अमित शाह का गुजरात से दिल्ली तक का सफर

गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश में अपने सांगठनिक एवं प्रबंधकीय क्षमता का बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे अमित शाह को अब पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

By Edited By: Publish:Wed, 09 Jul 2014 02:49 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jul 2014 07:08 AM (IST)
अमित शाह का गुजरात से दिल्ली तक का सफर

नई दिल्ली। गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश में अपने सांगठनिक एवं प्रबंधकीय क्षमता का बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे अमित शाह को अब पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जीवन परिचय :

अमित शाह का पूरा नाम अमित अनिलचंद्र शाह है। इनका जन्म शिकागो में व्यवसायी अनिलचंद्र शाह के घर [मुंबई] 1964 में हुआ। अमित शाह ने बॉयोकेमेस्ट्री में बीएससी तक शिक्षा हासिल की। बाद में वह अपने पिता के व्यवसाय से जुड़ गए। आगे चलकर उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से भाजपा में प्रवेश किया। उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य भी बनाया गया।

राजनीतिक सफर :

कुछ समय तक उन्होंने स्टॉक ब्रोकर का भी कार्य किया। उसी दौरान वह आरएसएस से जुड़ गए और साथ ही भाजपा के सक्रिय सदस्य भी बन गए। इसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उस समय ही अमित शाह उनके करीब आए और गांधीनगर क्षेत्र में चुनाव में आडवाणी के साथ चुनाव प्रचार किया।

शाह गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष और गुजरात राज्य क्रिकेट एसासिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे। गुजरात के पूर्व गृहमंत्री तथा लालकृष्ण आडवाणी के सबसे करीबी माने जाते थे। गुजरात के सबसे चर्चित और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के प्रमुख आरोपी अमित शाह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी सबसे चहेते माने जाते हैं।

उपलब्धियां :

अमित शाह सबसे कम्र उम्र के गुजरात स्टेट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष बने। इसके बाद वे अहमदाबाद जिला को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे।

2003 में जब गुजरात में दोबारा नरेंद्र मोदी की सरकार बनी, तब उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और गृह मंत्रालय सहित कई जिम्मेदारियां सौंपीं। उसके बाद अमित शाह बहुत ही जल्द नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी बन गए।

अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार 4 बार से विधायक हैं। 2002 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य की 182 सीटों में से 126 सीटें जीती तो अमित शाह ने सबसे अधिक [1.58 लाख] वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया। अगले चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़कर 2.35 लाख वोट हो गया।

2004 में केंद्र सरकार द्वारा आतंकवाद की रोकथाम के लिए बनाए गए आतंकवाद निरोधक अधिनियम के बाद अमित शाह ने राज्य विधानसभा में गुजरात कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज क्राइम [संशोधित] बिल पेश किया। हालांकि राज्य विपक्ष ने इस बिल का बहिष्कार किया था।

2008 में अहमदाबाद में हुए बम ब्लास्ट मामले को 21 दिनों के भीतर सुलझाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बम ब्लास्ट में 56 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। उन्होंने राज्य में और अधिक बम ब्लास्ट करने के इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के मंसूबों को भी नेस्तनाबूत किया था।

अमित शाह पर लगे संगीन आरोप:

अमित शाह का राजनीतिक जीवन कुछ विवादों के कारण काफी चर्चित रहा। अमित शाह गुजरात के गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं और नारानपुरा से भाजपा विधायक हैं। सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ की साजिश रचने का उनपर पहला आरोप लगा था। सीबीआइ ने इस मामले में शाह के खिलाफ हत्या, फिरौती और साजिश रचने का आरोप लगाया। सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में अमित शाह आरोपी रहे और तीन महीने तक जेल में रह चुके हैं। फिलहाल वे इन दोनों ही मामलों में क्लीनचिट पा चुके हैं। 2003 में जब उनको गुजरात का गृह राज्यमंत्री बनाया गया तो नवंबर 2005 में हुए सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले ने उनकी राजनीतिक छवि पर नकारात्मक असर दिखा।

26 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन को अहमदाबाद में एक फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया। सोहराबुद्दीन पर राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में मामले दर्ज थे। गुजरात पुलिस ने उसे लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बताते हुए मुठभेड़ में मार दिया। दो दिन बाद यानी 28 नवंबर सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी की भी मौत हो गई। इस फर्जी मुठभेड़ के आरोप कई बड़े पुलिस अफसरों पर लगे। जांच आगे बढ़ी तो इसकी आंच अमित शाह तक पहुंची। 24 जुलाई 2010 को शाह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सीबीआइ ने 25 जुलाई 2010 को उनको गिरफ्तार कर लिया।

अमित शाह करीब तीन महीने तक साबरमती जेल में रहे। इसके बाद उन्हें जमानत तो मिल गई लेकिन कोर्ट ने अमित शाह को गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया, क्योंकि सीबीआइ ने आशंका जताई थी कि शाह जेल से बाहर आकर गवाहों और सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने अपनी चार्जशीट में अमित शाह पर कई गंभीर आरोप लगाए। सीबीआइ की चार्जशीट के मुताबिक अमित शाह पर हत्या, फिरौती, अपहरण और आपराधिक साजिश रचने के आरोप थे। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ की साजिश रचने में वरिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ साथ अमित शाह भी शामिल थे।

सीबीआइ का आरोप था कि अमित शाह के आदेश पर ही सोहराबुद्दीन को मारा गया। यह भी आरोप लगा कि शाह ने इसके लिए गुजरात के डीजीपी डी जी वंजारा की मदद ली थी। वंजारा ने क्राइम ब्रांच के मुखिया अभय चुडास्मा की मदद से फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया।

हालांकि, अमित शाह उत्तर प्रदेश लोक सभा चुनाव 2014 में भाजपा की जीत के प्रमुख रणनीतिकार और शख्सियत बनकर उभरे। लोकसभा चुनाव के दौरान एक आमसभा में भड़काऊ भाषण का आरोप लगा और चुनाव आयोग ने चुनावी रैली में भाषण देने पर पाबंदी लगाई। लेकिन उसमें भी उन्हें क्लीनचिट मिली। अमित शाह पर भाजपा ने एक बार अपना फिर से अपना विश्वास जताया और उन्हें आज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है।

पढ़ें : उप्र में बेहतर काम करने का मिला इनाम, अमित शाह बने भाजपा अध्यक्ष

chat bot
आपका साथी