बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी भारत समेत पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय

बांग्लादेश आज अपने देश में हिंदुओं को निशाना बना रहा है। ऐसे में 50 वर्षों के दौर में भारत-बांग्लादेश मैत्री में कहां चूक हुई इस पर भी विचार करना आवश्यक है अन्यथा इसका दुष्परिणाम बहुत ही भयावह हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 06 Aug 2022 12:50 PM (IST) Updated:Sat, 06 Aug 2022 12:50 PM (IST)
बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी भारत समेत पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय
बांग्लादेश में नहीं थम रहा चरमपंथ। फाइल फोटो

डा. निरंजन कुमार। बांग्लादेश में हिंदुओं पर निरंतर हो रहे हमले के बाद बीते दिनों अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि धर्म चुनने की आजादी, मानवाधिकार है। विश्व का प्रत्येक व्यक्ति, फिर चाहे वह किसी भी धर्म या आस्था को मानने वाला हो, अपने महत्वपूर्ण पर्व को मनाने के लिए सुरक्षित महसूस करना जरूरी है। लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर निरंतर हो रहे हमलों के बीच वहां पर इस समुदाय के लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। विशेष रूप से हिंदुओं के त्योहारों के अवसर पर तो वहां सुनियोजित हमले होते हैं।

भारत और बांग्लादेश के बीच मित्रता

पिछले एक दशक में वहां हिंदुओं पर लगभग चार हजार हमले हुए हैं जिनमें सैकड़ों जानें गईं और हजारो हिंदू घायल हुए हैं। वर्ष 1974 की जनगणना के अनुसार इस बांग्लादेश में 13.5 प्रतिशत हिंदू थे, लेकिन वर्ष 2021 तक यहां महज 6.5 प्रतिशत हिंदू ही रह गए हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच मित्रता के 50 वर्षों की यात्रा भी संपन्न हो चुकी है। दो देशों के संबंधों के 50 वर्षों की यह यात्रा दर्शाती है कि दोनों देशों की राजनायिक नीति में कितनी समानता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 26-27 मार्च 2021 को बांग्लादेश की आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए।

बांग्लादेश में कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन

प्रधानमंत्री की इस यात्रा से वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की उम्मीद जगी थी, लेकिन उनकी यात्रा और कई व्यापारिक व सामरिक समझौते के बावजूद हिंदुओं पर निरंतर हमले जारी हैं। भारत सरकार ने वहां हिंदुओं पर होने वाले हमलों की कड़ी निंदा अवश्य की, परंतु इस दिशा में कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया जा सका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बांग्लादेश की यात्रा के पूर्व नौगांव में लगभग सौ हिंदू परिवारों के घरों में तोड़-फोड़ की गई। यात्रा संपन्न होने के बाद भी कट्टरपंथियों ने वहां हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया। पूरे बांग्लादेश में कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए। कुछ स्थानों पर हिंदू परिवारों पर हमले भी किए गए। इसके पूर्व भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां की यात्रा कर चुके हैं, परंतु हिंदुओं की सुरक्षा के संदर्भ में अब तक कुछ खास नहीं हो पाया है। जबकि बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी भारत समेत पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। अमेरिका ने इस मुद्दे पर संज्ञान भी लिया है, लेकिन भारत सरकार ने अब तक ऐसा कुछ ठोस नहीं किया है जिससे यह समझा जा सके कि वह इस दिशा में समुचित प्रयास कर रही है।

सरकार और कट्टरपंथियों पर तीखे हमले

बांग्लादेश में यदि हालात इसी तरह से बने रहे तो इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता कि कुछ दशकों में वहां पर हिंदू जनसंख्या लगभग समाप्त हो जाएगी। चूंकि भारत विश्व में सर्वाधिक हिंदू आबादी वाला देश है, लिहाजा उसे हिंदू हितों के बारे में सोचना होगा। दुर्गा पूजा के समय वहां बहुत सारे मंदिरों और पूजा पंडालों को निशाना बनाया जाता है। यहां तक कि हिंदू बहू-बेटियों की इज्जत को भी तार-तार किया जाता है। बांग्लादेशी समाचार पत्रों ने भी सरकार और कट्टरपंथियों पर तीखे हमले किए, लेकिन वहां की सरकार ने इस मामले को अब तक गंभीरता से नहीं लिया है।

बांग्लादेश की नींव भी पंथनिरपेक्षता की बुनियाद पर रखी गई जहां सभी धर्मों के लोग अपना पर्व-त्योहार मनाने, धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का अधिकार रखते हैं, लेकिन 50 वर्षों की यात्रा में हिंदू समाज को सुरक्षा, समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकर जैसे शब्दों से उपेक्षित रखा गया। ऐसे में यह याद रखा जाना चाहिए कि बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्त कराने के लिए भारतीय जवानों ने भी अपना खून बहाया था। 

[राजनीतिक विश्लेषक]

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