डोकलाम पर चीन को घेरने के लिए अब भारत अपना रहा है यह रणनीति

भारत ने डोकलाम मुद्दे पर जहां चीन से लगती सीमा पर अपने सैनिकों की संख्‍या में इजाफा किया है वहीं कूटनीतिक रास्‍तों के जरिए इसको सुलझाने की उम्‍मीद भी नहीं खोई है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 11 Aug 2017 04:48 PM (IST) Updated:Fri, 11 Aug 2017 05:48 PM (IST)
डोकलाम पर चीन को घेरने के लिए अब भारत अपना रहा है यह रणनीति
डोकलाम पर चीन को घेरने के लिए अब भारत अपना रहा है यह रणनीति

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। डोकलाम में जारी तनाव को देखते हुए भारत अपनी पूरी तैयारी करने में जुट गया है। इसके तहत भारत ने सुकना स्थित 33वीं कोर से सैनिकों को सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर तैनात करना शुरू कर दिया है। रक्षा मंत्री इस मुद्दे पर भारत का रुख पहले ही स्‍पष्‍ट कर चुके हैं कि इस बार 1962 जैसी गलती नहीं होगी। इसके अलावा भारत चीन की घेरने की रणनीति के तहत म्‍यांमार का भी सहारा लेने की कोशिश करने वाला है। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी सितंबर में वहां की यात्रा करने वाले हैं। उनकी यह यात्रा बेहद खास हाेने वाली है। दरअसल म्यांमार में ऐसी विचारधारा वाले लोगों की संख्या बढ़ी है जो चीन पर निर्भरता के सख्त खिलाफ हैं। भारत के इस पड़ोसी देश के पास गैस का बहुत बड़ा भंडार है, लेकिन अभी तक उसका दोहन चीन करता रहा है।

वैसे तो पीएम मोदी के इस दौरे के पीछे आसियान की बैठक है लेकिन उनकी यह यात्रा भारत की लुक ईस्ट नीति के तहत भी एक अहम कदम साबित होने वाली है। यहां पर यह बात भी ध्‍यान देने वाली है कि बीते दो वर्षों में भारत ने म्यांमार में चीन के असर को काटने में काफी सफलता हासिल की है। यहां पर दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता के लिए पीएम मोदी के पास कई एजेंडा हैं जो दोनों देशों के रिश्‍तों को नया आयाम दे सकते हैं। वह पहले ही इस बात को कह चुके हैं कि भारत की लुक ईस्ट नीति के लिहाज से म्यांमार काफी अहम है। उन्होंने म्यांमार के साथ द्विपक्षीय रिश्ते प्रगाढ़ करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।

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अपनी इस यात्रा के दौरान मोदी के एजेंडे में भारत के पूवरेत्तर राज्यों को म्यांमार और थाईलैंड से जोड़ना सबसे अहम है। वैसे चीन म्यांमार में कारोबार से लेकर सैन्य सहयोग तक के मामले में भारत से काफी आगे है, लेकिन अब वहां की नई सरकार कुछ बदलाव के संकेत देने लगी है। पिछले महीने जब म्यांमार के कमांडर इन चीफ भारत आए थे तब उन्होंने सैन्य सहयोग पर चर्चा की थी। मोदी की यह यात्रा इस बारे में सहयोग को ठोस रूप देने का काम करेगी। म्यांमार ने पूर्वोत्तर के आतंकियों का सफाया करने से लेकर सड़क व रेल नेटवर्क बनाने के भारतीय प्रस्ताव का खुलकर समर्थन दिया है। मेकांग-भारत इकॉनोमिक कॉरीडोर प्रस्ताव का भी वह पूरा समर्थन करता है। लोकतंत्र मजबूत होने के साथ ही वहां भारत की पैठ बनने के पूरे आसार हैं।

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भारत चीन को घेरने के लिए कूटनीति के साथ-साथ दूसरे विकल्‍प भी खुले रखे हुए है। सिलीगुड़ी में 33वीं कोर की तीन डिवीजनों को भारत-चीन सीमा पर तैनात कर भारत ने अपनी यह मंशा भी साफ कर दी है। सैनिकों की तैनाती की यह प्रक्रिया 20-25 दिन पहले शुरू हुई थी। सिक्किम के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में सीमा से 500 मीटर से दो किलोमीटर दूरी के स्थानों पर इन सैनिकों की तैनाती की गई है। सेना ने एक बयान में कहा कि डोका ला में दोनों तरफ से यथास्थिति बनी हुई है। जहां तक सिक्किम में चीन सीमा की तरफ सेना के बढ़ने की बात है तो यह एक नियमित प्रक्रिया है। सेना का कहना है कि सेना के अपने नियमित कार्यक्रम चलते रहते हैं जिसमें जवानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। इसका डोका ला की घटना से कोई संबंध नहीं है। सेना पहले ही साफ कर चुकी है कि इस मुद्दे पर वह नो वार नो पीस मोड में है।

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