ये हैं भारत के सोलरमैन, इनका मिशन है दुनिया को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना, जानें इनके बारे में और बहुत कुछ
भारत के डॉक्टर चेतन सोलंकी दुनिया को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की ठान चुके हैं। इसके लिए वो 50 देशों की यात्रा करने वाले हैं। आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन की पहचान भारत के सोलर मैन की है।
इंदौर (शिव शर्मा)। मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल के खरगोन जिले के छोटे से गांव से निकला आइआइटीयन अब दुनिया को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर निकल रहा है। लक्ष्य है 11 साल में एक करोड़ घरों में सौर ऊर्जा से खुद की बिजली बनाना। भारत के ‘सोलर मैन’ के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके नेमित गांव के 45 वर्षीय डॉ. चेतन सोलंकी 26 नवंबर से 11 सालों तक भारत सहित 50 देशों की यात्रा करेंगे। भोपाल में हरी झंडी दिखाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यात्रा की शुरआत करेंगे। यह एनर्जी स्वराज यात्रा दो लाख किमी की रहेगी।
इस दौरान वे लगभग 10 करोड़ लोगों को सौर ऊर्जा के उपयोग का प्रशिक्षण भी देंगे। आइआइटी मुंबई में प्रोफेसर रहे डॉ. सोलंकी ने इस काम के लिए नौकरी छोड़ दी है। वे कई सालों से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत हैं और 30 देशों की यात्रएं कर चुके हैं। उनकी एक संस्था एनर्जी स्वराज फाउंडेशन भी है। डॉ. सोलंकी ने बताया कि हमें अभी से ही ऊर्जा के नवीनीकरणीय स्रोतों की उपयोगिता बढ़ानी होगी। वर्ष 2035 तक यदि हम नहीं बदले तो इसके परिणाम भयानक होंगे। हमें ऊर्जा पैदा करने के तरीकों के बारे में दोबारा सोचने की जरूरत है। इसके लिए आर्थिक हितों की कुर्बानी भी देनी होगी, वरना इसका खामियाजा पीढ़ियों तक भुगतना होगा।
डॉ. सोलंकी के मुताबिक जिस तरह महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज की परिकल्पना की थी, वैसे ही लोगों को एनर्जी स्वराज को समझना होगा। यात्रा में सौर बस व एक सौर घर साथ में चलेंगें। इसमें चार सदस्यीय दल रहेगा। 11 मीटर लंबी सोलर बस में एक मीटिंग रूम, किचन, वाशरूम व ट्रेनिंग रूम रहेगा। साथ ही 360 वर्ग फीट का सौर घर रहेगा। इसमें टीवी, कूलर, एसी, वॉशिंग मशीन सहित अन्य घरेलू उपयोग का इलेक्ट्रॉनिक सामान रहेगा, जो पूरा सौर ऊर्जा से चलेगा। इसके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा कि सौर ऊर्जा का उपयोग हम पूरे घर के लिए भी कर सकते हैं। उसके बाद मध्य प्रदेश के कई जिलों से होती हुई महाराष्ट्र के वर्धा, नागपुर सहित संपूर्ण भारत में जाएगी। यात्रा का प्रारंभिक चरण भारत में होगा। इसके बाद इसका विस्तार भारत के बाहर करीब 50 देशों तक किया जाएगा। यात्रा का खर्च एनर्जी स्वराज फाउंडेशन के सहयोग और उन्हें मिली पुरस्कार राशि से होगा।
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