राजस्थान में पंचायती राज चुनाव के लिए जारी की गई आदर्श आचार संहिता, मंत्रियों को संबंधित क्षेत्रों में जाने पर लगी रोक

राजस्थान सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है। चार चरणों में पहले चरण के लिए 23 नवंबर दूसरे चरण के लिए 27 नवंबर तीसरे चरण के लिए एक दिसंबर और चौथे चरण के लिए 5 दिसंबर को मतदान होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 10:50 AM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 11:05 AM (IST)
राजस्थान में पंचायती राज चुनाव के लिए जारी की गई आदर्श आचार संहिता, मंत्रियों को संबंधित क्षेत्रों में जाने पर लगी रोक
राजस्थान सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव

 जयपुर, जेएनएन। राजस्थान सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के 21 जिलों में नवम्बर- दिसम्बर माह में होने वाले चुनाव के आदेश जारी किया है। इस दौरान आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है। राज्य में चार चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण के लिए 23 नवंबर, दूसरे चरण के लिए 27 नवंबर, तीसरे चरण के लिए एक दिसंबर और चौथे चरण के लिए 5 दिसंबर को मतदान होगा।  

इस दौरान राज्य के मंत्री चुनाव से जुड़े निर्वाचन क्षेत्र में नहीं जायेंगे। किसी आपात स्थिति होने या कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर पर संबधित विभाग के मंत्री विभाग के सचिव की ओर से राज्य निर्वाचन आयोग को सूचना देकर ही संबधित क्षेत्रों के दौरे पर जा सकेंगे।

इस दौरान मंत्री संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में दौरे पर सरकारी वाहनों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे, साथ ही निजी वाहन का प्रयोग करते समय भी उस पर सायरन आदि का प्रयोग नहीं करेंगे। मंत्री चुनाव से संबंधित अफसरों को भी नहीं बुला सकेंगे।वहां डाक बंगलों, विश्राम गृहों या अन्य सरकारी आवासों का या इससे संलग्न परिसरों का उपयोग प्रचार कार्यालय के रूप में नहीं करेंगे। इस दौरान डाक बंगलों, सरकारी विश्राम गृहों या अन्य सरकारी आवासों को अन्य पार्टियां या अभ्यार्थियों को भी उपयोग करने की अनुमति दी जायेगी, लेकिन वे भी उनका चुनाव से संबंधित कार्य में इस्तेमाल नहीं करेंगे।

छोटे दल लगा रहे बड़ी दलों के वोटों में सेंध 

जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के समीकरण अन्य छोटी राजनीतिक पार्टियां प्रभावित करती दिख रही है। दोनों बड़ी पार्टियों को चुनौती देने वाले छोटे दलों में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी),भारतीय ट्राइबल पार्टी(बीटीपी) बहुजन समाज पार्टी(बसपा) और माकपा शामिल है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती भारतीय ट्राइबल पार्टी(बीटीपी) से है। कुछ सालों पहले तक उदयपुर संभाग के आदिवासी इलाकों में कांग्रेस का वर्चस्व माना जाता था, लेकिन अब यही परंपरागत वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से निकलता जा रहा है। बीटीपी का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। तीन साल पहले आदिवासी इलाकों में सक्रिय हुई हुई बीटीपी ने विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीती थी। इसके अलावा तीन सीटों पर मामूली अंतर से हारी। इसका नुकसान कांग्रेस को जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में हो सकता है । बीटीपी के अध्यक्ष छोटू भाई वसावा का कहना है कि भारतीय ट्राइबल पार्टी(बीटीपी) आदिवासी इलाकों में पंचायत चुनाव लड़ रही है।

बेनीवाल की मजबूत पकड़

कभी भाजपा के टिकट पर विधायक रहे हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) नाम से कुछ समय पहले  नई पार्टी बनाई। दो साल पहले विधानसभा चुनाव में आरएलपी के तीन विधायक चुनाव जीते थे। बाद में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा से गठबंधन कर लोकसभा का चुनाव लड़े और सांसद बने। वैसे तो वे फिलहाल एनडीए में शामिल है, लेकिन भाजपा के वोट बैंक में चपत लगा रहे हैं।

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