9/11 से पहले, दुनिया 'आपके आतंकवादी' या 'मेरे आतंकवादी' में विभाजित था- संयुक्त राष्ट्र में भारत

भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि 9/11 होने से पहले दुनिया आपके आतंकवादी या मेरे आतंकवादी में विभाजित थी। 9/11 के बाद ही हमने स्वीकार किया कि दुनिया के एक हिस्से में आतंकवाद दुनिया के दूसरे हिस्से को सीधे प्रभावित कर सकता है।

By TilakrajEdited By: Publish:Wed, 07 Jul 2021 09:25 AM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 09:25 AM (IST)
9/11 से पहले, दुनिया 'आपके आतंकवादी' या 'मेरे आतंकवादी' में विभाजित था- संयुक्त राष्ट्र में भारत
आतंकवाद की निंदा की जानी चाहिए, आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों पर कोई अपवाद या सफाई नहीं हो सकती

नई दिल्ली, एएनआइ। आतंकवाद की समस्‍या से इस समय दुनिया के ज्‍यादातर देश परेशान हैं। भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति की 7वीं समीक्षा पर संयुक्त राष्ट्र में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने स्वीकार किया है कि आतंकवाद का खतरा गंभीर है और यह समस्या विश्वव्यापी है। इसे संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के सामूहिक प्रयासों से ही हराया जा सकता है। हालांकि, कुछ साल पहले तक हालात इससे अलग थे।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि आतंकवाद की निंदा की जानी चाहिए, आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों पर कोई अपवाद या सफाई नहीं हो सकती है। आतंकवाद का खतरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जा सकता है और न ही होना चाहिए। हालाँकि, सभी सदस्य देशों के लिए यह आवश्यक है कि हमने अब तक जो हासिल किया है उसको बर्बाद होने से बचाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि हम आतंकवाद के लिए बहाने या सफाई को ज़रा भी अवसर न दें, जिससे हमारी सामूहिक लड़ाई कमजोर हो जाए। आतंकवाद को किसी भी तरह से सही ठहराना, चाहे वह धर्म, विचारधारा, जातीयता या नस्ल के आधार पर हो, आतंकवादियों को अपनी गतिविधियों को और अधिक बढ़ाने के लिए आवश्यक चारा ही प्रदान करेगा।

भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि 9/11 होने से पहले, दुनिया 'आपके आतंकवादी' या 'मेरे आतंकवादी' में विभाजित थी। 9/11 के बाद ही हमने स्वीकार किया कि दुनिया के एक हिस्से में आतंकवाद, दुनिया के दूसरे हिस्से को सीधे प्रभावित कर सकता है और हमें सामूहिक रूप से आतंकवाद से लड़ने के लिए एक साथ आगे आना चाहिए। 20 साल बाद, अब हम नस्लीय और जातीय रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद, हिंसक राष्ट्रवाद, दक्षिणपंथी उग्रवाद, आदि जैसे उभरते खतरों की आड़ हमें एक बार फिर विभाजित करने के प्रयास किया जा रहा हैं।

मुझे उम्मीद है कि सदस्य देश इतिहास को नहीं भूलेंगे और आतंकवाद को फिर से अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करेंगे और हमें 'आपके आतंकवादियों' और 'मेरे आतंकवादियों' के युग में वापस ले जाएंगे और पिछले दो दशकों में हमारे द्वारा प्राप्त लाभ को मिटा दिया जाएगा।

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