स्किन, आंख और यूरिन का रंग पीला हो जाना पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना

पैनक्रीएटिक कैंसर होने के निम्न कारण हो सकते हैं-

अधिक धूम्रपान करने से अग्‍नाशय कैंसर का खतरा बना रहता है। ज्‍यादा मोटापा भी पैनक्रीएटिक कैंसर का कारण हो सकता है। रेड मीट और चर्बी युक्‍त भोजन का सेवन करने से पैनक्रीएटिक कैंसर होने का खतरा रहता है। पैनक्रीएटिक कैंसर आनुवांशिक भी हो सकता है।

बचाव और आहार
अगर आप रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते हैं तो इससे बच सकते हैं। इसके लिए मॉडर्न मेडिकल साइंस कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के द्वारा इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ पदार्थों के सेवन से इससे बचा जा सकता है। ब्रोकोली के अंकुरों में मौजूद फायटोकेमिकल, कैंसरयुक्‍त कोशाणुओं से लड़ने में सहायता करते हैं। इसका सेवन करना चाहिए। फल और ताजी सब्जियों का सेवन करने से अग्‍नाशय कैंसर में फायदा मिलता है। एलोवेरा यूं तो बहुत से रोगों में फायदा पहुंचाता है लेकिन पैनक्रीएटिक कैंसर में भी यह फायदेमंद है। रोजाना ग्रीन टी पीने से भी अग्‍नाशय कैंसर में फायदा मिलता है।

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