माया को मंजूर नहीं मुलायम का साथ

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने के लिए बिहार में दो विपरीत ध्रुव नीतीश-लालू के साथ आने के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को साथ लाने की मुहिम शुरू होते ही दम तोड़ गई। उत्तर प्रदेश में दलित-पिछड़ा समीकरण बनाने की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पहल और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के उत्साह पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने पानी फेर दिया। मायावती ने सम्मान के लिए सत्ता को ठुकराने की आवाज बुलंद करते हुए दो टूक तरीके से ऐसी किसी भी दोस्ती की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया।

By Edited By: Publish:Wed, 13 Aug 2014 11:48 AM (IST) Updated:Thu, 14 Aug 2014 12:17 AM (IST)
माया को मंजूर नहीं मुलायम का साथ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने के लिए बिहार में दो विपरीत ध्रुव नीतीश-लालू के साथ आने के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को साथ लाने की मुहिम शुरू होते ही दम तोड़ गई। उत्तर प्रदेश में दलित-पिछड़ा समीकरण बनाने की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पहल और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के उत्साह पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने पानी फेर दिया। मायावती ने सम्मान के लिए सत्ता को ठुकराने की आवाज बुलंद करते हुए दो टूक तरीके से ऐसी किसी भी दोस्ती की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया।

सपा पर भाजपा से हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए और दुश्मनी का सबब बने गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाकर साफ कर दिया कि वह किसी भी कीमत पर मुलायम सिंह को माफ नहीं करेंगी। माया के इन्कार के बाद गठबंधन को लेकर उत्साहित मुलायम के सुर बदल गए। उन्होंने बुधवार देर रात कहा कि बसपा से कोई रिश्ता नहीं चाहता। जबकि इससे पूर्व दिन में नेताजी ने कहा था, 'उत्तर प्रदेश में भाजपा का मुकाबला करने के लिए उन्हें बसपा से हाथ मिलाने में कोई परहेज नहीं है।'

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा को मिली बड़ी सफलता के बाद दोनों ही राज्यों में क्षेत्रीय दलों को अस्तित्व का संकट महसूस हो रहा है। इसी आशंका ने बिहार में दो कंट्टर प्रतिद्वंदियों लालू यादव और नीतीश कुमार को एक कर दिया। इसी आयोजन के दौरान लालू प्रसाद यादव ने उत्तर प्रदेश में भी मुलायम सिंह यादव को मायावती से गठबंधन करने की सलाह दी थी ताकि राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी से टक्कर ली जा सके। भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के लालू के इस प्रस्ताव पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने नकारात्मक रुख भी नहीं दिखाया। उन्होंने यह तो कहा कि पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी और किसी से मदद नहीं लेगी। मगर साथ ही जोड़ दिया कि अगर लालूजी ऐसी पहल कर सकते हैं, तब मुझे हाथ मिलाने में कोई एतराज नहीं हैं।

लालू के प्रस्ताव और मुलायम के सकारात्मक संकेतों से सपा-बसपा के साथ आने के कयासों ने जैसे ही तूल पकड़ा, मायावती ने आगे आकर तुरंत उस पर पानी डाल दिया। उप्र में बिहार जैसे किसी भी तरह के प्रयोग की संभावना को खत्म कर दिया। सपा से गठजोड़ की संभावना को खारिज करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, जब भी सपा सरकार सत्ता में आई तब अपराध, सांप्रदायिक ¨हसा, बलात्कार, डकैती की घटनाएं चरम पर पहुंच गई है। मायावती ने साफ कहा कि वह सत्ता के लिए सम्मान से समझौता नहीं कर सकतीं। इसलिए सभी बातों को ध्यान में रखने के बाद सपा से हाथ मिलाने और मिलकर चुनाव लड़ने का कोई सवाल ही नहीं है।

इसका साथ ही मायावती ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुकाबले खुद को विकल्प के रूप में पेश करने में भी देर नहीं लगाई। मायावती ने कहा कि जब हम सत्ता में आएंगे तब कानून का उल्लंघन करने वालों से कड़ाई से निपटा जाएगा और बलात्कार की घटनाओं पर पूरी तरह से लगाम लगाई जाएगी। बसपा नेता ने राज्य में सांप्रदायिक ¨हसा के लिए सपा और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'सपा और भाजपा ने अंदरखाने में हाथ मिला लिया है और इसलिए इनमें से किसी पार्टी से हाथ मिलाने का कोई सवाल ही नहीं है।'

'मैं तो हाथ मिलाने के लिए तैयार हूं, लेकिन किससे हाथ मिलाऊं। सपा अकेले ही भाजपा का मुकाबला करेगी।'

-मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख

'सत्ता के लिए सम्मान से कोई समझौता नहीं। इसलिए सपा से हाथ मिलाने और मिलकर चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता है।'

-मायावती, बसपा अध्यक्ष

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