कड़कड़ाती सर्दी में भी चीन पर जारी रहेगी निगेहबानी, सेना ने पूर्वी लद्दाख में जवानों के लिए बनाए अत्याधुनिक आवास

पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने हजारों जवानों के लिए अत्याधुनिक आवास तैयार किए हैं। कड़ाके की सर्दियों में चीन पर नजर रखने वाले जवानों के लिए इन आवासों में ठंड से बचाव के साथ हर तरह की बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 07:21 PM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 07:51 PM (IST)
कड़कड़ाती सर्दी में भी चीन पर जारी रहेगी निगेहबानी, सेना ने पूर्वी लद्दाख में जवानों के लिए बनाए अत्याधुनिक आवास
पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना ने हजारों जवानों के लिए अत्याधुनिक आवास तैयार किए हैं।

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव का फिलहाल कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा, ऐसे में भारतीय सेना ने हजारों जवानों के लिए अत्याधुनिक आवास तैयार किए हैं। इन आवासों में ठंड से बचाव के साथ ही हर तरह की बुनियादी सुविधाएं हैं। बुधवार को सरकार से जुड़ेें सूत्रों ने यह जानकारी दी।

50 हजार जवान हैं तैनात 

सूत्रों ने बताया कि इन आधुनिक आवासों में सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था है, क्योंकि सर्दी के मौसम में पूर्वी लद्दाख के कुछ स्थानों पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है। इसके अलावा ऊंचाई वाले इलाकों में 40 फीट तक बर्फबारी भी होती है। पूर्वी लद्दाख में इस समय करीब 50 हजार जवान तैनात हैं।

आपात जरूरत के लिए नागरिकों की मदद 

सूत्रों ने बताया कि स्मार्ट शिविरों के अलावा बिजली, पानी, हीटिंग, स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए अत्याधुनिक आवास बनाए गए हैं। अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों को उनके सामरिक महत्व को देखते हुए गर्म टेंट में समायोजित किया गया है। इसके अलावा किसी भी आपात जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नागरिक बुनियादी ढांचे की भी पहचान की गई है।

अब तक बेनतीजा रही बातचीत 

सीमा पर जारी तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। आखिरी दौर की बातचीत छह नवंबर को हुई थी, जिसमें दोनों ही पक्षों के बीच टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को हटाने को लेकर व्यापक बातचीत हुई थी।

वादों से मुकर जाता है चीन 

भारत ने हर वार्ता में यह स्पष्ट किया है कि तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन पर है। टकराव के सभी बिंदुओं से उसे पहले अपने सैनिकों को पीछे हटाना होगा। दरअसल, चीन बातचीत में पीछे हटने की बात तो कहता है लेकिन जब जमीन पर अमल की बात आती है तो सभी वादों को दरकिनार कर देता है। 

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