वो था तो बहुत जालिम लेकिन कहता था बच्चों को अनुशासन में रखो

एक किताब के मुताबिक इराक का तानाशाह सद्दाम हुसैन पर जब मुकदमा चलाया जा रहा था तो वो उदार हो चला था।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Sun, 04 Jun 2017 01:01 PM (IST) Updated:Mon, 05 Jun 2017 09:46 AM (IST)
वो था तो बहुत जालिम लेकिन कहता था बच्चों को अनुशासन में रखो
वो था तो बहुत जालिम लेकिन कहता था बच्चों को अनुशासन में रखो

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । राजाओं, तानाशाहों का उत्थान जितना रोचक होता है, उनका पतन भी उतना ही आश्चर्यजनक होता है। दुनिया ने न जाने कितने तानाशाहों को देखा जिनकी सनक मानव जाति के लिये हानिकारक साबित हुई । उन्हीं तानाशाहों में से एक था सद्दाम हुसैन। सद्दाम जब तक सत्ता में रहा उसकी मर्जी के बगैर इराक में एक पत्ता तक नहीं हिलता था। लेकिन उसके अंतिम दिन लाचारगी भरे रहे। सद्दाम की जातीय जिंदगी के बारे में बहुत से लेखकों ने अपने अंदाज में हकीकत या फसानों को किताबों में जगह दी है। लेकिन हम जो कहानी बताने जा रहे हैं वो सद्दाम के अंतिम दिनों की है जब वो बंकर से पकड़ा गया था। सद्दाम के अंतिम दिनों के बारे उसकी सुरक्षा में तैनात अमेरिकी सुरक्षाकर्मियों में से एक ने किताब लिखकर दिलचस्प बातें बताई है। 

 अंतिम दिनों में सद्दाम कुछ ऐसा था

सद्दाम की सुरक्षा में तैनात अमेरिकन सुरक्षाकर्मियों के बच्चे थे जिन्हें सद्दाम हुसैन अपनी छोटी छोटी कहानियां सुनाया करता था। इराकी तानाशाह सद्दाम अपने अंतिम दिनों में अमेरिकी गायिका मेरी जे ब्लिज के गानों को सुना करता था। इसके अलावा वो मफिन  का शौकीन था। बार्डेनपर द्वारी लिखी गई किताब द प्रिजनर इन हिज पैलेस के मुताबिक सद्दाम अपने अंतिम दिनों में उदार हो चला था।

2006 में फांसी देने के पहले वो तीन दशक तक इराक पर राज कर चुका था। 69 वर्ष की उम्र में सद्दाम को फांसी दी गई थी। जब सद्दाम के खिलाफ बगदाद में मुकदमा चलाया जा रहा था उस वक्त 551 मिलिट्री पुलिस कंपनी में तैनात अमेरिकी सुरक्षाकर्मी उसकी निगरानी रखते थे। सद्दाम की सुरक्षा में तैनात अमेरिकी सिपाही अपने आप को सुपर 12 के नाम से संबोधित करते थे।

अमेरिकी सुरक्षाकर्मियों से नजदीकी रिश्ता

सद्दाम की सुरक्षा में तैनात इन अमेरिकी सिपाहियों को उससे एक रिश्ता कायम हो गया था। सद्दाम के अंतिम दिनों के बारे में जानकारी देते हुए किताब में बताया गया है कि कैदखाने के बाहरी हिस्सों की गंदगी को साफ करने में उसे आनंद आता था। बदसूरत ढंग से फैले खरपतवार को पानी देने में उसे सुकून मिलता था। लेकिन वो अपने खाने को लेकर फिक्रमंद था। नाश्ते में सबसे पहले वो ऑमलेट लेता था उसके बाद मफिन और ताजे फल का सेवन करता था। अगर ऑमलेट में किसी तरह की खराबी होती थी तो वो खाने से इंकार कर देता था।

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सद्दाम ने जब लग्जरी गाड़ियों को किया आग के हवाले

अमेरिकी सिपाहियों में से तैनात एक के मुताबिक सद्दाम को खाने के बाद मिठाइयां विशेष तौर पर दी जाती थीं। किताब के मुताबिक वो अपनी सुरक्षा में तैनात सिपाहियों के बच्चों को लेकर फिक्र करता रहता था। अपने पैरेंटिंग टिप को वो उन सिपाहियों से साझा करता था। सद्दाम का मानना था कि बच्चों को अनुशासन में रखना बेहद जरूरी है। अपने बच्चे उदय के बारे में बताते हुए सद्दाम ने कहा कि एक बार उसने कोई गंभीर गलती की जिसके बाद वो बहुत क्रोधित हुआ। दरअसल उदय ने एक पार्टी के दौरान गोलीबारी कर दी थी जिसमें कई लोगों की मौत के साथ साथ कई लोग घायल हो गए थे। मैं अपने बेटे पर बहुत गुस्सा था, क्रोध में मैंने उसकी सभी कारों को जला दिया। सिपाहियों के मुताबिक उदय के पास सैकडों की संख्या में रॉल्स रॉयस,फेरारी और पोर्शे थी।

सद्दाम हंसते हुए बताया करता था कि कैसे वो जहन्नम को भी आनंदपूर्वक देखता था। सद्दाम को रेडियो सुनने का शौक था। यही नहीं अगर मेरी जे ब्लिज के गाने कभी बजते तो थो उसके कदम रुक जाते थे। किताब के मुताबिक ये बड़े आश्चर्य की बात थी कि जिस सद्दाम के पास बड़ी संख्या में संगमरमर के महल थे वो अपने छोटे से कैदखाने में भी खुश था।

 सद्दाम की अनसुनी कहानियां

'सद्दाम हुसैन, द पॉलिटिक्स ऑफ़ रिवेंज' लिखने वाले सैद अबूरिश का मानना है कि सद्दाम की बड़ी-बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनाने की वजह तिकरित में बिताया उसका बचपन था, जहां उसके परिवार के पास उसके लिए जूता तक खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। दिलचस्प बात ये है कि सद्दाम अपने जिस भी महल में सोता था, उसमें वो सिर्फ कुछ घंटों की ही नींद लेता था। वो अक्सर सुबह तीन बजे तैरने के लिए उठ जाया करता था। इराक जैसे रेगिस्तानी मुल्क में पहले पानी धन और ताकत का प्रतीक हुआ करता था और आज भी है।

सद्दाम के हर महल में फव्वारों और स्वीमिंग पूल की भरमार रहती थी। कफलिन लिखते हैं कि सद्दाम को स्लिप डिस्क की बीमारी थी। उनके डाक्टरों ने उन्हें सलाह दी थी कि इसका सबसे अच्छा इलाज तैराकी है, लिहाजा सद्दाम हुसैन के सभी स्वीमिंग पूलों की बहुत बारीकी से देखभाल की जाती थी। उसका तापमान नियंत्रित किया जाता था और ये भी सुनिश्चित किया जाता था कि पानी में जहर तो नहीं मिला दिया गया है।

सद्दाम पर एक और किताब लिखने वाले अमाजिया बरम लिखते हैं कि ये देखते हुए कि सद्दाम के शासन के कई दुश्मनों को थेलियम के ज़हर से मारा गया था, सद्दाम को अंदर ही अंदर इस बात का डर सताता था कि कहीं उन्हें भी कोई जहर दे कर न मार दे। हफ्ते में दो बार उनके बग़दाद के महल में ताज़ी मछली, केकड़े, झींगे और बकरे और मुर्गे के गोश्त की खेप भिजवाई जाती थी। राष्ट्पति के महल में जाने से पहले परमाणु वैज्ञानिक उनका परीक्षण कर इस बात की जांच करते थे कि कहीं इनमें रेडियेशन या जहर तो नहीं है।
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