इस युवक ने खूनी खेल 'ब्लू व्हेल चैलेंज' पर पायी जीत, गेम बीच में छोड़ मिसाल पेश की

‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ से पीछा छुड़ाने वाले शुभम ने इस बारे में दैनिक जागरण से खास बातचीत की।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Thu, 07 Sep 2017 03:08 PM (IST) Updated:Sat, 09 Sep 2017 10:34 AM (IST)
इस युवक ने खूनी खेल 'ब्लू व्हेल चैलेंज' पर पायी जीत, गेम बीच में छोड़ मिसाल पेश की
इस युवक ने खूनी खेल 'ब्लू व्हेल चैलेंज' पर पायी जीत, गेम बीच में छोड़ मिसाल पेश की

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। ‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ एक गेम नहीं मौत का कुआं है। खासकर भावनात्मक रूप से कमजोर युवाओं के लिए यह और भी ज्यादा घातक है। ऐसे भावुक युवा एक बार इसके जाल में फंस जाते हैं तो फिर उनका वापस निकल पाना नामुमकिन सा नजर आने लगता है। मुंबई, तिरुवनंतपुरम, इंदौर, दिल्ली, पीलीभीत हो या पठानकोट युवा लगातार इसके जाल में फंसकर मौत को गले लगा रहे हैं। पूरी दुनिया परेशान है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कोई इस गेम को छोड़कर बाहर नहीं निकल सकता। 

शुभम ने तोड़ा मौत का चक्रव्यूह

ऐसा कारनामा कर दिखाया है बरेली के 17 वर्षीय शुभम ने। शुभम ने मौत के इस खेल का चक्रव्यूह तोड़ डाला है। अपनी हिम्मत के दम पर शुभम ने इस खूनी खेल को बीच में ही छोड़ दिया। शुभम का कहना है कि खेल को कुछ इस तरह गढ़ा गया है कि वह खेलने वाले के दिमाग पर हावी हो जाता है। हालांकि, यह सिर्फ भ्रम और दबाव पर टिका है। मजबूत इच्छा शक्ति और मानसिक दृढ़ता से यह खेल आसानी से छोड़ा जा सकता है।

शुभम ने दैनिक जागरण को बतायी पूरी कहानी

‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ से पीछा छुड़ाने वाले शुभम ने इस बारे में दैनिक जागरण से खास बातचीत की। उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से बताया कि कैसे उन्हें टास्क मिलते थे और कैसे उन्होंने इस खूनी खेल से पीछा छुड़ाया।

टॉस्क 01 : शुभम ने बताया कि उन्होंने ब्लू व्हेल चैलेंज खेलने के लिए डाउनलोड किया और चार अगस्त को पहला टास्क ‘0079046583964’ मोबाइल नंबर से मैसेज के जरिए मिला। इसमें कलाई पर अच्छे दोस्त को गाली लिखकर 24 घंटे खुली बांह कर टहलना था। टास्क पूरा होने पर पांच अगस्त को शुभकामना का मैसेज आया।

टॉस्क 02 : दूसरा टास्क छह अगस्त को मिला। इसमें सुबह 4.20 बजे हॉरर मूवी ‘हॉन्टेड इन कनेक्टिकट’ ऑनलाइन दिखाई और वीडियो कॉलिंग के जरिए शुभम के चेहरे पर आने वाले भावों पर नजर रखी गई। टास्क पूरा होने पर सात अगस्त को शुभकामना मैसेज मिला।


टॉस्क 03 : आठ अगस्त को तीसरा टास्क बांह पर व्हेल की टेल की आकृति ब्लेड से काट कर बनाने का मिला। शर्त यह रखी कि लाइव मूवमेंट के जरिए इसे दिखाना होगा। इस पर शुभम ने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। दोपहर 12 बजे के करीब मोबाइल ऑन किया तो उकसाते हुए ‘यू कैन डन’ के मैसेज आने लगे। नहीं किया तो परिवार और दोस्तों के प्रति भड़काया और ‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ को हमदर्द बताते हुए मैसेज भेजे गए। इन्कार करने पर परिवार को बर्बाद करने की धमकियां भी दी गईं। इससे शुभम डिप्रेशन में आ गया।

टॉस्क पूरा न करने पर दी धमकी

‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम में मिले टास्क को पूरा न करने पर शुभम और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई। कहा गया कि भारत में भी हमारे लोग हैं, जो पूरे परिवार को मार देंगे, इसलिए गेम आगे खेलो। लेकिन शुभम आगे नहीं खेला और मौत के कुएं से आजाद हो गया।

गेम से पीछा छुड़ाना नहीं आसान

इस गेम को खेलने के बाद साइन आउट नहीं किया जा सकता। शुभम ने अनइंस्टाल कर दिया, तो मोजिला पर जो भी सर्च करता उसकी जगह ब्लू व्हेल चैलेंज ही आता। इसके बाद एक नंबर से मैसेज आया, जिसे ट्रू-कॉलर पर सर्च किया तो पता चला कि पहला अक्षर सात रूस का कोड है। इसके बाद 15 अगस्त की रात को मोबाइल री-सेट कर दिया। इसके बाद कोई मैसेज नहीं आया।


डर के आगे जीत है

ब्लू व्हेल चैलेंज को हराने वाले शुभम का कहना कि जो भी लोग इसे खेल रहे हैं। वह डरें नहीं, बल्कि दोस्तों और माता-पिता को बताएं। एडमिनिस्ट्रेटर सिर्फ टॉर्चर कर सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकता। जो लोग डर जाते हैं। वही अपनी जिंदगी के लिए खतरा बनते हैं।

माता-पिता ऐसी गलती न करें...

ब्लू व्हेल गेम के भंवर में फंसकर दो बार जान देने की कोशिश करने वाला पठानकोट का छात्र अभी भी तनाव में है। उसकी काउंसिलिंग करने वाली मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सोनिया मिश्र ने बताया कि उसके मम्मी-पापा अपनी जॉब में व्यस्त रहते थे। काउंसिलिंग में छात्र ने बताया कि जब घर पर मम्मी-पापा के साथ कुछ समय बिताने का मौका मिलता तो दोनों अपने-अपने मोबाइल में बिजी हो जाते थे। अक्सर दोनों झगड़ा भी करते। यहां तक कि स्कूल जाते समय वह उनकी बाय का जवाब भी नहीं देते थे। ऐसे में वह अपने आप को अकेला महसूस करने लगा था।

शुभम ने बताया कि उसने कई बार मम्मी-पापा को बताने की भी कोशिश की, लेकिन कहा कि उनके पास मेरे लिए समय ही नहीं था। उनको देख वह भी मोबाइल में बिजी हो जाता। कभी गेम खेलता तो कभी सोशल साइट सर्च करता। इसी बीच साइट खोजते-खोजते वह ब्लू व्हेल गेम तक पहुंचा। उस गेम को खेलते-खेलते वह खुद को दूसरों से अलग महसूस करने लगा। हॉरर मूवीज व टास्क उसे रात को सोने नहीं देते। वह बस जीतना चाहता था। अपने डर पर काबू पाना चाहता था। चाहता था कि कोई उसे समझे। बस, ऐसा करते-करते उसे पता ही नहीं चला कि कब उसने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मशहूर साइक्लॉजिस्ट प्रणिता गौड़ ने इस बारे में Jagran.com से बात की। उन्होंने बताया कि शुरुआत में बच्चे सोचते हैं कि एक बार करके देखते हैं क्या होता है? वे सोचते हैं कि एक-दो बार खेलेंगे, फिर हम छोड़ देंगे। फिर बच्चों के ग्रुप बन जाते हैं और आपस में गेम्स की लेवल को लेकर भी उनमें आपसी प्रतियोगिता होने लगती है। इस बारे में दैनिक जागरण ने मनोचिकित्सक हेमा खन्ना से बात की। उन्होंने बताया कि टीनएजर्स में चैलेंज स्वीकार करके विनर बनने की जिद बढ़ रही है। इससे इस गेम का शिकार किशोर हो रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान देने और समय देने की जरूरत है।

बच्चों में ऐसे लक्षण दिखें तो सावधान

डॉ. प्रणिता गौड़ ने बताया- बच्चे में विड्रॉवल सिमटम्स दिखते हैं, उसके अंदर एंग्जाइटी रहती है। ऐसे गेम बच्चा जब भी खेलता है वह पैरेंट्स से छिपकर खेलता है। बच्चे का स्वभाव उग्र होने लगता है। वह खाना-पीना छोड़ देता है, पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगता। बच्चा डिप्रेशन में जाने लगता है। बच्चा अपने माता-पिता और दोस्तों से दूरी बना लेता है। जब भी बच्चों में ऐसा कोई दिखे तो माता-पिता को चाहिए कि उसे कभी अकेला न छोड़ें। रात को भी उसे अकेले न सुलाएं। बच्चे के आसपास रहें और उसे बिल्कुल भी यह एहसास न होने दें कि आप उस पर नजर रख रहे हैं। बच्चे को डांटना और मारना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ेगी ही। ऐसे बच्चे को प्यार की जरूरत होती है। उसे लगना चाहिए कि उसके माता-पिता, दोस्त और सामाज उसके साथ हैं।

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