कार्बन स्टॉक में धीरे-धीरे हो रही है वृद्धि, 2030 का लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल

यदि इसी रफ्तार से वनों का दायरा बढ़ता रहा तब भी हम लक्ष्य से 0.25 से 0.75 अरब टन पीछे रह जाएंगे।

By Neel RajputEdited By: Publish:Sun, 05 Jan 2020 01:08 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jan 2020 01:08 PM (IST)
कार्बन स्टॉक में धीरे-धीरे हो रही है वृद्धि, 2030 का लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल
कार्बन स्टॉक में धीरे-धीरे हो रही है वृद्धि, 2030 का लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल

नई दिल्ली [डॉ. सुभाष आशुतोष]। देश में वनावरण बढ़ना अच्छा संकेत है। पिछले दो साल की अवधि में इसमें 3976 वर्ग किमी का विस्तार हुआ है। इसी के अनुरूप देश के वनों की कार्बन स्टॉक (अपने भीतर समेटने) की दर में 4.26 करोड़ टन का इजाफा हुआ। हालांकि, यह रफ्तार हमारे उन लक्ष्यों के हिसाब से नहीं है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के अनुरूप देश के लिए तय किए थे।

वनावरण बढ़ाने के प्रयास तेज स्तर पर चल रहे हैं

समझौते के मुताबिक हमें वर्ष 2030 तक वनों की कार्बन सोखने की क्षमता में 2.5 से 03 अरब टन (कार्बन डाईऑक्साइड के समतुल्य) का इजाफा करना है। यदि इसी रफ्तार से वनों का दायरा बढ़ता रहा, तब भी हम लक्ष्य से 0.25 से 0.75 अरब टन पीछे रह जाएंगे। फिर भी हमें निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस समय हमारा देश न सिर्फ वनों की कार्बन सोखने की क्षमता में विस्तार पर काम कर रहा है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन की दर कम करने के लिए तमाम स्तर पर काम किए जा रहे हैं। तमाम केंद्रीय योजनाओं के अनुसार नमामि गंगे के तहत गंगा नदी के दोनों किनारों पर 80 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पौधरोपण की रफ्तार बढ़ रही है। इसके साथ ही नेशनल ग्रीन हाईवे मिशन में 1.40 लाख किलोमीटर लंबाई पर हरित पट्टिका विकसित की जा रही है। भीतरी वन क्षेत्रों के अलावा बाहरी क्षेत्रों में भी वनावरण बढ़ाने के प्रयास तेज स्तर पर चल रहे हैं।

कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है कम

दूसरी तरफ क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट के माध्यम से कोयले को विशेष विधि से साफ कर प्रयोग में लाया जाने लगा है। इससे कार्बन का उत्सर्जन कम हो रहा है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करते हुए सोलर, पनबिजली, न्यूक्लियर एनर्जी के विकल्पों पर भी काफी काम किया जा रहा है। यह सभी प्रयास अकेले वनों पर कार्बन के स्तर को कम करने की निर्भरता को भी घटा रहे हैं। यदि सब कुछ उम्मीद के अनुरूप रहा तो शायद हम लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। ऐसा भी नहीं है कि हम पर ही लक्ष्यों को हासिल करने का अतिरिक्त दबाव है।

2030 तक वैश्विक स्तर पर भी कार्बन उत्सर्जन में कटौती का लक्ष्य

यूरोपीय संघ के हालिया कथन में भी यह बात सामने आई है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर भी कार्बन उत्सर्जन में कटौती का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल दिख रहा है। बताया जा रहा है कि अगले एक दशक तक उत्सर्जन में 30 फीसद तक की ही कमी हासिल होती दिख रही है, जबकि इसमें 40 फीसद तक की कटौती का लक्ष्य रखा गया था।

लेखक भारतीय वन सर्वेक्षण के महानिदेशक हैं।

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