Green Energy के इस्‍तेमाल में ब्रिटेन समेत कई देशों से आगे है भारत, जानें- टाप-10 में कौन-कौन है शामिल

Green Energy और Renewable Energy एक ऐसी शक्ति है जिसकी मदद से इंसान दोहरा फायदा कमा सकता है। ये फायदा अपनी जरूरत को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण को साफ बनाए रखने का है। हालांकि इस पर अभी काफी काम करने की जरूरत है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 14 Nov 2022 12:27 PM (IST) Updated:Mon, 14 Nov 2022 12:29 PM (IST)
Green Energy के इस्‍तेमाल में ब्रिटेन समेत कई देशों से आगे है भारत, जानें- टाप-10 में कौन-कौन है शामिल
ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल से मिल सकता है दोहरा फायदा

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। विश्‍व में क्‍लाइमेट चेंज से निपटने के लिए ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल की मांग और चर्चा लंबे समय से हो रही है। इसके बावजूद इसकी उपयोगिता और इसके महत्‍व को समझकर इस राह पर आगे बढ़ने वाले देश काफी कम ही हैं। यही वजह है कि विश्‍व आज क्‍लाइमेट चेंज की मार झेलने को मजबूर हो रहा है। हकीकत ये भी है कि जिन देशों में ग्रीन एनर्जी का इस्‍तेमाल किया जा रहा है वहां भी अभी काफी कुछ करना बाकी है।

ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल में ब्रिटेन से ऊपर है भारत

विश्‍व के बड़े देश जिसमें अमेरिका, चीन और भारत भी शामिल है, में कोयले की खपत सबसे अधिक है। अपनी जरूरत की ऊर्जा के लिए ये देश काफी हद तक इस पर निर्भर है। वहीं एक हकीकत ये भी है कि ये तीनों ही देश ग्रीन एनर्जी का इस्‍तेमाल करने वाले टाप-10 देशों की सूची में शामिल हैं। भारत लगातार ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल की तरफ आगे बढ़ रहा है। भारत का लक्ष्‍य है कि वो अपनी जरूरत की ऊर्जा का करीब 25-30 फीसद तक इससे ही प्राप्‍त करना है। भारत के बाद में ब्रिटेन, जापान और फ्रांस का नंबर आता है।

विकासशील देशों में ग्रीन एनर्जी के प्रति उदासीनता 

आपको बता दें कि विकासशील देशों में आज भी ग्रीन एनर्जी को लेकर आज भी उदासीनता साफतौर पर दिखाई देती है। विकासशील देश इसका फायदा पूरी तरह से नहीं उठा पा रहे हैं। ये देश आज भी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए जीवाश्‍म ईंधन पर निर्भर हैं। विकासशील देशों में इसको लेकर नीति और नीयत दोनेां की ही कमी है। मिसाल के तौर पर ग्रीन एनर्जी को लेकर जागरुकता, इसकी आसानी से उपलब्‍धता न के ही बराबर है।

क्‍या है ग्रीन एनर्जी 

ग्रीन एनर्जी या अक्षय ऊर्जा, वो शक्ति है जिसको हम प्राकृतिक संसाधनों के जरिए हासिल कर सकते हैं। इसमें सूरज, हवा, बारिश, ज्‍वारभाटा तक शामिल है। इनका हम पूरी तरह से फायदा उठाकर क्‍लाइमेट चेंज के खतरे को भी कम कर सकते हैं। ग्रीन एनर्जी का इस्‍तेमाल हमें हमारी आयल, गैस कोयला और दूसरे जीवाश्‍म ईंधन से हमारी निर्भरता को कम कर सकता है। वैज्ञानिक और पर्यावरणविद भी इसको लंबे समय तक साफ-सुथरे तरीके से इस्‍तेमाल किए जाने वाला संसाधन बताते आ रहे हैं।

अमेरिका ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल में नंबर वन 

यदि उन देशों की बात की जाए जो ग्रीन एनर्जी का सबसे अधिक उपयोग कर रहे हैं तो उनमें अमेरिका सबसे ऊपर है। अमेरिका जहां कोयले की खपत भी अधिक करता है वहीं ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल में भी पीछे नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि 2015 तक उसने इससे इतनी ऊर्जा पैदा की है जितनी ऊजा 7 करोड़ क्‍यूबिक आयल से हासिल होती है। इस तरह से अमेरिका का ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल में करीब 22 फीसद का शेयर है। अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने इसमें विस्‍तार करने की जो नीति बनाई थी उसका अमेरिका को फायदा भी हो रहा है।

चीन का नंबर  

ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल में विश्‍व में दूसरे नंबर पर चीन आता है। चीन विंड एनर्जी के इस्‍तेमाल में नंबर वन देश है। वर्ष 2015 में चीन ने 115 जीडब्‍ल्‍यू का विंड पावर प्‍लांट लगाया था। ये अमेरिका में लगे विंड प्‍लांट से करीब दोगुना बड़ा है। इस लिहाज से इसकी उत्‍पादन क्षमता भी अमेरिका से कहीं अधिक है। जानकार ग्रीन एनर्जी के इस सोर्स को पूरे वर्ष के लिए कारगर मानते हैं।

जर्मनी की ताकत 

ग्रीन एनर्जी के इस्‍तेमाल में तीसरे नंबर पर जर्मनी का नाम आता है। 2015 तक जर्मनी ने ग्रीन एनर्जी की मदद से इतनी ऊर्जा का उत्‍पादन किया जो करीब 3 करोड़ टन आयल के जरिए हासिल की जाती। आपको हैरानी हो सकती है ये जानकर कि जर्मनी ने अपनी जरूरत की ऊर्जा का करीब 75 फीसद तक ग्रीन एनर्जी के जरिए हासिल किया है।

स्‍पेन और अन्‍य देश 

स्‍पेन ग्रीन एनर्जी के मामले में चौथे नंबर पर आता है। सोलर एनर्जी में स्‍पेन का कोई जवाब नहीं है। वर्ष 2008 में स्‍पेन ने इसके महत्‍व को पहचानते हुए इस राह पर आगे बढ़ने का फैसला लिया था। वर्ष 2015 तक उसने इससे जितनी ऊर्जा हासिल की उसके लिए स्‍पेन को करीब डेढ़ करोड़ टन से अधिक तेल की जरूरत होती है। इसी लिस्‍ट में अगला नंबर ब्राजील और इटली का आता है।

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