मुगलकालीन दुर्लभ चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा मिला, सड़क बनाने को हो रही थी खुदाई

बुरहान में मनरेगा के सड़क निर्माण की खुदाई में मजदूरों के हाथ मुगलकालीन चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा (धातु वाला मटका) लगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 10:30 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 03:16 PM (IST)
मुगलकालीन दुर्लभ चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा मिला, सड़क बनाने को हो रही थी खुदाई
मुगलकालीन दुर्लभ चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा मिला, सड़क बनाने को हो रही थी खुदाई

बुरहानपुर, राज्‍य ब्‍यूरो। मध्‍य प्रदेश के एतिहासिक शहर बुरहानपुर के देड़तलाई के अंतर्गत गांव चौखंडिया में चल रहे मनरेगा के सड़क निर्माण की खुदाई में मजदूरों के हाथ मुगलकालीन चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा (धातु वाला मटका) लगा। सूचना पर पहुंचे नेपानगर एसडीएम व पुलिस ने चांदी के घड़े को जब्त कर सील किया और पंचनामा बनाया। अब इन सिक्कों को पुरातत्व विभाग को सौंपा जाएगा। घड़े में कुल 260 सिक्के हैं। इन सिक्‍कों पर मुगल बादशाहों और सुल्‍तानों के नाम लिखे हुए हैं। 

कलेक्टर प्रवीणसिंह के मुताबिक, शुक्रवार देर शाम खुदाई में सिक्के निकलने की सूचना मिली थी। एसडीएम विशा माधवानी की मौजूदगी में खकनार पुलिस थाना प्रभारी के पी धुर्वे व देड़तलाई चौकी प्रभारी हंसकु मार झिंझोरे ने घड़े को बरामद कर सिक्के निकलवाए और उनकी गिनती कराई।

  

पंचनामा बनाकर थाने में रखे सभी सिक्के

टीआई धुर्वे के अनुसार, 260 सिक्के बरामद हुए हैं। पंचनामा बनाकर खकनार थाने में रखा गया है। कलेक्टर के निर्देश पर पुरातत्व विभाग को सिक्के सौंप दिए जाएंगे। उर्दू और अरबी भाषा अंकित इतिहासविद व प्राचीन सिक्कों के जानकार मेजर डॉ. एमके गुप्ता और मोहम्मद नौशाद के अनुसार खुदाई में मिले सिक्कों पर उर्दू व अरबी भाषा अंकित है। ये अकबर, जहांगीर व शाहजहां के शासनकाल के हैं। इनमें कुछ सिक्के सल्‍तनतकाल में शेरशाह सूरी के भी हैं। अकबर और जहांगीर के समय के कुछ सिक्के दुर्लभ व बहुमूल्य हैं। 

इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने बताया कि शाहजहां के समय बुरहानपुर आबादी 9 लाख थी, इसलिए यहां पर सभावित लोग वहां पर निवास करते रहे होंगे। जमीन के बाहर निकले घड़े में लगभग 40- 45 सालों में यह सिक्‍के जमा किए गए। इन सिक्‍कों की अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कीमत अधिक होगी। बुरहानपुर ऐतिहासिक शहर होने के कारण यहां पर पूर्व में खुदाई के दौरान सिक्‍के बाहर निकले हैं।        

इतिहास के आइने में बुरहानपुर 

मुगलकाल में मध्‍य भारत के इतिहास में बुरहानपुर उत्‍तर और दक्षिण का पुल था। अकबर ने 1599 ई. में बुरहानपुर पर अधिकार कर लिया। अकबर ने 1601 ई. में खानदेश को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया। शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज की 1631 ई. में यहीं मृत्यु हुई। मराठों ने बुरहानपुर को कई बार लूटा और बाद में इस प्रांत से चौथ वसूल करने का अधिकार भी मुगल साम्राट से हासिल कर लिया। बुरहानपुर कई वर्षों तक मुग़लों और मराठों की झड़पों का गवाह रहा और इसे बाद में आर्थर वेलेजली ने 1803 ई. में जीत लिया। अंग्रेजों 1805 ई. में इसे सिंधिया को वापस कर दिया और 1861 ई. में यह ब्रिटिश सत्ता को हस्तांतरित हो गया।

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