भारत की चीन को दो टूक, मसूद पर सुबूत देना हमारा काम नहीं

विदेश सचिव ने उन सभी मुद्दों को चीन के सामने साफगोई से रखा, जो कुछ समय से दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं।

By Manish NegiEdited By: Publish:Thu, 23 Feb 2017 12:12 AM (IST) Updated:Thu, 23 Feb 2017 07:10 AM (IST)
भारत की चीन को दो टूक, मसूद पर सुबूत देना हमारा काम नहीं
भारत की चीन को दो टूक, मसूद पर सुबूत देना हमारा काम नहीं

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत ने चीन से दो टूक शब्दों में कह दिया है कि मसूद अजहर पर सुबूत देना हमारा काम नहीं है। विदेश सचिव एस जयशंकर के नेतृत्व में भारतीय दल ने बुधवार को बीजिंग में भारत-चीन रणनीतिक वार्ता की पहली बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान चीन को लेकर भारत की कूटनीति में कुछ दिनों से दिख रहे बदलाव को जयशंकर ने पूरी तरह से साफ कर दिया। विदेश सचिव ने उन सभी मुद्दों को चीन के सामने साफगोई से रखा, जो कुछ समय से दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं। जैश सरगना मसूद अजहर का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां उसकी गतिविधियों के बारे में काफी सूचनाएं जुटा चुकी हैं। अजहर पर पाबंदी लगाने की मुहिम में भारत अकेला नहीं है। दूसरे देश भी इसके पक्ष में हैं। उसके संगठन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की धारा 1267 के तहत पाबंदी सुबूतों को देखते हुए ही लगाया गया है।

भारत ने चीन से यह भी बताने को कहा कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में कैसे शामिल होगा, जबकि गुलाम कश्मीर से गुजरने वाली यह परियोजना उसकी संप्रभुता के खिलाफ है। इसी साल मई में होने वाले सम्मेलन में चीन ने भारत को भी शामिल होने का निमंत्रण दिया है। इस पर जयशंकर ने कहा, 'हम चीन के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। लेकिन, असलियत यह है कि यह परियोजना एक ऐसे भौगोलिक हिस्से से गुजर रही है, जो भारत के लिए काफी संवेदनशील है। वैसे भी चीन भौगोलिक संप्रभुता को लेकर काफी संवेदनशील रहता है। लेकिन उसे इस बात का जवाब देना चाहिए कि किस तरह से कोई देश इसमें शामिल हो सकता है, जिसकी संप्रभुता इससे प्रभावित हो रही हो।' दोनों देशों के बीच वार्ता को आगे भी जारी रखने पर सहमति बनी है। इस बैठक के बाद जयशंकर ने मीडिया में जो बयान दिए उसे विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में भी उपलब्ध कराया है।

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परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह पर आपत्ति सिर्फ चीन को

-दोनों देशों के बीच परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के शामिल होने का मुद्दा भी उठा।

-भारत ने कहा कि उसके इस समूह में शामिल होने पर सभी देशों में सहमति है। सिर्फ चीन को आपत्ति है।

-भारत ने आग्रह किया कि चीन इस मामले में अपनी सभी आपत्तियों पर उससे खुलकर बात करे।

-द्विपक्षीय कारोबार को लेकर विदेश सचिव ने कहा कि व्यापारिक असंतुलन खत्म करने की जिम्मेदारी चीन की है।

क्या है सीपीईसी?

-करीब ढाई हजार किलोमीटर लंबा यह गलियारा चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा। 46 अरब डॉलर (3128 अरब रुपये) की इस परियोजना से अरब सागर तक चीन की पहुंच आसान हो जाएगी।

मसूद को बचाता है चीन

संयुक्त राष्ट्र में चीन कई बार जैश सरगना का बचाव कर चुका है। उसके विरोध के चलते संयुक्त राष्ट्र से मसूद पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। वह प्रतिबंध के लिए मुहिम चला रहे भारत से इस आतंकी के खिलाफ ठोस सुबूत देने की मांग करता रहा है।

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