तुर्की के एक्शन पर भारत का कड़ा रुख, कहा- शांति और बातचीत से सुलझाएं मसला
विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों से शांतिपूर्ण तरीके से सभी मुद्दों का समाधान करने का आग्रह किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सीरिया पर तुर्की की तरफ से की गई सैन्य कार्रवाई का भारत सरकार ने विरोध किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हम उत्तर-पूर्व सीरिया में तुर्की द्वारा एकतरफा सैन्य हमले से चिंतित हैं।
विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि तुर्की की कार्रवाई क्षेत्र में स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकती है। इस तरह की कार्रवाई मानवीय और नागरिकों के लिए संकट की स्थिति पैदा कर सकती है।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में तुर्की से संयम बरतने को कहा है। इसके अलावा सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की अपील की गई हैं। भारत ने दोनों देशों से बातचीत और चर्चा के माध्यम से सभी मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान करने का आग्रह किया है।
MEA: We call upon Turkey to exercise restraint and respect the sovereignty and territorial integrity of Syria. We urge the peaceful settlement of all issues through dialogue and discussion. https://t.co/ACPDy6haVD" rel="nofollow
— ANI (@ANI) 10 October 2019
बता दें कि तुर्की ने बुधवार को सीमावर्ती क्षेत्र से कुर्द नेतृत्व वाली सेनाओं को हटाने के लिए पूर्वोत्तर सीरिया में अपने लंबे समय तक चलने वाले सैन्य अभियान को फिर शुरू कर दिया। तुर्की के लड़ाकू विमानों और तोपखानों के जरिए सीरिया में कुर्द-नियंत्रित क्षेत्रों को निशाना बनाकर बम बरसाया। इसकी वजह से हजारों नागरिकों को अपने घरों से भागना पड़ा। तुर्की ने यह कदम अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद उठाया।
ट्रंप ने कदम को सही ठहराया
अमेरिकी सेना को वापस लेने के कदम को सही ठहराते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को कहा कि उनके देश ने इस क्षेत्र में अनुमानित 8 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए हैं और कई वर्षों में हजारों सैनिकों को खो दिया है।
तुर्की को भारत ने दी थी नसीहत
गौरतलब है कि तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में कश्मीर मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद भारत सरकार ने मामले पर टिप्पणी करने से पहले जमीन हालात को समझने की नसीहत दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने तुर्की को साफ कर दिया की कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और दूसरे देशों को इसपर बोलने की कोई जरूरत नहीं है।