Kartavya Path: परतंत्रता के प्रतीक से मुक्ति, नये भारत की नयी तस्वीर

Kartavya Path नई दिल्ली स्थित राजपथ अब कर्तव्य पथ बन चुका है परंतु यह केवल नाम परिवर्तन नहीं है। यह देश में हो रहे बड़े परिवर्तन के स्पष्ट रूप से दिखने और उसकी अनुभूति से भी जुड़ा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 12 Sep 2022 02:05 PM (IST) Updated:Mon, 12 Sep 2022 02:05 PM (IST)
Kartavya Path: परतंत्रता के प्रतीक से मुक्ति, नये भारत की नयी तस्वीर
इंडिया गेट से सटे क्षेत्र को नए सिरे से संवारा गया है।

हर्ष वर्धन त्रिपाठी। आठ सितंबर 2022 भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण तिथि के तौर पर दर्ज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया गेट के ठीक सामने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शानदार प्रतिमा स्थापित कर दी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने सबसे पहले भारत की स्वतंत्रता का उद्घोष किया था। उन्होंने स्वतंत्र भारत की सरकार बना ली थी और स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र सेना आजाद हिंद फौज भी।

नेताजी की प्रतिमा के अनावरण के साथ इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक की सड़क का नामकरण राजपथ से कर्तव्य पथ होने के साथ ही यह तिथि ऐतिहासिक हो गई है। इस ऐतिहासिक परिवर्तन को दो तरह से समझा जा सकता है। पहला, यह परिवर्तन इंडिया गेट से कर्तव्य पथ के रास्ते राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले हर व्यक्ति को खुली आंखों से दिख जाएगा। ढाई किमी लंबी यह सड़क अपने साथ ही सबकुछ बताती चलती है। कर्तव्य पथ के दोनों तरफ पैदल चलने के लिए गुलाबी पत्थरों से तैयार रास्ता राजधानी की सबसे प्रमुख सड़क पर होने का अहसास दिलाता है।

देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों के लिए पहले ही नरेन्द्र मोदी सरकार ने युद्ध स्मारक बनाया और अब नेताजी की प्रतिमा इस पूरे प्रांगण को गौरवशाली अभिव्यक्ति के भावों से भर देती है। यह सब स्पष्ट तौर पर दिखता है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष या कहें कि महत्वपूर्ण परिवर्तन अलग से नहीं दिखता। वही दूसरा परिवर्तन समझना महत्वपूर्ण है। राजपथ अब कर्तव्य पथ हो गया। इस पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया कुछ इस तरह से आई कि बेहतर होगा, प्रधानमंत्री अपने कर्तव्य का ठीक से निर्वाह करें। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, हमें गुलामी की हर निशानी को हटाना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम आवास के सामने की सड़क का नाम रेस कोर्स रोड से लोक कल्याण मार्ग कर दिया। नौसेना का ध्वज चिन्ह छत्रपति शिवाजी से प्रेरित है। गुलामी का प्रतीक रेड क्रास हट गया है। अंग्रेजों ने उनके लिए लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के लिए इंडिया गेट बनाया, लेकिन भारत के लिए लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की याद में स्मारक नहीं था, जो अब बन गया है। इसलिए जब नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, हमें गुलामी की हर निशानी को खत्म करना है तो वहीं दूसरा भाव जाग्रत करने की कोशिश थी। प्रधानमंत्री यह बात अच्छे से जानते हैं कि केवल कहने पर इसका मजाक बनाया जाएगा। इसीलिए उन्होंने भारत के स्व को जाग्रत करके उसे प्रतिष्ठित करने का कार्य तेजी से किया है।

कर्तव्य पथ के निकट हुए परिवर्तन को समझिए। इंडिया गेट को छोड़कर इस पूरे क्षेत्र के विकास की योजना किसी विदेशी वास्तुविद की बनाई नहीं रह गई है। अब यहां की वास्तुविद योजना भारतीय आर्किटेक्ट की बनाई हुई है। अगला सत्र भारतीय कंपनी टाटा और एलएंडटी के बनाए संसद भवन में होने की पूरी उम्मीद है। अंग्रेजों का बनाया संसद भवन और नार्थ, साउथ ब्लाक अब ऐतिहासिक विरासत के तौर पर ही सहेजा जाएगा। नार्थ और साउथ ब्लाक में आम जनता भी संग्रहालय देखने जा सकेगी। भारत की संसद अब भारत की बनाई हुई है। यह अलग बात है कि देश की इस परियोजना का विपक्षी दलों और तथाकथित नागरिक समाज ने विरोध किया था।

समझा जा सकता है कि यह विरोध विपक्षी पार्टियों और तथाकथित नागरिक समाज के दिवालियेपन और दोहरेपन का जीता जागता प्रमाण है। इस परियोजना के रास्ते में कई बाधाएं आईं और इस योजना के बनने के साथ ही विपक्ष और तथाकथित नागरिक समाज ने दिल्ली की पहचान खत्म करने का आरोप लगाकर इन बाधाओं को खड़ा किया था। इतने से बात नहीं बनी तो फिर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी कूदे। कोरोना के समय पूरी सेंट्रल विस्टा परियोजना की 20 हजार करोड़ रुपये की रकम को बर्बादी बताकर मोदी को तानाशाह बताया गया।

प्रधानमंत्री आवास बनाने को लेकर ऐसे निशाना साधा गया जैसे मोदी की निजी संपत्ति बन रही हो। इन सबसे बात नहीं बनी तो कहा गया कि सारे पेड़ काटे जा रहे हैं। फिर कहा गया कि इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड नहीं हो पाएगी। दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में पीआइएल डालकर काम रोकने की भरपूर कोशिश हुई, नाकाम रही दिल्ली की पहचान खत्म करने की आरोप लगाने के साथ वास्तुविदों के हवाले से इस परियोजना के बाद लुटियन दिल्ली की सूरत बिगड़ने का आरोप लगा। हर बात में यह ध्वनि जरूर आती थी कि अंग्रेज जो बनाकर गए हैं, उससे बेहतर हम क्या बनाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले आठ वर्षों से इसी भाव से लड़ रहे हैं। और अब कर्तव्य पथ से यह सब बहुत स्पष्ट दिख रहा है कि भारत का स्व जाग्रत हो गया है।

[वरिष्ठ पत्रकार]

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