जानें, राजधानी सहित किन बड़े राज्यों से जुड़े हैं IRCTC के साइट हैकरों के तार

नकली सॉफ्टवेयर और डाटा लीक होने के मामले में गिरफ्तार प्रोग्रामर से पूछताछ में हुआ पर्दाफाश

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 13 Jan 2018 09:16 AM (IST) Updated:Sat, 13 Jan 2018 03:23 PM (IST)
जानें, राजधानी सहित किन बड़े राज्यों से जुड़े हैं IRCTC के साइट हैकरों के तार
जानें, राजधानी सहित किन बड़े राज्यों से जुड़े हैं IRCTC के साइट हैकरों के तार

नईदुनिया, रायपुर। आइआरसीटीसी की साइट हैक कर ई-कन्फर्म टिकट और तत्काल टिकट उड़ाने वाला सिंडिकेट आंध्र प्रदेश में सक्रिय है, जिसके तार छत्तीसगढ़ और दिल्ली से जुड़े हैं। यह पर्दाफाश नकली सॉफ्टवेयर और डाटा लीक करने के मामले में पकड़े गए प्रोग्रामर ने सीबीआइ की पूछताछ में किया है। इसकी पुष्टि रायपुर मंडल की आरपीएफ की अपराध गुप्त शाखा ने की है।

बताया गया है कि जांच में परत-दर-परत चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। अभी तक प्रदेश में कन्फर्म टिकटों की दलाली का धंधा आंध्र प्रदेश के साइबर एक्सपर्ट के सहारे ही चल रहा था। ये आकर यहां ई-टिकट की दलाली में संलिप्त साइबर एक्सपर्ट को गुप्त रूप से ट्रेनिंग देकर चले जाते थे। जैसे ही साइट को फुलप्रूफ करने की कवायद होती थी, वैसे ही साइट हैकर सक्रिय हो जाते थे।


बहरहाल, स्थानीय साइट हैकरों को चिन्हित करने के लिए आंध्र प्रदेश के संदिग्ध साइबर एक्सपर्ट की सूची तैयार की जा रही है। इसके लिए वहां की अपराध गुप्त शाखा की मदद ली जा रही है। अभी रायपुर और बिलासपुर मंडल क्षेत्र में आइआरसीटीसी से अनुबंधित कैफे संचालकों से भी पूछताछ की जा रही है।

साइट खुलने के 10 मिनट में उड़ा देते थे तत्काल टिकट
सुबह 10 बजे जैसे ही आइआरसीटीसी की साइट खुलती थी, वैसे ही साइट हैकर प्रोग्रामर से मिले डाटा के जरिए तत्काल टिकट उड़ा देते थे। इसके बाद साइबर एक्सपर्ट के सहारे लोगों की फर्जी आइडी से कन्फर्म ई-टिकट बना लेते थे।

संभावित ठिकानों से टिकट दलाल फरार
मामले का पर्दाफाश होने के बाद से पूर्व में पकड़े गए टिकट दलाल फरार हैं। कई संभावित ठिकानों पर आरपीएफ की अपराध गुप्त शाखा की टीम दबिश दे रही है। कुछ टिकट दलालों से पूछताछ भी की गई। इनसे मिलने वाली हर सूचना सीबीआइ की टीम को दी जा रही है।

तफ्तीश
- नकली सॉफ्टवेयर और डाटा लीक होने के मामले में गिरफ्तार प्रोग्रामर से पूछताछ में हुआ पर्दाफाश
- छत्तीसगढ़ पुलिस तैयार कर रही है हैकरों का स्केच

पिछले दिनों बड़े घोटाले का हुआ था पर्दाफाश

कुछ समय पहले ही ट्रेनों के लिए तत्कााल टिकट मिलने में हो रही असुविधा के पीछे बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। सॉफ्टवेयर के सहारे तत्काल टिकटों की एक साथ बुकिंग के कारण मिनटों में टिकट खत्म हो जाया करते थे। हैरानी की बात यह है कि यह सॉफ्टवेयर भी सीबीआइ के ही असिस्टेंट प्रोग्रामर अजय गर्ग ने बनाया था। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अजय गर्ग के बनाए सॉफ्टवेयर को बुकिंग एजेंटों तक जौनपुर के अनिल कुमार गुप्ता नाम का आदमी पहुंचाता था। एजेंटों को अजय गर्ग के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी।

पिछले एक साल से जारी था यह खेल

सीबीआइ को अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक अजय गर्ग का यह खेल पिछले एक साल से जारी था। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपीएससी के मार्फत सीबीआइ में आने के पहले अजय गर्ग आइआरसीटीसी में प्रोग्रामर था। आइआरसीटीसी में 2007 से 2011 के बीच नौकरी करते हुए उसने उसकी वेबसाइट की खामियों को पहचाना और नया सॉफ्टवेयर बनाकर उसे कमाई की साजिश में जुट गया।

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