अब महज 15 मिनट में पता चल जाएगा... मुंह का कैंसर है या नहीं
अब मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) की जांच में केवल 15 मिनट लगेंगे। वैज्ञानिकों ने बनाया ओन्को डाइग्नोस्कोप नाम का मेडिकल उपकरण।
नई दिल्ली, जेएनएन। अब मुंह के कैंसर (ओरल कैंसर) की जांच के लिए कई दिनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। महज 15 मिनट में आपको पता चल जाएगा कि मुंह का कैंसर है या नहीं। राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र [RRCAT] (इंदौर) के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च ने कैंसर की जांच में महत्वपूर्ण सफलता पाई है। वैज्ञानिकों ने 'ओन्को डाइग्नोस्कोप' नाम से एक मेडिकल उपकरण बनाया है। इससे मात्र 15 मिनट में पता किया जा सकेगा कि मरीज को मुंह का कैंसर है या नहीं।
इस उपकरण से 300 लोगों की हुई जांच
आरआरकैट के डायरेक्टर पीए नाइक ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम लंबे समय से इस उपकरण पर रिसर्च कर रही थी। यह उपकरण ऑप्टिकल सिग्नल के माध्यम से मुंह के कैंसर को स्कैन करेगा। आरआरकैट ने उपकरण की टेस्टिंग के तौर पर शहर के 300 लोगों की जांच की है। इसमें से 30 मरीज ओरल कैंसर से प्रभावित पाए गए। कर्मचारी राज्य बीमा निगम के मरीजों पर भी उपकरण का परीक्षण किया गया। उन्होंने बताया कि यह मेडिकल उपकरण बनाने में एम्स के डॉक्टर्स की भी सहायता ली गई है।
कैंसर की जांच में लग जाते हैं 48 घंटे
संस्थान के वैज्ञानिक एसके मजूमदार ने बताया कि इस समय कैंसर की जांच में 48 घंटे तक का समय लग जाता है। संस्थान में बनाया गया यह उपकरण सिर्फ मुंह का कैंसर ही नहीं बल्कि सर्वाइकल कैंसर होने पर भी शुरुआती स्टेज में परिणाम बताने में सक्षम है।
वैज्ञानिक एसके मजूमदार ने बताया कि आरआरकैट ने टीबी की जांच करने के लिए भी उपकरण बनाया है। इससे भी हाथों-हाथ जांच करना संभव है। इसे टीबीएस नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों ने बताया यह उपकरण मार्केट में आ चुका है।
नैनो टूल से बेहतर होगी कैंसर की जांच
वहीं, ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने भी कैंसर की जांच के लिए एक नया नैनो टूल विकसित किया है। इससे कैंसर की और बेहतर जांच हो सकेगी। इस टूल में नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल किया गया है। ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह तकनीक इजाद की है। इस तकनीक से रक्त का गहराई से विश्लेषण किया जा सकेगा। इससे उन मोलेक्यूल्स की भी पहचान हो सकती है, जो अभी तक अज्ञात थे। रक्त की इस नई जांच से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की बेहतर पहचान हो सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि रक्त में कई तरह की सूचनाएं होती हैं, लेकिन रोग संबंधी संकेतों का पता लगाना बेहद कठिन काम होता है। किसी बीमारी की प्रतिक्रिया में मार्कर रक्त में प्रवाहित होते हैं, लेकिन वे इतने सूक्ष्म या कम होते हैं कि अक्सर ही उनकी पहचान नहीं हो पाती। इस नए अध्ययन से यह जाहिर हुआ कि कैंसर रोगी में रक्त संचार के दौरान छोटे मोलेक्यूल्स खासतौर पर प्रोटीन भी नैनोपार्टिकल्स से चिपक जाते हैं।