शुक्र मिशन के लिए इसरो ने मांगे वैज्ञानिकों के सुझाव

मंगल ग्रह पर मिशन की सफलता के बाद अब इसरो शुक्र ग्रह की ओर कदम बढ़ा रहा है और इसके लिए वैज्ञानिकों के सुझाव को आमंत्रित किया गया है।

By Monika minalEdited By: Publish:Mon, 24 Apr 2017 12:13 PM (IST) Updated:Mon, 24 Apr 2017 12:13 PM (IST)
शुक्र मिशन के लिए इसरो ने मांगे वैज्ञानिकों के सुझाव
शुक्र मिशन के लिए इसरो ने मांगे वैज्ञानिकों के सुझाव

मुंबई (जेएनएन)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्र ग्रह पर भारतीय मिशन की घोषणा करते हुए वैज्ञानिकों को अध्‍ययन के लिए आमंत्रित किया है और सुझाव भी मांगे हैं। इन सुझावों में वैज्ञानिकों से पूछा गया है कि शुक्र के किन-किन पहलुओं का अध्ययन किया जाए।

इसरो के अनुसार, शुक्र की मिशन पर जाने वाले 500 वाट पावर से लैस सैटेलाइट का वजन 175 किग्रा है। शुक्र के चारों ओर का प्रस्तावित कक्ष लगभग 500 x 60,000 किलोमीटर होगी जो कई महीनों में सिमटेगी और ग्रह की कक्षा के करीब आ जाएगी।

मिशन का फोकस वहां के वातावरण और सतह के अध्‍ययनों, सूर्य के साथ शुक्र के संबंधों, जैविक प्रयोगों और तकनीकी सबूतों पर होगा। इसरो के एक अधिकारी ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया कि अभी इस मिशन के लांच की तारीख नहीं तय हुई है। इस मिशन का महत्‍व बताते हुए इसरो ने कहा कि वीनस को पृथ्वी की जुड़वां बहन कहा जाता है, क्योंकि यह आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना में पृथ्वी के ही समान है। यह माना जाता है कि दोनों ग्रहों की संरचना एक समय में 4.5 बिलियन साल पहले हुई थी।

इसरो के अनुसार, 1960 की शुरुआत में में सोवियत संघ के वेनेरा मिशन के साथ वीनस की खोज शुरू हुई थी। तब से लेकर अब तक विभिन्न देशों द्वारा शुक्र ग्रह को उसके ऑर्बिटर, लैंडर मिशन और वायुमंडल का पता लगाया जा चुका है लेकिन अभी भी कुछ ऐसी बातें हैं जिनकी जानकारी हमें नहीं है।

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