Locusts Attack: देश में टिड्डियों के हमलों से बचा ली गई खेती, सक्रिय उपायों से नहीं हुआ बड़ा नुकसान

Locusts Attack उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा गुजरात पंजाब मध्य प्रदेश राजस्थान समेत नौ प्रदेशों के 2.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अभियान चलाया गया।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 08:51 AM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 08:51 AM (IST)
Locusts Attack: देश में टिड्डियों के हमलों से बचा ली गई खेती, सक्रिय उपायों से नहीं हुआ बड़ा नुकसान
Locusts Attack: देश में टिड्डियों के हमलों से बचा ली गई खेती, सक्रिय उपायों से नहीं हुआ बड़ा नुकसान

नई दिल्ली, प्रेट्र। Locusts Attack, टिड्डी नियंत्रण अभियान इस साल देश के 2.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चलाया गया। यह अभियान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान के खेतिहर इलाकों में चला। अभियान की सक्रियता के चलते इस बार किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने दी है।

आधिकारिक बयान में बताया गया है कि अभियान 11 अप्रैल से शुरू होकर 11 अगस्त तक 2.76 लाख हेक्टेयर इलाके में चला, लेकिन 18 अगस्त तक इसने लाख 2.87 हेक्टेयर इलाका कवर किया। इस अभियान में सभी प्रदेश सरकारों का सहयोग लिया गया। अभियान में 12 स्थान ऐसे थे जहां रात-दिन लगातार काम हुआ। इनमें राजस्थान के पांच जिलों (जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चुरु और हनुमानगढ़) के दस स्थान थे, गुजरात के कच्छ जिले में दो स्थान थे।

राजस्थान और गुजरात में स्प्रे वेहिकिल के साथ 104 टीमें सक्रिय रहीं। राजस्थान में टिड्डी दल की सक्रियता जानने के लिए 15 ड्रोन भी तैनात किए गए। साथ ही टिड्डियों की सही संख्या और नियंत्रण दल को जल्द पहुंचाने के लिए राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में एक बेल हेलीकॉप्टर भी तैनात किया गया। इन सब प्रयासों से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सका।

बुधवार को राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चुरु और हनुमानगढ़ में टिड्डियों के सक्रिय होने की खबर मिली, वहां पर उनके नियंत्रण के उपाय तेज कर दिए गए हैं। अफ्रीका से उड़ने वाला टिड्डियों का यह झुंड पाकिस्तान होता हुआ भारत आता है।

टिड्डियों के झुंड बनने वाले रसायन का लगाया पता

वैज्ञानिकों ने टिड्डियों द्वारा छोड़े जाने वाले एक ऐसे केमिकल कंपाउंड (रसायनिक यौगिक) की पहचान की है जो उनके झुंड बनने के कारण बनता है। अब ऐसा माना जा रहा है कि इन कीटों को रोकने के लिए संभव है कि नए तरीकों की खोज के दरवाजे खोले जा सकते हैं। यदि वैज्ञानिकों को इनमें कामयाबी मिल गई तो वो इंसानों के सामने पैदा होने वाले खाद्य संकट को कम कर पाएंगे।

chat bot
आपका साथी