भारत व चीन के बीच तीन साल बाद होगी कूटनीतिक वार्ता

भारत और चीन करीब तीन साल के अंतराल के बाद 20 अगस्त को यहां अगले दौर की कूटनीतिक वार्ता करने जा रहे हैं। उम्मीद है कि वार्ता दौरान जल और भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ जैसे विवाद वाले मुद्दे भी भारत की ओर से उठाए जाएंगे। दोनों देशों के बीच पांचवें दौर की इस वार्ता की अध्यक्षता विदेश सचिव सुज

By Edited By: Publish:Thu, 15 Aug 2013 09:24 PM (IST) Updated:Thu, 15 Aug 2013 09:28 PM (IST)
भारत व चीन के बीच तीन साल बाद होगी कूटनीतिक वार्ता

नई दिल्ली। भारत और चीन करीब तीन साल के अंतराल के बाद 20 अगस्त को यहां अगले दौर की कूटनीतिक वार्ता करने जा रहे हैं। उम्मीद है कि वार्ता दौरान जल और भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ जैसे विवाद वाले मुद्दे भी भारत की ओर से उठाए जाएंगे।

दोनों देशों के बीच पांचवें दौर की इस वार्ता की अध्यक्षता विदेश सचिव सुजाता सिंह और चीन के उप विदेश मंत्री लियू झेन करेंगे। दोनों सीमा सुरक्षा सहयोग वार्ता (बीडीसीए) समझौते की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे। हाल में विदेश सचिव बनीं सुजाता सिंह का द्विपक्षीय मुद्दों पर चीन के वरिष्ठ अधिकारियों से यह पहली बातचीत होगी। इससे पहले दोनों देशों की कूटनीतिक वार्ता वर्ष 2010 में हुई थी। विदेश मंत्रालय के परामर्श के अनुसार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चीन यात्रा के पहले होने वाली यह बातचीत उसने दौरे के लिए भी काम करेगी। उम्मीद है कि अक्टूबर में प्रधानमंत्री चीन जाएंगे। जल और सीमा पर घुसपैठ के मुद्दों के अलावा भारत चीन के आइटी और फार्मा बाजार तक पहुंच और चीन के साथ अपने भारी व्यापार घाटा का मुद्दा भी उठाएगा।

भारत ब्रह्मापुत्र नदी पर चीन के बांध बनाने का विरोध कर रहा है और यह मुद्दा द्विपक्षीय बातचीत के दौरान विभिन्न स्तरों पर उठता रहा है। भारत और चीन के बीच नदी जल की साझेदारी का कोई करार नहीं है लेकिन दोनों के भू-भाग से गुजरने वाली नदी जल के आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए एक व्यवस्था लागू की है। इसमें जल का बहाव कितना है इसकी भी सूचना रहती है। भारत चीन पर जल आयोग गठित करने या अंतर सरकारी बातचीत या दोनों देशों के बीच पानी के मुद्दे निपटाने के लिए एक समझौते के लिए दबाव डाल रहा है। इन प्रस्तावों पर चीन सहमत नहीं है।

भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा भी बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2011 के अंत में भारत का व्यापार घाटा 27 अरब डॉलर था यह वर्ष 2012 में बढ़कर 29 अरब हो गया है।

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