अहमदी समुदाय के बुजुर्ग की हत्या पर भारत ने पाकिस्तान को लगाई फटकार

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बयां करने वाली घटना है। लंबे समय से हम देख रहे हैं कि अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक मान्यता का पालन करने का दायरा लगातार सिमटता चला गया है। उनकी हालत दुर्दशाग्रस्त है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 13 Nov 2020 08:32 PM (IST) Updated:Fri, 13 Nov 2020 08:32 PM (IST)
अहमदी समुदाय के बुजुर्ग की हत्या पर भारत ने पाकिस्तान को लगाई फटकार
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एएनआइ। पेशावर में अहमदी समुदाय के 82 वर्षीय बुजुर्ग की हत्या पर भारत ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई है। भारत ने कहा है कि पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक मान्यता का पालन करने का दायरा शून्य हो गया है। हाल ही में हुई हत्या उस देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति बयां करती है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, 'पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बयां करने वाली घटना है। लंबे समय से हम देख रहे हैं कि अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक मान्यता का पालन करने का दायरा लगातार सिमटता चला गया है। उनकी हालत दुर्दशाग्रस्त है।' श्रीवास्तव ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में देखा है कि 82 वर्षीय अहमदी की हत्या गोली मारकर कर दी गई। पेशावर में यह हत्या उस बुजुर्ग की आस्था के कारण हुई है। पाकिस्तान के पेशावर के बाहरी इलाके में सोमवार को बंदूकधारियों ने उनकी हत्या कर दी थी।

जानें कैसे हो रहा है अहमदिया समुदाय का उत्‍पीड़न  

गौरतलब है कि पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमानों की दशा पर पिछले दिनों ब्रिटेन के सर्वदलीय सांसदों के समूह ने 168 पन्नों की रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट में बताया गया था कि इस शांतिप्रिय समुदाय को भारत से बंटवारे के बाद किन मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कानून से अहमदिया विरोधी प्रावधानों को हटाने और समुदाय के लोगों को मतदान का अधिकार अविलंब दिए जाने की मांग की गई है। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा पीड़ि‍त समुदायों में अहमदिया मुस्लिमों का समुदाय है। इन्हें मुसलमान खासतौर पर पंजाबी, मुसलमान ही नहीं मानते और न ही इन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देते हैं।

इसके चलते अहमदिया समुदाय को न तो शिक्षा हासिल हो रही है और न ही सरकारी नौकरी। कारोबार और प्राइवेट नौकरी में भी इनका कम उत्पीड़न नहीं है। 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के कार्यकाल में अहमदिया विरोधी अभियान को तब और मजबूती मिली-जब सरकार ने भी समुदाय के लोगों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार शुरू कर दिया। इसके लिए सरकार ने बाकायदा संविधान में संशोधन तक कर डाला। 28 मई, 2010 को पाकिस्‍तान में कट्टरपंथियों की भीड़ ने लाहौर में अहमदिया मुसलमानों की दो मस्जिदों पर हमला किया था और उनमें तोड़फोड़ की था। इस वारदात में 86 अहमदिया और एक ईसाई समुदाय के शख्‍स की मौत हुई थी।

chat bot
आपका साथी