नए CJI की नियुक्ति पर बोले रविशंकर, सरकार की नीयत पर संदेह नहीं होना चाहिए

मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति किये जाने के सवाल पर सोमवार को कानून मंत्री ने साफ कहा कि सरकार की नीयत पर संदेह की कोई वजह नहीं है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Mon, 18 Jun 2018 10:49 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jun 2018 10:49 PM (IST)
नए CJI की नियुक्ति पर बोले रविशंकर, सरकार की नीयत पर संदेह नहीं होना चाहिए
नए CJI की नियुक्ति पर बोले रविशंकर, सरकार की नीयत पर संदेह नहीं होना चाहिए
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के प्रशासनिक कामकाज पर सवाल उठाने वाले चार वरिष्ठ जजों की प्रेस कान्फ्रेंस में शामिल जस्टिस रंजन गोगोई को अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति किये जाने के सवाल पर सोमवार को कानून मंत्री ने साफ कहा कि सरकार की नीयत पर संदेह की कोई वजह नहीं है। वैसे तो ये सवाल काल्पनिक है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया तय है, सेवानिवृत होने वाले मुख्य न्यायाधीश अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम की संस्तुति करके जाते हैं और फिर उस पर सरकार विचार करती है। जब संस्तुति आयेगी तब उसे देखेंगे। सरकार की नीयत पर शंका का कोई कारण नहीं।
इसके अलाव प्रसाद ने कानून मंत्रालय के चार साल के कामकाज का लेखाजोखा देते हुए विपक्षी दलों की महिला नेताओं मायावती, ममता बनर्जी और सोनिया गांधी से अपील की कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर तीन तलाक बिल का समर्थन करें। प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक बिल मुस्लिम महिलाओं को लिंग आधारित भेदभाव से मुक्त कराने और बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में सबसे अधिक न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है।
हाईकोर्ट और जिला अदालतों के जजों की कुल संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। 2014 में हाईकोर्ट न्यायाधीशों के कुल मंजूर पद 906 थे जो कि मई 2018 में 1079 हो गए हैं। जिला जजों के पद भी 19518 से बढ़कर इस वर्ष मार्च तक 22545 हो गए हैं। कहा कि उनकी सरकार के चार साल के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में 17 और हाईकोर्ट में 315 जजों की नियुक्ति की।
2016 में 126 हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति हुई जो कि पिछले 30 सालों में सबसे अधिक है। इसके अलावा 247 एडीशनल जज स्थाई किये गये। न्यायपालिका में ढांचागत संसाधनों जैसे अदालत कक्ष जजों के लिए आवास आदि के लिए भी आज तक जारी कुल केन्द्रीय कोष में से 48 फीसद से ज्यादा कोष पिछले पांच सालों में जारी हुआ। सरकार ने पुराने पड़ चुके 1428 कानूनों को रद किया है जबकि 167 और रद होने की प्रक्रिया में हैं। अदालतों का कंप्यूटरीकरण और न्याय को आमजन तक पहुंचाने के प्रयास किये गए इसके लिए तकनीकी का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया तय करने वाले एमओपी पर विचार विमर्श चल रहा है।
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