2019 की शुरुआत मे होगा देश के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण

चंद्रयान-2 को 2019 में प्रक्षेपित किया जाएगा क्योंकि इसके डिजाइन में ऐसे परिवर्तन किए जाने हैं जिससे यह आसानी से चंद्रमा पर उतर सके।

By Arti YadavEdited By: Publish:Mon, 13 Aug 2018 11:58 AM (IST) Updated:Tue, 14 Aug 2018 12:24 PM (IST)
2019 की शुरुआत मे होगा देश के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण
2019 की शुरुआत मे होगा देश के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण

बेंगलुरु (प्रेट्र)। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण अब अगले साल जनवरी से मार्च के बीच किया जाएगा। पहले इसका प्रक्षेपण अक्टूबर में होना था, लेकिन डिजाइन में बदलाव के चलते इसे टाल दिया गया था। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल 22 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है। इसरो प्रमुख डॉ. के. शिवन ने यह जानकारी दी है।

तीन जनवरी को प्रक्षेपण की योजना
उन्होंने कहा, ‘हमारी योजना तीन जनवरी को चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की है। हम इसी तारीख को ध्यान में रखकर तैयारी कर रहे हैं, लेकिन प्रक्षेपण मार्च तक भी जा सकता है। यह स्थिति पर निर्भर करेगा।’ अक्टूबर में प्रक्षेपण टालने के संबंध में डॉ. शिवन ने कहा कि यह चंद्रमा की सतह पर आसानी से उतर सके, इसके लिए इसके डिजाइन में बदलाव किया गया था। इसके चलते प्रक्षेपण के समय में बदलाव किया गया है।

बढ़ाया गया 600 किलो वजन
चंद्रयान-2 का वजन 600 किलो बढ़ाने के संदर्भ में इसरो प्रमुख का कहना था कि कई परीक्षणों के दौरान यह देखा गया कि मून लैंडर जब निकलता है तो उपग्रह हिल जाता है। इसको ध्यान में रखते हुए इसकी सुरक्षित लैंडिंग के लिए इसका वजन बढ़ाना पड़ा।

तीन वर्षो में होगा 50 सेटेलाइट का प्रक्षेपण
इसरो चेयरमैन ने बताया, ‘अगले तीन वर्षो के दौरान हम 50 सेटेलाइट लांच करने जा रहे हैं। 22 उपग्रह तो हम सिर्फ अगले साल ही लांच करेंगे। हो सकता है कि हम इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकें, लेकिन हमारी तैयारी इसी को ध्यान में रखकर की जा रही है।’ डॉ. के. शिवन के अनुसार, वर्ष 2018 के बाकी बचे महीनों में भी इसरो बहुत व्यस्त रहेगा। उसने हर महीने दो उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य तय किया है।सितंबर में इसरो पीएसएलवी सी-42 का प्रक्षेपण करेगा। इसके माध्यम से नोवासेट और एस 1-4 सेटेलाइट लांच किए जाएंगे।

टीवी चैनल भी लाने की तैयारी
लोगों में वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और स्कूली छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिहाज से इसरो टीवी चैनल लांच करने जा रहा है। इस संबंध में चेयरमैन डॉ. के. शिवन ने बताया कि हमारे पास कोई विज्ञान टीवी चैनल नहीं है। यह चैनल लोगों के बीच वैज्ञानिक समझ पैदा करेगा।

कम लागत के एसएसएलवी रॉकेट बना रहा इसरो
लागत में कटौती और मांग को ध्यान रखते हुए इसरो स्माल सेटेलाइट लांच व्हीकल (एसएसएलवी) रॉकेट बना रहा है। इसके माध्यम से पेलोड को मात्र तीन दिनों में लांच किया जा सकता है। इसको बनाने में भी तीन से छह लोगों की जरूरत पड़ती है। इसरो चेयरमैन डॉ. के. शिवन ने बताया कि पीएसएलवी के मुकाबले यह 10 गुना सस्ता होगा। यह 500 से 700 किलो पेलोड ले जाने में सक्षम होगा। इसकी लंबाई 34 मीटर होगी, जबकि व्यास दो मीटर होगा। वहीं, इसे मांग के आधार पर तैयार किया जा सकता है। इसका डिजाइन तैयार है। अगले साल मई या जून में इससे उड़ान संभव हो सकेगी।

चंद्रयान-2 इसरो के लिए एक बहुत बड़ा मिशन

बता दें कि चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन के बाद चंद्रयान-2 इसरो के लिए एक बहुत बड़ा मिशन है। इसरो कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते है। ऐसे में अब चंद्रयान-2 मिशन को जनवरी में रवाना किया जाएगा। अप्रैल में उन्होंने सरकार को अक्टूबर-नवंबर में होने वाले प्रक्षेपण को टालने की सूचना दी थी। चंद्रयान-2 की समीक्षा करने वाली एक राष्ट्रीय स्तर की समिति ने इस मिशन से पहले कुछ अतिरिक्त परीक्षण की सिफारिश की थी। चंद्रयान-2 को सबसे पहले अप्रैल में ही पृथ्वी से रवाना किया जाना था।

इसरो के लिए था बड़ा धक्का

इससे पहले इसरो एक साल के भीतर दो बड़ी असफलताओं को झेल चुका है। इस साल की शुरुआत में इसरो ने सैन्य उपग्रह जीएसएटी-6ए प्रक्षेपित किया था, लेकिन इस उपग्रह के साथ इसरो का संपर्क टूट गया था। इसके बाद इसरो ने फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित होने वाले जीएसएटी-11 के प्रक्षेपण को यह कहते हुए टाल दिया था कि इसकी कुछ अतिरिक्त तकनीकी जांच की जाएगी।

पिछले साल सितंबर में आइआरएनएसएस-1एच नौवहन उपग्रह को लेकर जा रहे पीएसएलवी-सी-39 मिशन अभियान भी असफल रहा था, क्योंकि इसका हीट शील्ड नहीं खुलने की वजह से उपग्रह नहीं छोड़ा जा सका।

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