Naxal Attack: इन राज्यों में चल रहा नक्सलियों के खात्मे का अभियान, तीन महीने में 80 नक्सली ढेर; ये है पूरा प्लान

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्री ने जरूर तीन वर्ष का समय दिया है लेकिन अगले एक-डेढ़ वर्ष में ही नक्सलियों के पूरी तरह खात्मे के आसार दिखने लगे हैं। नक्सलियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र ओडिशा तेलंगाना और झारखंड में एक साथ ऑपरेशन शुरू किया जा चुका है और आने वाले दिनों में बड़े नक्सली कमांडरों के मारे जाने की खबरें मिलती रहेंगी।

By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya Publish:Wed, 17 Apr 2024 08:10 PM (IST) Updated:Wed, 17 Apr 2024 08:14 PM (IST)
Naxal Attack: इन राज्यों में चल रहा नक्सलियों के खात्मे का अभियान, तीन महीने में 80 नक्सली ढेर; ये है पूरा प्लान
Naxal Attack: शाह के रोडमैप पर चल रहा नक्सलियों के खात्मे का अभियान (File Photo)

HighLights

  • 21 जनवरी को गृह मंत्री ने दी थी रोडमैप को हरी झंडी।
  • पिछले तीन माह में मारे जा चुके हैं 80 से अधिक नक्सली।
  • सुरक्षाबलों को ऑपरेशन की रणनीति बनाने की खुली छूट मिली।

नीलू रंजन, जागरण। तीन वर्ष के भीतर नक्सलियों को पूरी तरह से समाप्त करने के गृह मंत्री अमित शाह के रोडमैप का असर तीन महीने में दिखने लगा है। शाह ने 21 जनवरी को रोडमैप को अंतिम रूप देते हुए साफ कर दिया था कि नक्सली अब एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं और इनसे देश को पूरी तरह निजात दिलाने का समय आ गया है। नक्सल ऑपरेशन में शामिल और बस्तर में तैनात सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बलों को पहली बार ऑपरेशन की रणनीति बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने की खुली छूट मिली है। यही नहीं केंद्र से लेकर जिला स्तर तक सुरक्षा एजेंसियों के बीच इस तरह से समन्वय कभी नहीं देखा गया था।

छत्तीसगढ़ में तीन महीने में कितने नक्सली मारे गए?

नक्सली इलाकों में सुरक्षा गैप को खत्म करना शाह के रोडमैप का अहम हिस्सा है। शाह ने कहा कि सिर्फ 2019 के बाद नक्सली इलाकों में 250 से अधिक सुरक्षा कैंप बनाए जा चुके हैं। इससे सुरक्षा गैप काफी कम हो गया है। छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद राज्य पुलिस का जितना सहयोग मिलना चाहिए, उससे ज्यादा मिल रहा है। इसके परिणामस्वरूप एक तरफ 80 से ज्यादा नक्सली मारे गए, तो दूसरी तरफ 125 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। 150 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

क्या है अमित शाह का रोडमैप?

रोडमैप के तहत नक्सली गतिविधियों की जानकारी जुटाने के लिए राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के नेटवर्क को मजबूत किया गया है, इसकी बदौलत बड़े नक्सली कमांडरों के मूवमेंट की सटीक जानकारी मिली शुरू हो गई है। मंगलवार को तीन कमांडरों समेत 29 नक्सलियों के मारे जाने का श्रेय इसी खुफिया नेटवर्क को जाता है। नक्सलियों के आर्थिक स्त्रोतों की पूरी तरह नाकेबंदी भी शुरू हो गई है, परिणामस्वरूप नक्सलियों तक पैसा पहुंचाना आसान नहीं रह गया है।

नक्सलवाद कैसे खत्म होगा?

शाह ने साफ किया था कि नक्सलियों की आर्थिक गतिविधियों में मददगार एक-एक व्यक्ति और संस्था की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। वित्तीय तंत्र ध्वस्त होने के बाद नक्सलियों को गतिविधियां चलाना मुश्किल हो जाएगा। शाह ने उम्मीद जताई कि बहुत कम समय में देश से नक्सलवाद खत्म करने में सफलता मिल जाएगी। नक्सलियों के विरुद्ध रोडमैप में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है।

नक्सल विरोधी ऑपरेशन में आने वाली चुनौतियां क्या हैं?

ऑपरेशन की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सीधे पुलिस महानिदेशक को दी गई है। पुलिस महानिदेशक को हर 15 दिन में नक्सलियों के विरुद्ध चलाए गए ऑपरेशन की जानकारी के साथ ही उसकी समीक्षा रिपोर्ट भी तैयार करनी है। यह रिपोर्ट राज्य के साथ-साथ केंद्र में उच्च स्तर पर जाती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रोडमैप तैयार करने में नक्सली हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों के एसपी और कलेक्टर ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी और ये सभी अमित शाह के साथ बैठक में शामिल थे। इन अधिकारियों ने नक्सल विरोधी ऑपरेशन में जमीनी स्तर पर आने वाली चुनौतियों की जानकारी दी और उनसे निपटने के व्यवहारिक उपाय भी सुझाए थे।

नक्सल विरोधी ऑपरेशन कहां-कहां चल रहा है?

नक्सल विरोधी ऑपरेशन में मिल रही सफलता से उत्साहित वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्री ने जरूर तीन वर्ष का समय दिया है, लेकिन अगले एक-डेढ़ वर्ष में ही नक्सलियों के पूरी तरह खात्मे के आसार दिखने लगे हैं। नक्सलियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और झारखंड में एक साथ ऑपरेशन शुरू किया जा चुका है और आने वाले दिनों में बड़े नक्सली कमांडरों के मारे जाने की खबरें मिलती रहेंगी।

शाह के रोडमैप में नक्सलियों के विरुद्ध ऑपरेशन तेज करने के साथ ही उनसे प्रभावित इलाकों में विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं को तेजी से पहुंचाना भी शामिल है। केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के पहुंचने के बाद इन इलाके के लोगों के नक्सलियों के दुष्प्रचार में फिर से फंसने की संभावना खत्म हो जाएगी।

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