तीन महीने में छह बड़े ऑपरेशन, भारतीय नौसेना ने दुनिया को दिलाया एक जिम्मेदार ताकत का भरोसा

अरब सागर में भारतीय नौसेना की उपस्थिति हमेशा से रही है लेकिन दिसंबर के बाद से भारतीय नौसेना यहां नए रूप में नजर आ रही है। भारत ने अपने 12 जंगी जहाज अदन की खाड़ी और पश्चिमी अरब सागर में तैनात कर दिए हैं। नौसेना ने बीते तीन महीने में छह बड़े ऑपरेशन किए हैं और जहाजों को समुद्री लुटेरों एवं हूती विद्रोहियों के हमले से बचाया है।

By Skand Vivek Dhar Edited By: Skand Vivek Dhar Publish:Fri, 22 Mar 2024 11:58 AM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2024 12:00 PM (IST)
तीन महीने में छह बड़े ऑपरेशन, भारतीय नौसेना ने दुनिया को दिलाया एक जिम्मेदार ताकत का भरोसा
बीते तीन महीने में आधा दर्जन से अधिक कार्रवाई में भारतीय नौसेना ने व्यापारिक जहाजों को हमलों से बचाया है।

स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। अरब सागर और अदन की खाड़ी में भारतीय नौसेना की ओर से समुद्री लुटेरों और हूती विद्रोहियों के हमलों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन ने दुनियाभर में इसे चर्चा में ला दिया है। बीते तीन महीने में आधा दर्जन से अधिक कार्रवाई में भारतीय नौसेना ने व्यापारिक जहाजों को ऐसे हमलों से बचाया है। खास बात ये है कि इसमें से ज्यादातर जहाज भारत के नहीं, बल्कि दूसरे मुल्कों के हैं।

सबसे ताजा मामला माल्टा के जहाज एमवी रुएन का है, जिसे सोमालियाई समुद्री लुटेरों ने 18 दिसंबर 2023 को हाईजैक कर लिया था। वह उसे सोमालिया ले गए थे। 5 मार्च 2024 को यह जहाज सोमालिया से 260 नॉटिकल मील दूर दिखाई दिया। आईएनएस कोलकाता ने इसे रोका और जहाज के स्टीयरिंग सिस्टम और नेविगेशनल सपोर्ट को अक्षम कर दिया। इससे समुद्री लुटेरों को जहाज रोकना पड़ा। आईएनएस कोलकाता की कार्रवाई के बाद 35 समुद्री लुटेरों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिन्हें भारत लाया गया है। एमवी रुएन जहाज और 17 क्रू मेंबर को रिहा करा लिया गया।

इन 17 क्रू मेंबर में से 7 बुल्गारिया के नागरिक थे। बुल्गारिया के राष्ट्रपति और डिप्टी पीएम ने इस सहायता के लिए भारत सरकार और भारतीय नौसेना का आभार भी जताया। इसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोस्त इसीलिए होते हैं।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, अरब सागर में भारतीय नौसेना की उपस्थिति हमेशा से रही है। लेकिन दिसंबर में भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन के नजदीक हमलों के बाद और हाईजैक की कई वारदात के बाद भारतीय नौसेना ने अदन की खाड़ी और पश्चिमी अरब सागर में दखल बढ़ा दिया।

भारत ने अरब सागर में अब तक की अपनी सबसे बड़ी तैनाती कर दी है। अरब सागर में मौजूद भारत के नौसैनिक बेड़े में 12 वारशिप शामिल हैं, जिनमें दो एडवांस वारशिप अदन की खाड़ी में और बाकी 10 उत्तरी और पश्चिमी अरब सागर में तैनात हैं।

दरअसल, लगभग छह वर्षों तक शांति से रहने के बाद अदन की खाड़ी और उत्तरी एवं पश्चिमी अरब सागर में समुद्री लुटेरों के हमलों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। सोमालियाई समुद्री लुटेरों ने 2008 और 2018 के बीच काफी उत्पात मचाया था, लेकिन 2018 से 2023 के अंत तक समुद्री लूट की नगण्य घटना ही हुई थी।

लेकिन, बीते साल शुरू हुए इज़राइल और हमास के बीच युद्ध के बाद ईरान समर्थित हूती मिलिशिया ने अदन की खाड़ी और लाल सागर में इज़राइल और पश्चिमी देशों के व्यापारिक जहाजों को फिर से निशाना बनाना शुरू कर दिया। सोमालियाई समुद्री लुटेरे भी इस अराजकता का फायदा उठाने के लिए सक्रिय हो गए।  

 

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और किंग्स कॉलेज लंदन में किंग्स इंडिया इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने जागरण प्राइम से बातचीत में कहा कि समुद्री लूट और एंटी हाईजैकिंग ऑपरेशन में भारतीय नौसेना हमेशा से सक्रिय रही है। लेकिन इस बार दिलचस्प बात ये है कि ऑपरेशन बहुत बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान देना होगा कि भारत अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं है। भारतीय नौसेना स्वतंत्र रूप से ऑपरेशन कर रही है। इस तरह से वह अपनी क्षमताओं का भी प्रदर्शन कर रही है।

तो क्या भारतीय नौसेना की डॉक्ट्रिन में बीते कुछ समय में कोई बदलाव आया है? इस सवाल का जवाब देते हुए रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज कादयान ने कहा, भारतीय नौसेना की भूमिका और कार्य हमेशा स्पष्ट रहे हैं। समुद्री सुरक्षा इसकी भूमिका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अंतर इतना आया है कि पहले हमारी नौसेना अपर्याप्त संसाधनों के कारण विकलांग थी। अब हमने अपनी नौसेना की क्षमता में वृद्धि की है।

कादयान आगे कहते हैं, इसके अलावा जो बदलाव आया है, वह ये है कि अब नौसेना की गतिविधियों को अधिक विजिबिलिटी मिलने लगी है, पहले ऐसा नहीं था। आज संसाधन के लिहाज से इसकी क्षमता बेहतर है और हम जो कर रहे हैं, उसका भरपूर प्रचार भी हो रहा है।

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बजट सत्र में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि 2008 से भारतीय नौसेना ने अदन की खाड़ी और अफ्रीका के पूर्वी तट पर समुद्री डकैती रोधी गश्त के लिए इकाइयां तैनात की हैं। बीते डेढ़ दशक में 3,440 जहाजों और 25,000 से अधिक नाविकों को सुरक्षित बचाया गया है।

हालांकि, प्रोफेसर पंत इससे थोड़ी इतर राय रखते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारतीय नौसेना अपनी पुरानी रक्षात्मक, जोखिम से बचने और अपने में सीमित रहने के रवैये को त्याग रही है और अधिक आत्मविश्वास दिखा रही है।’

प्रो. पंत ने कहा कि यह आत्मविश्वास भारत में राजनीतिक नेतृत्व और सैन्य बलों के बीच तालमेल से आया है। एक साथ मिलकर वे शक्ति का प्रदर्शन कर सकते हैं, वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि समुद्री क्षेत्र सुरक्षित रहे। और साथ ही वे क्षेत्रीय और वैश्विक जिम्मेदारियों को संभालने के लिए भारत की तत्परता का प्रदर्शन भी कर सकते हैं।

अदन की खाड़ी और अरब सागर में शांति भारत के लिए सामरिक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। स्वेज नहर एशिया और यूरोप को जोड़ने वाला सबसे छोटा रास्ता है, लेकिन यहां तक जाने के लिए अरब सागर, अदन की खाड़ी और लाल सागर से होकर गुजरना होता है। ग्लोबल ट्रेड का 15% हिस्सा इसी रास्ते से होकर जाता है और खाड़ी देशों से निकलने वाला ज्यादातर कच्चा तेल इसी रास्ते से गुजरता है।

शारदा यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफसर डॉ. संदीप त्रिपाठी कहते हैं, भारत ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि ये जोन भारत का जोन है और इसकी सुरक्षा एवं क्षेत्रीय स्थिरता की गारंटी सिर्फ भारत दे सकता है। अरब सागर से सालाना एक ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है। भारत बहुत जल्दी 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने वाला है। विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है कि भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में शांति और स्थिरता हो।

प्रोफेसर पंत भी कहते हैं, अदन की खाड़ी में यदि अशांति होती है तो वैश्विक व्यापार प्रभावित होता है। पश्चिमी अरब सागर में अदन की खाड़ी में अपनी सबसे बड़ी तैनाती करके भारत साबित कर रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के व्यापक हित में काम कर रहा है। भारत यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था इन अवांछित तत्वों की ओर से पैदा की जा रही गड़बड़ी से प्रभावित न हो।

विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत इस इलाके में एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में पहचाना जाना चाहता है। और यह तभी होगा जब भारत साबित करे कि वह न केवल अपने हित के लिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के व्यापक हित के लिए भी काम कर रहा है। इसमें भारत को सफलता भी मिल रही है।

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