ओली पर भारत को भरोसा, दूर होंगे तनाव

नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस पद पर पहुंचाने में भले ही भारत विरोधी कट्टर वाम पंथी दलों ने अहम भूमिका निभाई हो लेकिन भारत को उम्मीद है कि ओली दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव को दूर कर सकते हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2015 09:42 PM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2015 10:16 PM (IST)
ओली पर भारत को भरोसा, दूर होंगे तनाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस पद पर पहुंचाने में भले ही भारत विरोधी कट्टर वाम पंथी दलों ने अहम भूमिका निभाई हो लेकिन भारत को उम्मीद है कि ओली दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव को दूर कर सकते हैं।

दरअसल, इस उम्मीद के पीछे ओली का पुराना रिकार्ड है जो वामपंथी होने के बावजूद भारत के साथ रिश्ते को मजबूत बनाने में कई बार अहम कदम उठा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच पनबिजली क्षेत्र में सहयोग के लिए किये गये ऐतहासिक समझौते को मुकाम पर पहुंचाने में भी ओली ने अहम भूमिका निभाई थी।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ओली ने पीएम पद संभालने के बाद जो बयान दिए हैं उससे मौजूदा तनाव के खत्म करने को लेकर उनकी गंभीरता के साथ ही भारतीय पक्ष को समझने की उनकी मंशा भी साफ दिखती है। वैसे भी एक मंत्री के तौर पर ओली ने हमेशा नेपाली जनता के बड़े हितों और भारत के साथ दोस्ताना रवैये को सबसे ज्यादा तवज्जो दी है।

ओली ने नेपाल स्थित भारतीय राजदूत के साथ आज सोमवार को हुई मुलाकात में यह साफ कर दिया कि मौजूदा हालात को बदलना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। भारत को उन पर पूरा भरोसा है कि संकट की इस घड़ी में नेपाल को वह बाहर निकाल सकते हैं। भारत ने ओली को जल्द से जल्द भारत आने का भी आमंत्रण दिया है।

सूत्रों का कहना है कि अच्छी बात यह है कि नेपाल की अधिकांश राजनीतिक दल भारतीय पक्ष को समझने लगे हैं। भारत यह कभी नहीं चाहेगा कि नेपाल में मधेसी आंदोलन इतना बढ़ जाए कि देश के विघठन की स्थिति आ जाये। यह बात यूरोपीय व अमेरिका को भी समझ में आ गई है और इन देशों ने नेपाल को इस बारे में समझाया भी है। यही वजह है कि हाल के दिनों में मधेसी बहुल हिस्सों से न सिर्फ नेपाली सैनिकों को वापस लिया गया है बल्कि मृतकों को पर्याप्त मुआवजा आदि देने की घोषणा भी वहां की सरकार की तरफ से की गई है।

सबसे अहम बात यह है कि वहां की कैबिनेट ने संविधान में प्रस्तावित संशोधन को लेकर भारत के दो सुझावों को स्वीकार भी कर लिया है। उम्मीद है कि जब नेपाल के संसद में संविधान में बदलावों पर वोटिंग होगी तब भारत के अन्य सुझावों पर भी विचार होगा क्योंकि यह नेपाल की बड़ी आबादी के पक्ष में होगा।

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