महाराष्ट्र के सैनिक परिवार को भी चमत्कार की उम्मीद

पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले के महास्करवाड़ी के एक नए घर में नन्ही बच्ची खेल रही है जो इस बात से अनजान है कि उसकी मां और दादा-दादी क्यों रो रहे हैं। उसके पिता सियाचिन के हिमस्खलन में शहीद हो गए हैं। इसमें नौ सैनिकों की जान गई थी। इस

By Amit MishraEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2016 07:44 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2016 07:54 PM (IST)
महाराष्ट्र के सैनिक परिवार को भी चमत्कार की उम्मीद

सतारा। पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले के महास्करवाड़ी के एक नए घर में नन्ही बच्ची खेल रही है जो इस बात से अनजान है कि उसकी मां और दादा-दादी क्यों रो रहे हैं। उसके पिता सियाचिन के हिमस्खलन में शहीद हो गए हैं। इसमें नौ सैनिकों की जान गई थी। इस परिवार को अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद है।

नन्ही बच्ची के पिता सुनील सूर्यवंशी उन सैनिकों में शामिल थे जो हिमस्खलन के बाद सैकड़ों टन बर्फ के नीचे दब गए थे। यह घटना पिछले बुधवार को दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र सियाचिन में हुई थी। सुनील से अंतिम बार हुई बात का जिक्र करते हुए उनकी मां संगीता ने बताया, 'उसने कहा, मैं लौट कर आऊंगा और सबका ख्याल रखना। उसने कहा कि फिर फोन करूंगा।' सैनिक के पिता विट्ठल ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की कुर्बानी पर गर्व है। जबकि किसी चमत्कार की उम्मीद करते हुए सुनील के भाई तानाजी ने कहा, 'हमें अभी भी आभास हो रहा है कि वह लौटकर आएगा।' उन्होंने बताया कि सुनील अपनी एक साल की बेटी से बहुत प्यार करता था।

सुनील को पढ़ाने वाली वंदना सुहास ने बताया कि वह पांचवीं से दसवीं तक पढ़ने के लिए स्कूल छह किलोमीटर पैदल चलकर आता था। उन्होंने बताया कि सुनील का परिवार हाल ही में बने नए घर में रहने गया। 1991 में जन्मे सुनील की दो साल पहले ही शादी हुई थी। यह दूसरा मौका है जब सतारा जिले का दूसरा सपूत शहीद हो गया। पिछले साल 17 नवंबर को कर्नल संतोष महाडिक कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।

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