जानिए क्यों शिप्रा नदी के पानी में हो रहे थे धमाके, जांच के बाद जीएसआइ ने प्रांरभिंक रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी

शिप्रा के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से धमाके हो रहे हैं। ग्रामीणों ने सबसे पहले 28 फरवरी को धमाके की आवाज सुनी थी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी गई। अधिकारियों ने मौके पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) के कर्मचारियों को तैनात किया था।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 05:56 PM (IST) Updated:Fri, 12 Mar 2021 06:14 PM (IST)
जानिए क्यों शिप्रा नदी के पानी में हो रहे थे धमाके, जांच के बाद जीएसआइ ने प्रांरभिंक रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी
श्रद्धालुओं को अभी भी त्रिवेणी घाट पर जाने की अनुमति नहीं होगी।

उज्जैन, जेएनएन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में हो रहे धमाकों का पता चल गया है। जांच करने आए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के दल ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है। इसमें संभावना जताई गई है कि नदी की चट्टानों से मीथेन-इथेन जैसी ज्वलनशील गैसों के उत्सर्जन के कारण धमाके हो रहे हैं।

विशेषज्ञों ने यह भी उल्लेख किया है कि नदी के तट पर भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूल-हार के इकट्ठा होने और इनसे बनने वाली प्राकृतिक गैस के ऑक्सीजन के संपर्क में आने से भी धमाके हो सकते हैं। हालांकि यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है। जीएसआइ पानी और मिट्टी के नमूनों की जांच भी कर रही है। इसके बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। इसी बीच, प्रशासन ने निर्णय लिया है कि त्रिवेटी घाट क्षेत्र में शनिवार को होने वाले शनिश्चरी अमावस्या का स्नान फव्वारे में करवाया जाएगा। श्रद्धालुओं को त्रिवेणी घाट पर जाने की अनुमति नहीं होगी।

त्रिवेणी घाट में बीते कुछ दिनों से हो रहे थे धमाके

गौरतलब है कि शिप्रा के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से धमाके हो रहे हैं। ग्रामीणों ने सबसे पहले 28 फरवरी को धमाके की आवाज सुनी थी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी गई। अधिकारियों ने मौके पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) के कर्मचारियों को तैनात किया था। पांच मार्च की शाम को एक बार फिर धमाके हुए। इसका वीडियो भी ग्रामीणों ने बनाया था।

इसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने जीएसआइ और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को ई-मेल कर जांच करने को कहा था। आठ मार्च को भोपाल से जीएसआइ के दल ने उज्जैन आकर जांच की थी। नदी से मिट्टी, गाद और पानी के नमूने लिए गए थे। ओएनजीसी का दल भी जांच के लिए शनिवार को उज्जैन पहुंच सकता है। यह गैस उत्सर्जन जैसे बिंदुओं पर बारीकी से पड़ताल करेगा।

पास ही मंदिर होने से पानी में डाला जाती है पूजा सामग्री

त्रिवेणी क्षेत्र में प्राचीन शनि मंदिर स्थित है। घाट होने के कारण यहां भक्त पूजा सामग्री नदी में ही फेंक देते हैं। यहां पास में बांध होने से पानी ठहरा हुआ है। जीएसआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठहरे हुए पानी में अधिक पूजा सामग्री के इकट्ठा होने से प्राकृतिक गैस बनती है। गैस के ऑक्सीजन के संपर्क में आने से भी चिंगारियां निकलने और धमाके होने जैसी घटनाएं संभव हैं।

सुझाव: पूजन सामग्री फेंकने पर लगाई जाए सख्ती से रोक

जीएसआइ के दल में शामिल वरिष्ठ भूविज्ञानी अरुण कुमार और अन्य विशेषज्ञों ने उज्जैन जिला प्रशासन को कुछ सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा है कि त्रिवेणी घाट क्षेत्र में पूजन सामग्री फेंकने पर सख्ती से रोक लगाई जाए। इस क्षेत्र की नियमित सफाई भी कराई जानी चाहिए।

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